किसी भी आदमी के चेहरे पर दाढ़ी उसे मर्दाना, रौबदार, ताकतवर और विशिष्ट दिखने में मदद करती है। बहुत से लोगों पर यह बहुत अधिक आकर्षक लगती है। अब बात चाहे विलियम शेक्सपीयर की हो या अब्राहम लिंकन और ब्रैड पिट जैसे सुपरस्टार की, सभी की एक समय पहचान इनकी दाढ़ी रही है। सांता क्लॉज जैसे ऐतिहासिक चरित्र भी दाढ़ी के लिए जाने जाते हैं। लेकिन एक ओर जहां यह विशेषता साबित होती है तो दूसरी ओर किन्हीं परिस्थितियों में दाढ़ी आदमी को बहुत बड़ी मुसीबत में भी डाल सकती है।
दाढ़ी का ट्रांसप्लांट भी संभव : हालांकि दुनियाभर के लोगों में ज्यादातर लोगों की दाढ़ी कुदरती तरीके से बढ़ती चली जाती है, लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं जिनके बाल भी उनका साथ नहीं देते हैं। गंजे सिर वाले वे लोग भाग्यशाली हैं जो कि दाढ़ी का ट्रांसप्लांट करके लोकप्रियता बढ़ा सकते हैं। वर्ष 2008 से लेकर 2013 के बीच दाढ़ी का इतना क्रेज बढ़ा कि इस अवधि में 'बियर्ड ट्रांसप्लांट' 600 फीसदी तक बढ़ गए थे। संभव है कि आपको यह जानने की जिज्ञासा होगी कि यह कैसे किया जाता है? एक डॉक्टर हेयर फॉलीकल्स को सिर के घने स्थानों से लेकर चेहरे के उन स्थानों पर लगा देते हैं जहां पर बाल बहुत कम या होते ही नहीं हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में यह प्रक्रिया चार हजार डॉलर या इससे अधिक महंगी पड़ती है।
दाढ़ी उगाने का एक पसंदीदा नाम भी होता है जिसे अधिकृत भाषा में पोजोनोट्रॉफी कहा जाता है। ग्रीक भाषा के इस शब्द का अर्थ है 'बियर्ड फीडिंग'। इसकी जड़ या पोजोन (दाढ़ी) का उल्लेख उन लोगों के लिए किया जाता है तो इंसानी शरीर पर कहीं कम तो कहीं ज्यादा पैदा होती है। हालांकि तकनीकी रूप से इस शब्द का इस्तेमाल बड़ी-बड़ी मूछें, गलमुच्छों या कलमों और चेहरे के अन्य बालों के लिए किया जाता है, लेकिन इसे दाढ़ी से ज्यादा जोड़ा जाता है।
सबसे लंबी दाढ़ी का रिकॉर्ड... पढ़ें अगले पेज पर....
स्टेटस सिंबल : एक सर्वे में पाया गया है कि एक क्लीन शेवन पुरुष की तुलना में दाढ़ी वाले व्यक्ति को अधिक उम्र, अधिक सम्मानित, अधिक ताकतवर और अधिक ऊंचे ओहदे वाला समझते हैं। इस बात का कोई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण नहीं है लेकिन बहुत सारे देशों और संस्कृतियों में सदियों तक दाढ़ी मर्दानगी और ओहदे का प्रतीक रही है। अब्राहम लिंकन, कन्फ्यूशियस, चार्ल्स डिकेंस और कार्ल मार्क्स सारे लोग दाढ़ी वाले थे और वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि प्रागैतिहासिक काल में दाढ़ी अपने दुश्मनों को डराने, प्रकृति के तत्वों से चेहरे का सुरक्षित रखने और किसी दुर्घटना के समय इसका उपयोग एक गद्दे के तौर पर होता था।
बहुत लम्बी होना भी संभव : दुनिया में सबसे लम्बी दाढ़ी रखने का रिकॉर्ड हांस लांगसेथ नामक नार्वेजियन को है जिसने 1920 के दशक में यह रिकॉर्ड बनाया था। तब उनकी दाढ़ी 17.4 फीट नापी गई थी। फिलहाल सबसे लम्बी दाढ़ी रखने का रिकॉर्ड भारत के शमशेरसिंह के नाम पर है। उनके चेहरे के छह फुट लम्बे बालों के कारण उन्हें गिनीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था।
ज्यादातर लोग अपनी दाढ़ी के बालों को छह फुट से ज्यादा बढ़ने नहीं देते हैं और आजकल 17 फुट की तो बात ही और है। लेकिन अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि लोग अगर अपनी दाढ़ी को जीवन भर न कटाएं तो उनके दाढ़ी के बाल 27.5 फुट तक लम्बे हो सकते हैं। किसी न किसी कारण से काटे जाने से पहले ज्यादातर दाढ़ियां 4-5 फुट तक ही बढ़ पाती हैं।
अलर्जी से रोकथाम संभव : दाढ़ी केवल अच्छी ही नहीं दिखाई देती है वरन यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी लाभदायक होती है। हमारे चारों ओर हवा में प्रदूषक तत्व घूमते रहते हैं, लेकिन दाढ़ी धूल और पराग कणों से रक्षा करती है और इनका नाक पर सीधा हमला रोकती है जिससे नथुनों और फेफड़ों में खुजली नहीं हो पाती है। धूल, पराग कणों को तब तक रोके रखते हैं जबकि आप अपना चेहरा नहीं धोते हैं। बेहतर तो यही होगा कि एलर्जी के कणों को शरीर में जाने से पहले दाढ़ी में ही रोक लिया जाएं। यह आपके शरीर की सर्दी से भी रक्षा करती है।
कुलीनता की निशानी है दाढ़ी... पढ़ें अगले पेज पर...
