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Last Updated : मंगलवार, 11 जनवरी 2022 (17:35 IST)

देशभर में मनाया गया ‘सुरक्षित बचपन दिवस’

देशभर में मनाया गया ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ - Children in india, child rights, kailash satyarthi, rights of children
बच्‍चों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए देशभर में सुरक्षित बचपन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर पूरी दुनिया में बच्चों की आज़ादी और उनके बचपन को सुरक्षित करने का बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने संकल्‍प लेते हुए सैकड़ों ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन किया।

सुरक्षित बचपन दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों, खासकर युवाओं को बच्‍चों के शोषण के खिलाफ जागरूक करना और उन्हें दुनिया को बच्‍चों के अनुकूल बनाने के लिए प्रेरित करना है।

उल्‍लेखनीय है कि नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी के सपनों को साकार करने के लिए प्रत्‍येक वर्ष उनके जन्मदिन पर ‘सुरक्षित बचपन दिवस’ का आयोजन किया जाता है।

हर बार की तरह इस वर्ष भी विभिन्‍न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और कोरोना काल के दौरान बच्‍चों की खराब होती स्थिति एवं उनकी सुरक्षा के बाबत बाल अधिकार विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने व्‍यापक रूप से चर्चा की।

सुरक्षित बचपन दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम ‘मैं आजाद हूं’ परिचर्चा में उन बच्‍चों से मुलाकात कराई गई, जिन्हें बचपन बचाओ आंदोलन ने बाल दासता से मुक्‍त कराया और पढ़ने-लिखने की सुविधा उपलब्‍ध कराई।

इस अवसर पर मोहम्‍मद छोटू ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया ‘बंधुआ बाल मजदूरी से आजाद होने के बाद मैंने शिक्षा प्राप्त कर अपना जीवन संवारा है। अगर मेरी तरह देश के सभी लोग शिक्षित हो जाएं तो बहुत हद तक सामाजिक बुराइयां और अन्‍य समस्‍याएं अपने आप हल हो जाएंगी’

इसी क्रम में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ने बाल शोषण विषय पर आधारित राष्ट्रीय स्तर पर एक ‘ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता’ और ‘ऑनलाइन संगीत प्रतियोगिता’ का भी आयोजन किया, जिसमें देशभर के
स्‍कूल और कॉलेज में पढने वाले हजारों युवा प्रतिभागियों ने भाग लिया।

प्रतियोगिताओं में सर्वोत्‍तम प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को नकद ईनाम भी दिए जाने की घोषणा की गई।
सुरक्षित बचपन दिवस मनाने की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा- ‘कोरोना काल के दौरान बच्‍चों की ट्रैफिकिंग और बाल श्रम में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में सुरक्षित बचपन दिवस मनाकर हम लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे बच्‍चों के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनें।

समाज एकजुट होकर बच्चों को उनके अधिकार दिलाने की कोशिश करें। बाल श्रम और शोषण को रोकने के लिए आगे बढ़ें। इस अवसर पर पूरे देश में ऑनलाइन कार्यक्रमों के माध्‍यम से हमने बच्चों को शोषण मुक्त बनाने के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है’

कार्यक्रमों की अगली कड़ी में ‘संघर्ष जारी रहेगा’ नामक परिचर्चा का भी आयो‍जन किया गया। जिसमें उन पूर्व बाल मजदूर और अभी के नौजवान बाल नेताओं से बातचीत की गई, जिन्‍हें विभिन्‍न प्रकार के शोषण और गुलामी से आजाद कराया गया था।

आजाद होने के बाद इन बच्‍चों ने समाज में किस तरह की चुनौतियों का सामना किया और आज अन्‍य बच्चों को दासता से मुक्‍त कराने की मुहिम का कैसे नेतृत्व कर रहे हैं, बदलाव का वे कैसे वाहक बन रहे हैं, उस पर उन्‍होंने विस्‍तार से प्रकाश डाला।

बाल मजदूर से इंजीनियर बने शुभम राठौड़ ने कहा ‘हमारे देश और समाज को सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए बच्चों और युवाओं में पर्याप्त ऊर्जा और शक्ति है। मैं देश के युवाओं से एक बाल-सुलभ राष्ट्र और बाल मित्र दुनिया बनाने का आह्वान करता हूं’

बच्‍चों ने अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता कैलाश सत्‍यार्थी की प्रेरणा और बगैर सहयोग के वे सोच भी नहीं सकते थे कि बाल मजदूरी, ट्रैफिकिंग, बाल यौन शोषण, बाल विवाह, नशाखोरी, छुआछूत आदि से लोगों को मुक्ति दिलाएंगे और अपना भी जीवन संवारेंगे।

बचपन में फुटबाल सिलने वाली और अब पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई और शिक्षक बनने की तैयारी कर रहीं रुखसाना का कहना था ‘मेरा लक्ष्य शिक्षिका बनकर एक ऐसे स्कूल को स्थापित करना है, जहां दलित बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिले और लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा जा सके’
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