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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 16 अप्रैल 2025 (18:34 IST)

बड़ी खबर: जगन्नाथ मंदिर के ध्वज को ले उड़ा गरुड़, अनहोनी की आशंका

Bad Omen Or Divine Sig
Jagannath Temple Flag Miracle: ओड़िसा में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर का ध्वज बहुत ही विशेष माना जाता है। कहते हैं कि गुंबद पर लहराता ध्वज कई किलोमीटर से देखा जा सकता है। मंदिर का ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है। इस गुंबद के आसपास किसी पक्षी या विमान के उड़ने की घटना को अप्रत्याशित माना जाता है। खबर है कि एक गुरुड़ पक्षी रहस्यमय तरीके से जगन्नाथ मंदिर का पवित्र ध्वज उठा ले गया और आसमान में उड़ गया।

अनहोनी की आशंका या कोई संकेत:
इस घटना से किसी अनहोनी की आशंका वक्त की जा रही है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है किसमें कोई पक्षी ध्वज को लेकर उड़ता हुआ नजर आ रहा है। कोई इसे गरुड़ तो कोई चील बता रहा है। हालांकि वीडियो की सचाई की पुष्‍टि नहीं की जा सकती है। इस संबंध में मंदिर समीति की ओर से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि चील ने जिस ध्वज को अपनी चोंच में पकड़ रखा है वह जगन्नाथ मंदिर का नहीं किसी ओर मंदिर का हो सकता है। 
 
स्थानीय लोगों और ज्योतिष के अनुसार यह घटना किसी अपशकुन की ओर इशारा करती है। कहा जाता है कि वर्ष 2020 में आकाशीय बिजली के कारण ध्वज में आग लग गई थी। इसके बाद कोराना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। मान्यता अनुसार ध्वज से आने वाले भविष्‍य के संकेत मिलते हैं। 

गर्भगंजन बाना लेकर चील उड़ा है उसके बारे में जगन्नाथ मंदिर के पुजारी सौरव कुमार मोहंती जो कि झंडा बदलने का कार्य करते हैं, उनके अनुसार यह शुभ संकेत है जो गरुढ़ भगवान झंडा लेकर गया। यह कोई शुभ समाचार लाने वाला है।
 
18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा मंदिर: ऐसा माना जाता है कि जिस दिन किसी कारणवश इस ध्वज को नहीं बदला जाता, उस दिन यह स्थान अगले 18 वर्षों तक बंद रहेगा। इसलिए जगन्नाथ मंदिर का ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है।

भविष्यवाणी: जगन्नाथ मंदिर का झंडा कई बार गिरेगा और एक चक्रवाती तूफान के कारण झंडा समुद्र में जा गिरेगा। इसके बाद बुरा समय प्रारंभ होगा। मई 2019 में चक्रवाती तूफान फानी के कारण यह घटना घट चुकी है। इसके बाद मई 2020 में भी यह घटना घट चुकी है। मंदिर के शिखर पर और एकाश्म स्तंभ पर गिद्ध बैठेगा। कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के शिखर के आसपास कभी भी किस पक्षी को उड़ता नहीं देखा गया और न ही इसके आसपास कोई प्लेन या हेलिकॉफ्टर उड़ाया जाता है। लेकिन मंदिर के उपर जुलाई 2020 और इसके बाद दिसंबर 2021 में गिद्ध, चील और बाज‍ दिखाई दिए। मंदिर के शिखर, ध्वज, एकाश्म स्तंभ और नीलचक्र पर ये पक्षी बैठे हुए दिखाई दिए थे। 
ध्वज क्यों लहराता है हवा की विपरीत दिशा में? 
श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्‍चित ही आश्चर्यजनक बात है। यह भी आश्‍चर्य है कि प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है। ध्वज भी इतना भव्य है कि जब यह लहराता है तो इसे सब देखते ही रह जाते हैं। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है। आओ जानते हैं इसका पौराणिक कारण।
 
ध्वज के विपरीत दिशा में लहराने की कथा या कारण हनुमानजी से जुड़ी हुई है। हनुमानजी इस क्षेत्र की दशों दिशाओं से रक्षा करते हैं। यहां के कण कण में हनुमानजी का निवास है। हनुमानजी ने यहां कई तरह के चमत्कार बताए हैं। उन्हीं में से एक है समुद्र के पास स्थित मंदिर के भीतर समुद्र की आवाज को रोक देना। इस आवाज को रोकने के चक्कर में ध्वज की दिशा भी बदल गई थी।

एक बार नारदजी भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचे तो उनका सामना हनुमानजी से हुआ। हनुमानजी ने कहा कि इस वक्त तो प्रभु विश्राम कर रहे हैं आपको इंतजार करना होगा। नारदजी द्वार के बाहर खड़े होकर इंतजार करने लगे। कुछ समय बाद उन्होंने मंदिर के द्वार के भीतर झांका तो प्रभु जगन्नाथ श्रीलक्ष्मी के साथ उदास बैठे थे। उन्होंने प्रभु से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहाकि यह समुद्र की आवाज हमें विश्राम कहां करने देती है।
 
नारदजी ने यह बात बाहर जाकर हनुमानजी को बताई। हनुमानजी ने क्रोधित होकर समुद्र से कहा कि तुम यहां से दूर हटकर अपनी आवाज रोक लो क्योंकि मेरे स्वामी तुम्हारे शोर के कारण विश्राम नहीं कर पात रहे हैं। यह सुनकर समुद्रदेव ने प्रकट होकर कहा कि हे महावीर हनुमान! यह आवाज रोकना मेरे बस में नहीं। जहां तक पवनवेग चलेगा यह आवाज वहां तक जाएगी। आपको इसके लिए अपने पिता पवनदेव से विनति करना चाहिए।
 
तब हनुमानजी ने अपने पिता पवदेव का आह्‍वान किया और उनसे कहा कि आप मंदिर की दिशा में ना बहें। इस पर पवनदेव ने कहा कि पुत्र यह संभव नहीं है परंतु तुम्हें एक उपाय बताता हूं कि तुम्हें मंदिर के आसपास ध्वनिरहित वायुकोशीय वृत या विवर्तन बनाना होगा। हनुमानजी समझ गए।
 
तब हनुमानजी ने अपनी शक्ति से खुद को दो भागों में विभाजित किया और फिर वे वायु से भी तेज गति से मंदिर के आसपास चक्कर लगाने लगे। इससे वायु का ऐसा चक्र बना की समुद्र की ध्वनि मंदिर के भीतर ना जाकर मंदिर के आसपास ही घूमती रहती है और मंदिर में श्री जगन्नाथजी आराम से सोते रहते हैं।
 
यही कारण है कि तभी से मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है। इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है, जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी।
 
दूसरा यह कि इस कारण श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। यह भी आश्‍चर्य है कि प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है। ध्वज भी इतना भव्य है कि जब यह लहराता है तो इसे सब देखते ही रह जाते हैं। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।

नोट: यह खबर वहां के स्थानीय निवासियों और धार्मिक गुरुओं के द्वारा व्यक्त की जा रही आशंकाओं के आधार पर है।