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Written By WD

कंप्यूटर पर हिन्दी का आगमन

कंप्यूटर पर हिन्दी का आगमन - Hindi On Computer
कंप्यूटर और मोबाइल पर हिन्दी को देखना–लिखना–पढ़ना आज भले ही आसान लगता हो लेकिन इसकी शुरुआत ऐसी नहीं थी। पश्चिमी देशों में सूचना प्रौद्योगिकी की शुरुआत होने के कारण इसकी भाषा अंग्रेज़ी ही रही और एक आम भारतीय इसके लाभों से सालों तक दूर ही रहा क्योंकि अंग्रेज़ी उसकी सहज भाषा नहीं थी। 
 
इसके समाधान के लिए भारत ने भी अपनी भाषा और लिपि में सॉफ़्टवेयर तैयार करने की दिशा में प्रयोग करना प्रारंभ किए। 1965 के आसपास हिन्‍दी भाषा और देवनागरी लिपि को लेकर कंप्यूटर पर काम शुरू हुआ और 1970 के बाद आशानुरूप सफलता मिलने लगी थी। 
 
ईसीआईएल हैदराबाद की एक कंपनी ने 1977 में हिन्‍दी में “फोर्ट्रान” नामक कंप्यूटर भाषा में एक प्रोग्राम चलाया, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि कंप्यूटर पर हिन्‍दी सबसे पहले 1977 में दिखाई दी थी।
 
आईआईटी कानपुर में सभी भारतीय भाषाओं के लिए उपयोग की जा सकने वाली एक बहुत सरल कुंजीपटल एवं उसकी प्रणाली तैयार की गई जिसका पहला प्रोटोटाइप टर्मिनल 1978 में तैयार किया गया। इसे नई दिल्ली में आयोजित तृतीय विश्व सम्मेलन में प्रस्तुत भी किया गया था। इसके विकास में आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ. आरएमके सिन्हा का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। बिरला विज्ञान और टेक्नोलॉजी संस्थान, पिलानी और डी.सी.एम., दिल्ली के संयुक्त प्रयास में प्रथम द्विभाषी कंप्यूटर ‘सिद्धार्थ’ का विकास 1980 के आसपास हुआ।
 
एप्पल ने 1997 में भारतीय भाषा किट प्रस्तुत करके हिन्‍दी में कार्य करना संभव किया। इसी दौरान 'मोटोरोला' कंपनी ने भारतीय भाषाओं में पेजर टेक्नोलॉजी के विकास के लिए मानक ISCII के ही अनुरूप 'ISCLAP (इंडियन स्टेंडर्ड कोड फ़ॉर लैंग्वेज पेजिंग) के मानक का विकास किया था जिसकी सहायता से संदेशों का आदान-प्रदान पेजर पर हिन्‍दी, मराठी और गुजराती में करना संभव हो पाया। 1998 में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी आईबीएम ने डॉस–6 का हिन्‍दी संस्करण तैयार किया।