मंगलवार, 22 जुलाई 2025
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Written By WD

वही आग वही राख

आग राख  नन्दकिशोर आचार्य
नन्दकिशोआचार्
WDWD

हर बार जनमता हूँ मैं
अपनी ही राख से
क्योंकि हर बार मुझे


जल मरना है
अपनी ही आग से।

वही आग, वही राख!
इतिहास से कुछ नहीं सीखा?


भारी है इतिहास पर जीना
किसी को क्यों नहीं दिखा?
साभार: अक्षरा