शिव बहादुर सिंह भदौरिया शिव बहादुर सिंह भदौरिया का जन्म रायबरेली जिले के धनीपुर ग्राम में हुआ। एम.ए., पी-एच.डी. करने के पश्चात इन्होंने पुलिस विभाग में कार्य किया। सम्प्रति कमला नेहरू डिग्री कॉलेज, तेजगांव, रायबरेली में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं। ये नवगीत विधा के प्रतिष्ठित कवि हैं। इनके काव्य-संग्रह हैं : 'शिञ्जिनी' तथा 'पुरवा जो डोल गई'। इन्होंने उपन्यास तथा समीक्षाएँ भी लिखी हैं।
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दूधिया चाँदनी फिर आई। मेरी पिछली यात्राओं के कुछ भूले चित्र- उठा लाई।
मैं मुड़ा अनेक घुमावों पर, राहें हावी थीं पाँवों पर, फिर खनका आज यहाँ कंगन, निर्व्याख्या है मन के कंपन, किन संदर्भों की कथा- काँपते तरू-पातों ने दुहराई। जादू-सा दिखे जुन्हैया में सपने बरसें अँगनैया में, त्रिभुवन की श्री मेरे आंगन- ज्यों सागर लहरे नैया में, नैया भी साथ खिवैया के छिन डूब गई, छिन उतराई।
सुन पड़ते शब्द बहावों के, दो पाल दिख रहे नावों के, धारा में बह-बहकर आते- टूटे रथ किन्हीं अभावों के, मेरी बाँहें तट-सी फैलीं, नदियाँ-सी कोई हहराई।