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Written By WD

कविता समाज का आईना होती है

कविता समाज का आईना होती है -
- नवीन रांगिया

WD
कहते हैं कविता समाज का आईना होती है जो हमारे आसपास घटता है या जो घटनाएँ हमारे मानस पर छाप छोड़ जाती है, वही विचार बनकर, शब्दों के वस्त्र-गहने पहने सजधजकर वापस समाज में लौट आती है।

यह एक नपा-तुला, रटा-रटाया साहित्यिक विचार या दृष्टिकोण है लेकिन वसुंधरा मिश्र की 'हर दिन नया' पढ़कर लगता है कि कविता एक ऐसा विचार है जो अपार, अनंत है। इस विषय का कोई अंत या कोई छोर दिखाई नहीं देता। यही महसूस होता है जब हम 'हर दिन नया' पढ़ते हैं।

वसुंधरा के सोचने का कैनवास बहुत विशाल है, असीम है। उनकी सोच की सीमाएँ टूटती जाती हैं और कविताएँ जन्म लेती रहती हैं और फिर शब्दों के घोड़ों पर सवार होकर इनकी (कवयित्री) की कविताएँ रिश्ते, प्रेम, स्त्री अस्तित्व, प्रकृति, एकांत और भी कई विचारों से गुजरती हुई एक स्त्री (वसुंधरा मिश्र) के अनुभवों का मेला बन जाती है।
  कहते हैं कविता समाज का आईना होती है जो हमारे आसपास घटता है या जो घटनाएँ हमारे मानस पर छाप छोड़ जाती है, वही विचार बनकर, शब्दों के वस्त्र-गहने पहने सजधजकर वापस समाज में लौट आती है।      


कविता 'स्त्री विचार' पुरुष प्रधान समाज में स्त्री संघर्ष और अपने ही विचार व अस्तित्व से लड़ने की दास्तान को बखूबी बयाँ करती है। अपने ही विचारों के कारावास में स्थापित की हुई कठपुतली किस तरह समाज के सफेदपोशों से अस्तित्व की लड़ाई लड़ती है। यही स्त्री विचार में है।

सामाजिक बेड़ियों में जकड़ी औरत और उसके खौफ की बात करती कविता 'सिले होंठ' वास्तव में एक ऐसी कहानी है जो शायद हर उस औरत की कहानी है जो इक्कीसवीं सदी की तो कहलाती है पर चहारदीवारी के अँधेरे में आजादी की एक साँस के लिए अपने घर की छतों में कोई छिद्र ढूँढती है जो उन्हें सीधे आसमान की निराकार स्वतंत्रता की ओर ले जाए।

इस कविता संग्रह में 'सूर्य का जन्म' एक अद्‍भुत कविता है जिसमें लेखिका अपने गर्भ से सूर्य के जन्म की कल्पना करती है जिसे पाठक स्वयं पढ़कर समझे तो अधिक बेहतर होगा।

'मौत की गवाही' मजदूर के संघर्षमय जीवन, उसकी भूख और उसके परिवार की स्थिति का जिक्र करती है। एक बारगी लगता है कि जैसे किसी कम्युनिस्ट ने कविता लिखी है पर अच्छी है। बहरहाल कविता संग्रह 'हर दिन नया' एक प्रगतिशील स्त्री के विचारों की अनुपम गठरी है जिसमें रिश्ते, स्पर्श, प्रकृति, प्रेम, वेदना, बाजारवाद और भी कई विषयों की नन्ही पु‍ड़िया बँधी है। पाठकों से निवेदन है कि इस गठरी को खोलें और सौंधी कविताओं की बयार का आनंद लें।

पुस्तक का नाम : हर दिन नया
लेखिका : वसुंधरा मिश्र
कीमत : 130 रुपए मात्र
प्रकाशक : सर्जना, शिवबाड़ी रोड, बीकानेर-334003