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Written By WD

तमस : पुस्तक अंश

राजकमल प्रकाशन

तमस : पुस्तक अंश -
NDND
विगत दिनों राजकमल प्रकाशन ने बेहतरीन उपन्यासों की श्रृंखला प्रस्तुत की है। पेश है चर्चित पुस्ततमस का परिचय एवं प्रमुख अंश :

पुस्तक के बारे में
'तमस' भीष्म साहनी की, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कृति है। इस उपन्यास में आजादी के ठीक पहले भारत में हुए साम्प्रदायिकता के नग्न नर्तन का अंतरंग चित्रण है। 'तमस' केवल पाँच दिनों की कहानी है। वहशत में डूबे हुए पाँच दिनों की कहानी को भीष्म साहनी ने इतनी कुशलता से बुना है कि सांप्रदायिकता का हर पहलू तार-तार उद्घाटित हो जाता है और हर पाठक एक साँस में सारा उपन्यास पढ़ने के लिए बाध्य हो जाता है।

पुस्तक के कुछ अंश
'सुनते हैं सुअर मारना बड़ा कठिन काम है। हमारे बस का नहीं होगा हुजूर। खाल-बाल उतारने का काम तो कर दें। मारने का काम तो पिगरी वाले ही करते हैं।' पिगरी वालों से करवाना हो तो तुमसे क्यों कहते?'यह काम तुम्ही करोगे।'' और मुराद अली ने पाँच रुपए का चरमराता नोट निकाल कर जेब में से निकाल कर नत्थू के जुड़े हाथों के पीछे उसकपी जेब में ढूँस दिया था।'

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'रात को जिस देह को उत्तेजना और आग्रह के साथ वह लीजा की देह के साथ चिपकाए रहता था, इस समय वही देह उसे स्थूल और मांसल लग रही थी। लीजा को बहलाने के लिए वह केवल प्रेम का अभिनय कर रहा था, एक प्रकार का फर्ज अदा कर रहा था।'

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'सभी लोगों के बैठ जाने पर पुण्यात्मा जी धीरे-गंभीर आवाज में बोले, 'सबसे पहले अपनी रक्षा का प्रबंध किया जाना चाहिए। सभी सदस्य अपने-अपने घर में एक-एक कनस्तर कड़वे तेल का रखें, एक-एक बोरी कच्चा या पक्का कोयला रखें। उबलता हुआ तेल शत्रु पर डाला जा सकता है, जलते अंगारे छत पर से फेंके जा सकते हैं।'

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'पत्नी को लापरवाही से बाल खोलते देख बेदना भरी उन्माद की लहर नत्थू के तन-बदन में उठी और उसने पागलों की तरह अपनी पत्नी को बाँहों में भर लिया और उसके गाल, उसके होंठ, उसके बाल, उसकी आँख बार-बार चूमने लगा, यह भावावेग उत्तरोत्तर बढ़ता गया और उसका रोम अपनी पत्नी के गदराए और उसकी उत्तेजित साँसों में खोने लगा।'

***

'प्रकाशो की आँखें क्षण भर के लिए अल्लाह रक्खा के चेहरे पर ठिठकी रहीं, फिर उसने धीरे से मिठाई का टुकड़ा उठाया। टुकड़े को हाथ में ले लेने पर भी वह उससे उठ नहीं रहा था। प्रकाशो का चेहरा पीला पड़ गया था और हाथ काँपने लगा था मानो उसे सहसा बोध हुआ कि वह क्या कर रही है और उसका माँ-बाप को पता चले तो वे क्या कहेंगे। पर उसी वक्त आग्रह और उन्माद से भरी अल्लाह रक्खा की आँखों ने उसकी ओर देखा और प्रकाशो का हाथ अल्लाहरखा के मुँह तक जा पहुँचा।'

NDND
निष्कर्ष
भीष्म साहनी ने 'तमस' में आजादी से पहले हुए सांप्रदायिक दंगों को आधार बनाकर इस समस्या का सूक्ष्म विश्लेषण किया है और उन मनोवृत्तियों को उघाड़कर सामने रखा है जो अपनी विकृतियों का परिणाम जनसाधारण को भोगने के लिए विवश करती हैं।

तमस : उपन्यास
लेखक : भीष्म साहनी
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ : 312
मूल्य : 350 रु.