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Last Updated : गुरुवार, 25 नवंबर 2021 (14:53 IST)

खूबसूरत शायरा परवीन शाकि‍र के 10 खूबसूरत शेर

खूबसूरत शायरा परवीन शाकि‍र के 10 खूबसूरत शेर - Parveen Shakir, Parveen Shakir Shayari, Famous Sher,
भारत और पाकिस्‍तान में महिला शायर को मुश्‍किल से ही कामयाब हासिल हुई है या फिर शोहरत ही मिली है। लेकिन परवीन शाकि‍र एक ऐसा नाम हैं, जिन्‍हें भारत और पाकिस्‍तान दोनों देशों में सराहा गया। वे दोनों देशों में लोकप्रि‍य हुईं। आज भी उनके शेर पढ़े और सुने-सुनाए जाते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में और पढ़ते हैं कुछ खूबसूरत शेर।

परवीन शाकिर का जन्म 24 नवंबर 1952 को कराची में हुआ था। उनका मूल स्थान बिहार का ज़िला दरभंगा में स्थित लहरियासराय है।

उनके पिता शाकिर हुसैन साक़िब विभाजन के बाद कराची में रहने लगे थे। परवीन कम उम्र से ही शायरी करने लगी थीं। परवीन ने मैट्रिक रिज़विया गर्ल्स स्कूल कराची से और बीए सर सय्यद गर्ल्स कॉलेज से की।

साल 1972 में उन्होंने कराची यूनीवर्सिटी से एमए इंग्लिश की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्‍होंने भाषा विज्ञान में भी एमए किया। बाद में उन्होंने अबदुल्लाह गर्ल्स कॉलेज कराची में बतौर टीचर पढ़ाया। परवीन महिला शायरों में अपने अनोखे लहजे के लिए मशहूर रहीं।

हुस्‍न को समझने के लिए उम्र चाहिए जानां
दो घड़ी की चाहत में लड़कियां नहीं खुलतीं

कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की

अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झांके कोई

याद तो होंगी वो बातें तुझे अब भी लेकिन
शेल्फ़ में रक्खी हुई बंद किताबों की तरह

हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा

कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊंगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊंगी

बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए

ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार
मेरे रिसते हुए ज़ख़्मों के हिसाबों की तरह

मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी