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कविता संग्रह, जो वाक़ई ख़ास है...

कविता संग्रह, जो वाक़ई ख़ास है... - Poetry collection
कविता अभिव्यक्ति का ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा मन की भावनाओं को सुंदरता से व्यक्त किया जाता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में हृदय की मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द-विधान करती आई है, उसे कविता कहते हैं। हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के मतानुसार कविता का लोक प्रचलित अर्थ वह वाक्य है जिसमें भावावेश हो, कल्पना हो, लालित्य हो, पद हो तथा प्रयोजन की सीमा समाप्त हो चुकी है।

 
दरअसल, कविता में भाव तत्व की प्रधानता होती है। रस को कविता की आत्मा माना जाता है। कविता के अवयवों में आज भी इसकी जगह सबसे अहम है। प्राचीनकाल में कविता में छंद और अलंकारों को महत्वपूर्ण माना गया था, लेकिन आधुनिक काल में कविताएं छंद और अलंकारों से मुक्त हो गईं। कविताओं में छंदों और अलंकारों की अनिवार्यता ख़त्म हो गई और नई कविता का चलन शुरू हुआ। इस तरह मुक्त छंद या छंदहीन कविताओं की नदियां बहने लगीं। मुक्त छंद कविताओं में पद की ज़रूरत नहीं होती, सिर्फ़ एक भाव प्रधान तत्व रहता है।

 
आज की कविता में मनुष्य के मन में हिलोरें लेने वाली भावनाएं, उसके मस्तिष्क में उठने वाले विचार, कल्पनाएं और अनुभव प्रभावी हो गए और चंछ लुप्त हो गए। हां, इन कविताओं में एक लय होती है, भावों की लय, जो पाठक को बांधे रखती है।
 
कवि चेतन कश्यप की कविताएं भाव प्रधान कविताएं हैं। पिछले दिनों जयपुर के बोधि प्रकाशन ने उनका काव्य संग्रह 'ख़ास तुम्हारे लिए' प्रकाशित किया है। जितना दिलकश काव्य संग्रह का नाम है, इसमें शामिल कविताएं भी उतनी ही दिलकश हैं। 88 पृष्ठों के इस कविता संग्रह में 2 खंड हैं। पहले खंड का नाम 'सफ़र-हमसफ़र है जिसमें 27 कविताएं हैं। दूसरे खंड का नाम इसी पुस्तक के नाम पर है यानी 'ख़ास तुम्हारे लिए' और इसमें 42 कविताओं को शामिल किया गया है।

इन कविताओं में प्रेम है, वियोग है, मिलन की अभिलाषा है, टूटन है, बिखराव है और दरकते रिश्तों का दर्द है। और इस सबके साथ ही उम्मीद की एक ऐसी किरण भी है, जो ज़िंदगी के अंधेरे को मिटाने देने के लिए आतुर नज़र आती है। रोशनी की एक ऐसी चाह है, जो हर तरफ़ उजाला बनकर बिखर जाना चाहती है। कविताएं प्रेयसी को संबोधित करती हैं, कवि के हृदय से निकली भावावेश की नदी में प्रेयसी को बहा ले जाना चाहती हैं।
 

ऐसी ही एक कविता है-
 
साजो-सामान से
सज तो गया है
घर
तुम
आओ
रहो
तो प्राण-प्रतिष्ठा भी हो जाए...
 
काव्य सृजन के मामले में भी काव्य संग्रह उत्कृष्ट है। कविता की भाषा में प्रवाह है, एक लय है। कवि ने कम से कम शब्दों में प्रवाहपूर्ण सारगर्भित बात कही है। कविताओं में शिल्प-सौंदर्य है।

 
कवि को अच्छे से मालूम है कि उसे अपनी भावनाओं को किन शब्दों में और किन बिम्बों के माध्यम से प्रकट करना है और यही बिम्ब विधान पाठक को स्थायित्व प्रदान करते हैं। कविता में चिंतन और विचारों को सहज और सरल तरीके से पेश किया गया है जिससे कविता का अर्थ पाठक को सहजता से समझ आ जाता है। पुस्तक का आवरण भी आकर्षक है। काव्य-प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा कविता संग्रह है।
 
समीक्ष्य कृति : ख़ास तुम्हारे लिए
कवि : चेतन कश्यप
प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर
मूल्य : 100 रुपए