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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 13 मार्च 2025 (14:01 IST)

होली पर निबंध

Essay on Holi Festival in Hindi 2025
essay on holi : प्रस्तावना : होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च के महीने में पड़ती है। रंगों का त्योहार होली भारत के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार न केवल रंगों का उत्सव है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।ALSO READ: होली के 10 रोचक तथ्‍य जानकर चौंक जाएंगे
 
होली का इतिहास, कथा और महत्व: होली की उत्पत्ति हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद की पौराणिक कथा से जुड़ी है। हिरण्यकशिपु एक राक्षस राजा था, जो भगवान विष्णु से घृणा करता था, जबकि उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अग्नि में जलाने का आदेश दिया, लेकिन होलिका स्वयं जल गई और प्रह्लाद बच गए। इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। 
 
होली का त्योहार सामाजिक समरसता और एकता का प्रतीक है। यह सभी वर्गों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है। इस दिन लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और खुशियां मनाते हैं। चाहे होलिका दहन की परंपरा हो या रंगों से खेलने की होली की मस्ती, रंगपंचमी का त्योहार सभी को नए जोश और उत्साह से भर देता है।

हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार होली है, जिसे फागुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस पर्व में लोग आपस में क-दूसरे पर रंगों को फेंकते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं और तरह-तरह की मिठाइयों के साथ यह पर्व मनाया जाता हैं। 
 
होली के विभिन्न रूप: भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में होली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।ALSO READ: Holika Dahan 2025: होली पर चंद्र ग्रहण और भद्रा का साया, जानिए कब होगा होलिका दहन 2025 में?
 
• लठमार होली: उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है, जिसमें महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं।
 
• फूलों की होली: वृंदावन और मथुरा में फूलों की होली खेली जाती है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर फूल फेंकते हैं।
 
• रंग पंचमी: महाराष्ट्र में होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी मनाई जाती है, जिसमें लोग सूखे रंगों से होली खेलते हैं।
 
होली का आधुनिक स्वरूप या उपसंहार : आजकल, होली को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाने पर जोर दिया जा रहा है। प्राकृतिक रंगों और फूलों का उपयोग करके होली मनाने से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके अलावा, होली के दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जो हमें खुशी, उत्साह और एकता का संदेश देता है।

यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की याद दिलाता है और हमें सभी के साथ प्रेम और सद्भाव से रहने की प्रेरणा देता है। होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उमंग, उल्लास और भाईचारे का प्रतीकस्वरूप भी है। अत: इसे हमें बेहद सादगी से और प्रेमपूर्वक मनाना चाहिए, जिससे इसकी पवित्रता और सामाजिक महत्व हमेशा कायम रहे। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Holashtak 2025: होलाष्टक में रखें ये 8 सावधानियां