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Written By ND

आओ खुलकर सोचें

आओ खुलकर सोचें -
कपिल पंचोली
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बच्चों के सवालों का मतलब होता है वे चीजों को जानना चाहते हैं। तारों का टिमटिमाना, रात में फूलों का मुरझा जाना और चंद्रमा में किसी शक्ल का दिखना, उनकी अपनी दुनिया के सवाल होते हैं। बच्चों के इन सवालों के जवाब कई बार बड़ों के पास भी नहीं होते हैं।रवि लायटू या कहें कि आइवर यूशिएल की किताब 'नॉलेज खजाना भाग 1 और 2' बच्चों के ऐसे ही सवालों का जवाब है। किताबें बच्चों को
धीरे से विज्ञान की दुनिया की सैर करवा लाती हैं।

दुनिया की अनजानी जानकारियाँ धीरे से दिमाग में अटाकर रख लेने की बात सिखा जाती हैं। दोनों ही किताबों के अधिकांश विषय विज्ञान से निकले हैं, पर खास बात यह है कि इनसे बच्चों में जिज्ञासा जागती है। किताबें बच्चों को खुलकर सोचने का मौका देती हैं। अच्छा यह भी है कि किताब के लेखक खुद बच्चों की रुचि को जानते और समझते हैं और इसकी झलक किताबों में देखी जा सकती है।

स्कूल जाने वाले बच्चे मैथ्स में 99 और साइंस में 97 अंक तो ले आते हैं, पर इससे ही काम नहीं चलता है। महत्वपूर्ण होता है कि हम विविध विषयों में कितनी दिलचस्पी लेते हैं। घर के बगीचे के बारे में हमें कितना पता है, आसपास के पक्षियों के बारे में हमें कितना पता है, समाचार हम कितना ध्यान से सुनते हैं और ये तमाम बातें इस किताब में न कहकर भी कही गई हैं।

किताब को पढ़ना बोझिल न हो इसलिए आइवर यूशिएल में खुद चित्रों की मदद से भी बातों को समझाया। सामान्य ज्ञान की किताबें बच्चों के लिए खूब हैं, पर चीजों को विस्तार से कहने में और स्पष्ट करने में कई चूक हो जाती हैं जबकि आइवर यूशिएल के तरीके से चीजें दिमाग में बैठ जाती हैं। चित्रों के बिना समझना बच्चों के लिए थोड़ा मुश्किल होता है, पर किताब में इस मुश्किल का हल है।

इस लिहाज से भी दोनों किताबें उपयोगी हैं। इन किताबों में बच्चों के साथ ही माता-पिता के लिए भी रोमांचक जानकारी है।

  दुनिया की अनजानी जानकारियाँ धीरे से दिमाग में अटाकर रख लेने की बात सिखा जाती हैं। दोनों ही किताबों के अधिकांश विषय विज्ञान से निकले हैं, पर खास बात यह है कि इनसे बच्चों में जिज्ञासा जागती है। किताबें बच्चों को खुलकर सोचने का मौका देती हैं.....      
अक्सर बच्चे माता-पिता से प्रश्न पूछते हैं और माता-पिता का जवाब बच्चे को उस चीज से डराने के लिए भी होता है, ऐसा करने से बच्चों के मन में डर बैठ जाता है। इसके बजाय अगर उसे चीज सही तरीके से समझाई जाए तो वह ऐसे मान लेता है कि बड़ा होने पर भी बचपन की सीख उसके साथ चलती है।

'नॉलेज खजाना' बच्चों के सवालों का ऐसा जवाब है, जो जिंदगी भर उनके साथ चलेगा। अब जैसे ताश के पत्तों पर ईंट, पान, चिड़ी और हुकुम ही क्यों? ऐसी मजेदार जानकारी भी इस किताब में है तो हॉकी का यह नाम कैसे हुआ, यह भी। बच्चों की समझ विकसित करने में भी दोनों किताबें महत्वपूर्ण हैं। भाषा के स्तर पर भी किताब बच्चों के लिए अच्छी है।
पुस्तक : नालेज खजाना
लेखक : आइवर यूशिएल
प्रकाशक : किताबघर
मूल्य : प्रति पुस्तक 125 रू