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Last Updated : शनिवार, 20 नवंबर 2021 (15:24 IST)

दिल्‍ली पु‍स्‍तक मेले से पहले विवाद, मध्‍यप्रदेश के शि‍वना प्रकाशन ने किया नहीं जाने का फैसला

दिल्‍ली पु‍स्‍तक मेले से पहले विवाद, मध्‍यप्रदेश के शि‍वना प्रकाशन ने किया नहीं जाने का फैसला - Delhi book fair, shivana publication, pankaj subeer, pankaj subir
दिल्‍ली में आयोजि‍त होने वाले विश्‍व पुस्‍तक मेले की अभी शुरुआत भी नहीं हुई है, लेकिन यहां कुछ विषयों को लेकर विवाद सामने आने लगे हैं।

दरअसल, पुस्‍तक मेले में स्‍टॉल लगाने के खर्च को लेकर सीहोर के शि‍वना प्रकाशन ने अपनी नाराजगी दर्ज करते हुए दिल्‍ली मेले में अपनी किताबों की स्‍टॉल नहीं लगाने का फैसला किया है। शि‍वना प्रकाशन की तरफ से फेसबुक पर पोस्‍ट लिखते हुए इस बात की पुष्‍ट‍ि की गई है।

शि‍वना प्रकाशन की तरफ से इस पोस्‍ट में लिखा गया, इस बार नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में नहीं आने का शिवना प्रकाशन का निर्णय बहुत दुख के साथ लिया गया है। तीन स्टालों के लिए एप्लाय किया गया था, लेकिन जब नेशनल बुक ट्रस्ट का बिल आया तो उसे देख कर होश ही उड़ गए।

इस बारे में विस्‍तार से जानने के लिए शि‍वना प्रकाशन के संस्‍थापक पंकज सुबीर से वेबदुनिया ने चर्चा की। पंकज सुबीर ने चर्चा करते हुए बताया कि दरअसल, हमने दिल्‍ली पुस्‍तक मेले में अपनी उपस्‍थि‍ति के लिए किताबों के 3 स्‍टॉल्‍स के लिए आवेदन किया था, जिसका खर्च तकरीबन 1 लाख के आसपास होना चाहिए था, लेकिन उनकी तरफ से हमें 2 लाख का बि‍ल मिला है।

मेरा यह कहना है कि कोराना काल में वैसे ही लेखक, पाठक और प्रकाशक संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में रेट कम होना चाहिए, इसके उलट उन्‍होंने स्‍टॉल के रेट बढ़ा दिए, वहीं पहले खर्च को कम करने के लिए स्‍टॉल्‍स को क्‍लब करने की सुविधा हुआ करती थी, उसे भी नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा खत्‍म कर दिया गया है। ऐसे में अगर हम जैसा छोटा प्रकाशन वहां जाएगा, किताबों का ट्रांसपोर्टेशन, वहां मैनेज करना आदि में हमारा खर्च इतना बढ़ जाएगा कि हमारे लिए उसे वहन करना मुश्‍किल हो जाएगा। इसलिए हमने दिल्‍ली के पुस्‍तक मेले में नहीं जाने का फैसला किया है।

पंकज सुबीर ने बताया कि इसी तरह उनके पास कुछ दूसरे प्रकाशकों के भी फोन आए हैं, जिन्‍होंने इसे लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्‍होंने बताया कि नेशनल बुक ट्रस्ट को और दिल्‍ली पुस्‍तक मेले के आयोजकों को इस बारे में विचार करना चाहिए।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास का इतिहास
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) भारत की स्थापना 1 अगस्त, 1957 को शिक्षा मंत्रालय, के अंतर्गत भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा की गयी थी। आजकल यह भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन प्रकाशन समूह है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास का उद्देश्य हिन्दी, अंग्रेज़ी सहित सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में कम लागत पर अच्छे साहित्य प्रकाशित करना है। दिल्‍ली पुस्तक मेला का आयोजन भी साहित्य और किताबों के प्रचार-प्रसार के लिए होता है।
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