- लाइफ स्टाइल
» - साहित्य
» - काव्य-संसार
मोती जैसे दमक रहे हो
अश्वघोष एक अजब सी उलझन मन मेंजाने क्यों है पुलकन तन मेंपता नहीं तुम कहाँ समाएतुम्हें खोजते व्याकुल साएतुम्हें देखकर आ जाता हूँसहसा ही मैं अपनेपन मेंचंदा जैसा रूप तुम्हारामन में हिलता जैसे पाराजब तक तुम प्राणों में रहतेतब तक रहती धड़कन तन में
तुम फूलों में चमक रहे होमोती जैसे दमक रहे होतुम बिना सदा अँधेरा रहतामेरे जीवन के आँगन में। साभार : अक्षरा