मंगलवार, 22 जुलाई 2025
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Written By WD

मोती जैसे दमक रहे हो

मोती दमक रहे हो
अश्वघोष
WDWD

एक अजब सी उलझन मन में
जाने क्यों है पुलकन तन में

पता नहीं तुम कहाँ समाए
तुम्हें खोजते व्याकुल साए

तुम्हें देखकर आ जाता हूँ
सहसा ही मैं अपनेपन में

चंदा जैसा रूप तुम्हारा
मन में हिलता जैसे पारा

जब तक तुम प्राणों में रहते
तब तक रहती धड़कन तन में
WDWD

तुम फूलों में चमक रहे हो
मोती जैसे दमक रहे हो

तुम बिना सदा अँधेरा रहता
मेरे जीवन के आँगन में।


साभार : अक्षरा