नेल्सन मंडेला : जन्मदिन विशेष
18 जुलाई : मंडेला दिवस आज
दुनिया में ऐसे योद्धा हुए जिन्होंनें साबित कर दिया कि जंग हथियारों के बिना भी लड़ी जा सकती है । ऐसे ही एक योद्धा हैं दक्षिण अफ्रीका से रंगभेद मिटाने वाले नेल्सन मंडेला। रंगभेद और नस्लवाद के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले मंडेला अपने पूरे संघर्ष के दौरान महात्मा गाँधी के बताए रास्ते पर चले । नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका का महात्मा गाँधी भी कहा जाता है। दोनों में कई बातें एक जैसी थी। दोनों ने बतौर बैरिस्टर अपने करियर की शुरूआत की और दोनों को ही रंगभेद के खिलाफ चलाए अपने अभियान के दौरान जोहांसबर्ग की कुख्यात फोर्ट जेल में सजा काटनी पडी। कम ही लोग इस बात को जानते होंगें कि दोनों के बीच कभी मुलाकात नहीं हुई। लेकिन दोनों नेताओं को आमतौर पर एक साथ 20 वीं सदी के ऐसे योद्धाओं के तौर पर जाना जाता है जिन्होंनें औपनिवेशवाद के खिलाफ सशक्त तौर पर संघर्ष किया।दोनों के बीच एक अंतर ये रहा कि मंडेला को वर्ष 1993 में शांति का नोबल पुरस्कार मिला जबकि महात्मा गाँधी को नहीं। महात्मा गाँधी की ही तरह अहिंसा और सत्याग्रह को अपना हथियार बनाने वाले मंडेला ने वर्ष 2000 में टाइम पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा था 'महात्मा गाँधी औपनिवेशवाद को उखाड़ फेंकने वाले क्रांतिकारी थे। दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता आंदोलन को मूर्त रूप देने में मैंने उनसे ही प्रेरणा पाई।मंडेला ने कहा था 'महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका के भी पुत्र थे। भारत ने दक्षिण अफ्रीका को जो गाँधी सौंपा वह एक बैरिस्टर था जबकि दक्षिण अफ्रीका ने उस गाँधी को महात्मा बनाकर भारत को लौटाया।' वर्ष 1999 में मंडेला को अहिंसा के वैश्विक आंदोलन के लिये गाँधी-किंग एडवर्ड पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें यह पुरस्कार महात्मा गाँधी की पौत्री इला गाँधी ने दिया। इस मौके पर इला ने मंडेला को महात्मा गाँधी का जीता जागता रूप और दक्षिण अफ्रीका के गाँधी की संज्ञा दी।मंडेला दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक तरीके से लड़े गए पहले चुनाव के बाद देश के राष्ट्रपति बने। देश से रंगभेद को दूर करने के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले मंडेला के जीवन के तीन से भी ज्यादा दशक जेल की काल कोठरियों में बीते। राष्ट्रपति बनने के बाद मंडेला ने कई बार इस बात का खुलासा किया कि जेल में रहने के दौरान वह अक्सर महात्मा गाँधी से जुडी किताबें और उनसे जुडी गतिविधियों का अध्ययन करते थे ।18
जुलाई 1918 को जन्मे मंडेला इन दिनों सक्रिय राजनीति को अलविदा कह कर अपने जन्मस्थान कुनु त्रांसकेई दक्षिण अफ्रीका में शांत जीवन व्यतीत कर रहे हैं।अपने पूरे जीवन में मंडेला ने हर तरह के प्रभुत्व का विरोध करके समानता की बात की। केपटाउन में 'लोगों के बीच संघर्ष फैलाने के आरोप' के मुकदमें के दौरान मंडेला ने कहा 'मैं न केवल गोरे लोगों के पशुत्व के बल्कि अश्वेतों के पशुत्व के भी खिलाफ हूँ। मैं एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज का समर्थक हूँ जिसमें सभी एक समान हों और सभी को एक समान मौके मिले। नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंडेला के जन्मदिवस 18 जुलाई को दुनिया भर में नेल्सन मंडेला दिवस के तौर पर मनाने संबंधी प्रस्ताव पारित किया था। इसी प्रस्ताव के तहत संयुक्त राष्ट्र इस वर्ष 18 जुलाई को पहली बार नेल्सन मंडेला दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र के न्यूयार्क स्थित मुख्यालय के अलावा दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।