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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 23 जुलाई 2024 (17:13 IST)

Jhelum River : भारत की प्राचीन नदी झेलम के बारे में जानिए 5 रहस्य

Jhelum River : भारत की प्राचीन नदी झेलम के बारे में जानिए 5 रहस्य - Ancient Jhelum river of Kashmir
History of Jhelum: कश्मीरी भाषा में दरिया जेहलम को वितस्ता कहा जाता है। पंजाब में झेलम से लेकर चेनाब नदी तक राजा पोरस या पुरुवास का राज्य था। पोरस का कार्यकाल 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है। इस नदी ने इतिहास के कई पड़ाव और अपने भीतर निर्दोष लाशों के ढेर देंखे हैं।ALSO READ: भारत को छोड़कर इस देश में बहती है पुरानी गंगा नदी
 
'संसार में अगर कहीं स्वर्ग है,
तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।'
जहांगीर ने वितस्ता नदी के उद्गम को देखकर ऊपर का वचन कहा था।
 
1. सिन्धु की सहायक वितस्ता (झेलम) नदी के किनारे जम्मू व कश्मीर की राजधानी श्रीनगर स्थित है। झेलम नदी हिमालय के शेषनाग झरने से प्रस्फुटित होकर कश्मीर में बहती हुई पाकिस्तान में पहुंचती है और झांग मघियाना नगर के पास चिनाब में समाहित हो जाती है। यह नदी कश्मीर घाटी के बीच से निकलकर इसे दो हिस्सों में बांटती है। आज यह नदी गंदे नाले की शक्ल ले चुकी है।
 
4. वितस्ता (विवस्ता) के उद्गम स्थान को कश्मीरी लोग वेरीनाग कहते हैं। कश्मीरी भाषा में झेलम को 'व्येथ' कहा गया है और पंजाबी में इसे बीहत कहते हैं। यह पूर्व में पश्चिमी पाकिस्तान के प्रसिद्ध नगर झेलम के निकट से बहती थी इसीलिए इसे झेलम कहा जाने लगा।ALSO READ: Narmada nadi : नर्मदा नदी के 6 सबसे खूबसूरत घाट, जहां जाकर मन हो जाएगा प्रफुल्लित
 
2. झेलम का जो प्रवाह मार्ग प्राचीनकाल में था प्राय: अब भी वही है केवल चिनाब-झेलम संगम का निकटवर्ती मार्ग काफी बदल गया है। यह नदी 2,130 किलोमीटर तक प्रवाहित होती है। नैसर्गिक सौंदर्य की इस अनुपम कश्मीर घाटी का निर्माण झेलम नदी द्वारा ही हुआ है।
 
3. वितस्ता नदी के पास 14 मनुओं की परंपरा के प्रथम मनु स्वायंभुव मनु और उनकी पत्नी शतरूपा निवास करते थे। माना जाता है कि मानव की उत्पत्ति इसी नदी के पास हुई। वितस्ता को आजकल झेलम नदी कहा जाता है। इस नदी के पास ही पोरस और सिकंदर का युद्ध हुआ था। 
 
4. वितस्ता के उद्गम वेरीनाग के पास कई प्राचीन स्थान हैं। यहां खनबल के पास अनंतनाग नाम से सुंदर तालाब है। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में अनंतपुर नामक एक प्राचीन शहर दबा है। खनबल के आगे बीजब्यारा का प्राचीन मंदिर है। आगे चलकर यह नदी बारामुला पहुंचती है जिससे पहले ‘वराहमूलम्’ कहते थे।ALSO READ: सिंधु नदी की 10 अनसुनी और रोचक बातें
 
5. आगे यह नदी श्रीनगर पहुंचती है। घाटी में प्राचीनकाल के राजा ललितादित्ता के जमाने से ही नदी का पूजन होता था। पवित्र नदी के किनारों पर लोग पूजा के अलावा खनाबल से खादिनयार तक पूजा के दीये जलाते थे। इस नदी के किनारे बसे लगभग सभी प्राचीन मंदिरों को मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़कर नष्ट कर दिया है और पंडितों का नरसंहार किया।ALSO READ: नर्मदा नदी पर कितने बांध बना दिए गए हैं?