मंगलवार, 22 जुलाई 2025
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. काव्य-संसार
Written By WD

कब ऐसा सोचा था मैंने

सोचा था
देवमणि पांडेय
WDWD

कब ऐसा सोचा था मैंने मौसम भी छल जाएगा,
सावन भादों की बारिश में घर मेरा जल जाएगा,
रंजोगम की लंबी रातों! इतना मत इतराओं तुम,
निकलेगा कल सुख का सूरज अंधियारा टल जाएगा
अक्सर बातें करता था जो दुनिया की तब्दीली की,
किसे खबर थी वो दुनिया के रंगों में ढल जाएगा
नफ़रत की पागल चिंगारी कितनों के घर फूँक चुकी,
अगर न बरसा प्यार का बादल सारा शहर जल जाएगा
दुख की इस नगरी में आखिर रैन बसेरा है सबका,
आज रवाना होगा कोई और कोई कल जाएगा।

साभार : कथाबिंब