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Written By WD Feature Desk

ताप्ती जयंती मनाने का क्या है महत्व, जानिए नदी के बारे में 5 रोचक बातें

Tapti Jayanti festival 2025
Why Tapti Jayanti is celebrated: ताप्ती जयंती कब है 2025: ताप्ती जयंती हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में, ताप्ती जयंती 2 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। यह तिथि मुलताई (मध्य प्रदेश) में विशेष रूप से मनाई जाती है, जिसे ताप्ती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।ALSO READ: जुलाई माह के व्रत त्योहारों की लिस्ट 2025
 
इस दिन भक्तजन ताप्ती नदी के तट पर पूजा-अर्चना करते हैं और नदी को मां का स्वरूप मानकर उसका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ताप्ती जयंती नदियों के संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक अवसर है, जो जल स्रोतों के महत्व को रेखांकित करता है। यह नदी ताप और कष्टों का हरण करने वाली मानी जाती है।  
 
महत्व: ताप्ती जयंती मनाने का महत्व: स्कंद पुराण और महाभारत जैसे ग्रंथों में ताप्ती नदी की महिमा का वर्णन है। कहा जाता है कि ताप्ती का स्मरण मात्र ही असीम पुण्य प्रदान करता है। गंगा में स्नान करने, नर्मदा को निहारने और ताप्ती को याद करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इसे पुण्यदायिनी कहा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार मां ताप्ती को मुक्तिदायिनी और आदिगंगा भी कहा जाता है। कई भक्त अपने दिवंगत परिजनों की अस्थियों का विसर्जन भी ताप्ती में करते हैं। 
 
ताप्ती जयंती का पर्व सूर्यपुत्री, पतित पावनी मां ताप्ती नदी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ताप्ती नदी को सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव ने अपनी अत्यधिक गर्मी को शांत करने के लिए ताप्ती को धरती पर भेजा था। 'ताप्ती' नाम 'ताप' से आया है, जिसका अर्थ है गर्मी। मान्यता है कि यह नदी लोगों के सभी प्रकार के ताप यानी कष्ट, दुःख, पाप, शारीरिक पीड़ा हर लेती है। जो लोग शनि दोष से पीड़ित होते हैं, उन्हें ताप्ती में स्नान करने से राहत मिलती है।ALSO READ: दलाई लामा का चयन कैसे होता है? भारत के तवांग में जन्मे थे छठे दलाई लामा
 
ताप्ती नदी के बारे में 5 रोचक बातें: 
 
1. पश्चिम की ओर बहने वाली नदी: ताप्ती नदी भारत की उन गिनी-चुनी प्रमुख नदियों में से एक है जो पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर बहती है और अंत में अरब सागर में गिरती है। नर्मदा नदी भी पश्चिम की ओर बहती है।
 
2. उद्गम स्थल: इस मोक्षदायिनी तथा पवित्र नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई नामक स्थान से होता है।
 
3. पौराणिक उत्पत्ति: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ताप्ती नदी का जन्म सूर्य देव से हुआ था। उन्हें सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन कहा जाता है।
 
4. औषधीय गुण: कुछ स्थानीय मान्यताओं और अध्ययनों के अनुसार, ताप्ती के जल में कुछ औषधीय गुण पाए जाते हैं, विशेषकर त्वचा रोगों के निवारण में। कुछ विशेषज्ञ इसमें ज्वालामुखी प्रभाव के कारण गंधक जैसे खनिज लवणों की उपस्थिति का उल्लेख करते हैं।
 
5. तीन राज्यों से गुजरती है: ताप्ती नदी मध्य प्रदेश से निकलकर महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है, और अंततः गुजरात में खंभात की खाड़ी/ अरब सागर में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 724 किलोमीटर है। ताप्ती जयंती का पर्व इन सभी पौराणिक और भौगोलिक महत्वों को दर्शाता है, जिससे भक्तों को इस पावन नदी के प्रति अपनी आस्था और सम्मान प्रकट करने का अवसर मिलता है।
 
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