आज तो भिया ..!!!
भोत लपक के बज री हे.
हऔ यार, भोत सइ पड़ रइ है,
पता पूछ रइ है आज तो.
तुम तो बस सूटर ही पेने हो,
जैकेट मेकेट नी पेनी.
मालूम थोड़ी था भिया,
ऐसी कस के पड़ेगी... पेनता हूं अब.
वो देखो, कैसा कंपकपा रिया है.
हां भिया , कट मार ही लेते हैं
बहुत ठंड बजरी है यार !
मेरे को तो पेलेई लग गिया था,
कि आज पडेगी....
जैकेट लेकेइ चला था.
शाम तक तो और रंग दिखाएगी.
भिया राओम और ... ठण्ड के क्या बोल बाले.
हाथ ही नी निकल रिया हे काका जेब से, तो क्या बोल बाले.
रिकाट तोड़ देगी काका !
ये दस बीस साल का.
हाँ, वो एक भिया बता रहे थे
पारा भोत उतर गिया है.
अरे काका ,
पड़ लेना पेपर में, कित्ता गिरा.
और बडे,
कश्मीर ही हो रिया है इन्दौर तो.
हाँ बड़े... तिब्बतियों की तो चेत गयी,
सब सूटर मूटर बिक जाएंगे.
हाँ उनकी चल री है,
बाकी तो सब ठण्डेइ पड़े हैं.
हाँ यार काका, सही कहा
काम धाम ई नी ए.
काँ भिया, तुम भी दुकानदारी ले के बैठ गये.
चलो जलेबी खाते हैं,
काका भजिये का भी बोल दो.
हां, सही है ! दुनिया जाए भाड़ में
अपन तो जलेबी खाओ आड़ में.