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Last Updated : बुधवार, 14 जून 2023 (13:16 IST)

बिपरजॉय चक्रवात का द्वारिकाधीश के ध्वज से क्या है कनेक्शन, जानिए ध्वज के 10 रहस्य

बिपरजॉय चक्रवात का द्वारिकाधीश के ध्वज से क्या है कनेक्शन, जानिए ध्वज के 10 रहस्य - Dwarkadhish temple flag connection with biporjoy cyclone
Cyclone Biparjoy Update : चार धामों में से एक द्वारिका धाम का मंदिर लगभग 2 हजार से भी अधिक वर्ष पुराना है। गुजरात में स्थित श्री कृष्ण के इस मंदिर के कई रहस्य आज भी उजागर नहीं हुई हैं। हाल ही में गुजरात तट पर आए बिपरजॉय चक्रवात के बीच मंदिर के शिखर पर दो ध्वजा फहराए गए हैं जिसको लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें कही जा रही है।
 
बिपरजॉय चक्रवात का द्वारिकाधीश के ध्वज से क्या है कनेक्शन : कुछ लोग यह दावा कर रहे हैं कि चक्रवात से आई आपदा को दूर करने के लिए मंदिर के शिखर पर दो झंडे फहराए गए हैं, जबकि कुछ मीडिया रिपोटर्स में यह बताया जा रहा है कि ऐसी घटना इतिहास में पहली बार हुई है। जबकि पुजारियों का कहना है कि चक्रवात बिपोर्जॉय चक्रवात के कारण मंदिर के ध्वज स्तंभ पर ध्वजारोहण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पुराने ध्वज को नीचे छोड़ नया ध्वज फहराया गया है। ऐसे सुरक्षा कारणों से किया गया है जिसका कोई अन्य अर्थ नहीं निकालना चाहिए। 
 
उल्लेखनीय है कि द्वारकाधीश के मंदिर के शिखर पर प्रतिदिन 5 बार ध्वज फहराए जाते हैं। सोमवार की सुबह झंडा फहराया गया, उसके बाद पहले वाले ध्वज के नीचे नया वाला झंडा फहराया गया। चूंकि उपर चढ़कर पुराना झंडा निकालकर नया झंडा फहराना खतरे से खाली नहीं था इसलिए पुराने के नीचे ही नया फहरा दिया जिसकों लेकर चर्चा चल पड़ी की इस बार दो झंडे फहराये गए क्योंकि तूफान से बचना है।
 
द्वारिकाधीश के ध्वज के 10 रहस्य:
 
1. 52 गज है ध्वज : यह मंदिर 5 मंजिला है जो 72 खंभों पर स्थापित है। मंदिर का शिखर 78.3 मीटर ऊंचा है और शिखर पर करीब 84 फुट लम्बी धर्मध्वजा फहराती रहती है। यह भी कहा जाता है कि यह ध्वजा 52 गज की होती है।
 
2. ध्वज पर बने हैं सूर्य और चंद्र : इस धर्म ध्वजा में सूर्य और चंद्रमा बने हुए हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब तक इस धरती पर सूर्य चंद्रमा रहेंगे तब तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा। यह भी मान्यता है कि सूर्य और चंद्रमा को भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक मानते हैं इसलिए द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर सूर्य चंद्र के चिह्न वाले ध्वज लहराते हैं।
Secret of the Flag of Dwarka Temple
3. दस किलोमीटर से स्पष्ट दिखाई देता है ध्वज : यह ध्वज इतना ‍बड़ा है कि इसे आप 10 किलोमीटर दूरी से भी लहराता हुए देख सकते हैं। दूरबीन से इस पर बने चिन्ह को भी देखा जा सकता है।
 
4. पूर्व की ओर लहराता है ध्वज : मंदिर के शिखर पर ध्वज हमेशा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर लहराता रहता है। इस झंडे की खासियत यह है कि हवा की दिशा जो भी हो, यह झंडा हमेशा पश्चिम से पूर्व की ओर ही लहराता है।
 
5. दिन में 3 बार बदला जाता है ध्वज : यह भारत का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां पर दिन में 3 बार सुबह, दोपहर और शाम को 52 गज की ध्वजा चढ़ाई जाती है। कभी कभी इसे 5 बार भी बदला गया है।
 
6. दो साल इंतजार करना होता है श्रद्धालुओं को : यह ध्वजा श्रद्धालुओं की और से चढ़ाई जाती है और इसके लिए 2 साल तक की वेटिंग रहती है। मतलब यह कि श्रद्धालुओं के बीच इस ध्वजा को चढ़ाने को लेकर इतनी श्रद्धा और भक्ति है कि उसे चढ़ाने के लिए कई बार तो इन्हें 2 साल तक का इंतजार करना पड़ता है।
 
7. 52 गज ध्वज का रहस्य : ध्वज की लंबाई 52 गज इसीलिए है क्योंकि यहां पर 56 यादवों ने शासन किया था जिसमें कृष्‍ण, बलराम, अनिरुद्ध और प्रद्युम्न के अलग अलग मंदिर बनें हैं जहां पर उनके ध्वज लहराते हैं। बाकी बचे 52 यादों के प्रतीक के रूप में यह धर्म ध्वजा लहराती है। यह भी कहा जाता है कि 12 राशि, 27 नक्षत्र, 10 दिशाएं, सूर्य, चंद्र और श्री द्वारकाधीश मिलकर 52 होते हैं। एक और मान्यता है कि द्वारका में एक वक्त 52 द्वार थे। ये उसी का प्रतीक है।
 
8. अबोटी ब्रह्मण लहराते हैं ध्वज : मंदिर पर ध्वजा चढाने-उताने और दक्षिणा पाने का अधिकार अबोटी ब्राह्मणों को प्राप्त है। ध्वज बदलने के लिए एक बड़ी सेरेमनी होती है। नया ध्वज चढ़ाने के बाद पुराने ध्वज पर अबोटी ब्राह्मणों का हक होता है। इसके कपड़े से भगवान के वस्त्र वगैरह बनाए जाते हैं। मंदिर के इस ध्वज के एक खास दर्जी ही सिलता है।
 
9. ध्वज रहता है गायब: ध्वज उतारते और लगाते समय कुछ समय के लिए मंदर के शिखर से ध्वज गायब रहता है। जब ध्वज बदलने की प्रक्रिया होती है उस तरफ देखने की मनाही होती है।
 
10. सात रंगी होता है ध्वज : मंदिर के शिखर सतरंगी ध्वजा लगाया जाता है। श्रीकृष्ण के स्वरूप और व्यक्तित्व में यही सात रंग समाए हुए हैं। मुख्यत: ये रंग हैं- लाल, हरा, पीला, नीला, सफेद, भगवा और गुलाबी। लाल रंग उत्‍साह, स्‍फूर्ति और समृद्धि का प्रतीक है। हरा रंग प्रकृति, खुशहाली, आध्‍यात्मिकता और सुख-शांति का प्रतीक है। पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है। सफेद रंग शांति, पवित्रता और विद्या का प्रतीक है। भगवा रंग शूरवीरता, साहस और प्रगति का प्रतीक है। गुलाबी रंग मनुष्‍य के निर्मल स्‍वभाव और कांटों के बीच भी मुस्कुराते हुए खुशबू फैलाने का प्रतीक है। 
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