प्राचीन मिस्र में कुलीनता की निशानी : प्राचीन मिस्र में केवल उन्हीं लोगों को दाढ़ी रखने का अधिकार होता था जो कि समाज के सबसे ऊंचे तबके के हों। बहुत सारे लोग दाढ़ी बढ़ाते थे, उन्हें मेहंदी से रंगते थे और अतिरिक्त सजावट के तौर पर सोने के धागों का इस्तेमाल किया जाता था। मिस्र के ताबूतों में धातु की नकली दाढि़यां भी रखी जाती थीं लेकिन यह केवल राजाओं के साथ ही रखी जाती थीं। इस तरह की नकली दाढ़ियों का केवल फैशन नहीं था वरन वे ऊंचे पद और धार्मिकता की निशानी मानी जाती थीं इसलिए महिला फरोहाओं को भी ऐसी दाढ़ियां लगा दी जाती थीं।
दार्शनिकता से जुड़ाव : प्राचीन रोम में दार्शनिकों को उनकी दाढ़ी के कारण जाना जाता था और यह उनके पेशे के बारे में भी बताती थी। यह कोई फैशन स्टेटमेंट नहीं था क्योंकि रोम के ज्यादातर निवासी बिना दाढ़ी, मूंछों के रहते थे। लेकिन दाढ़ी होने से यह माना जाता है कि वे सामाजिक मान्यताओं को महत्व नहीं देते हैं और उन्होंने अपना जीवन ही अध्ययन को समर्पित कर दिया है।
विभिन्न प्रकार के दार्शनिकों की अलग-अलग किस्म की दाढ़ी होती थी। जो लोग सिनिक्स होते थे वे लम्बी, गंदी दाढ़ियां रखते थे, जबकि तापसी प्रवृत्ति के लोग इन्हें साफ रखते थे और कभी-कभी काट भी लेते थे जबकि पथिक लोग अपनी दाढ़ी को बहुत साफ रखने को लेकर सतर्क होते हैं। लेकिन जब सम्राट डोमेतियों ने सत्ता संभाली तो दार्शनिकों और उनकी दाढ़ी को रोम से बाहर कर दिया। वह मात्र 15 वर्ष तक सत्ता में रहा और अंत में उसकी हत्या कर दी गई थी।
त्वचा के लिए किस तरह उपयोगी है दाढ़ी... पढ़ें अगले पेज पर...
त्वचा की बेहतरी सुनिश्चित होगी : अगर आप धूप के धब्बों और त्वचा के अंदर बढ़ने वाले बालों से नफरत करते हैं, तब आपको दाढ़ी रखनी चाहिए। दाढ़ी के कारण सूर्य की 95 फीसद हानिकारण किरणों को चेहरे से हटा दिया जाता है जिससे कैंसर जैसे रोग से बचा जा सकता है और बढ़ती उम्र के निशानों को छिपाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग दाढ़ी रखते हैं, उन्हें क्लीन शेवन लोगों की तुलना में केवल एक तिहाई धूप को सहन करना पड़ता है। लेकिन जिनकी दाढ़ी बहुत घनी होती है, उनको त्वचा में जलन, मुहांसे और रेजर के इस्तेमाल करने पर पड़ने वाले संक्रमण से फोड़े, फुंसी नहीं होती हैं।
मात्र दस दिनों में बेहतर दिखिए : इवोल्यूशन एंड इकॉलाजी रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि महिलाएं उन पुरुषों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं जिनकी दाढ़ी दस दिनों तक बढ़ी होती है। ऐसा करने के लिए जरूरी है कि आप प्रत्येक नौ दिनों बाद अपनी दाढ़ी को लगातार आकर्षक बनाए रखते हैं।
व्यक्तित्व और विशेषता का हिस्सा : बिल्ली के चेहरे पर करीब 24 बालों वाले गलमुच्छ होते हैं। कुत्ते के चेहरे पर करीब 40 बाल होते हैं जबकि इसकी तुलना में मनुष्य के चेहरे पर करीब 30 हजार बाल होते हैं। अपने पूरे जीवन में एक आदमी को 900 से लेकर 3000 घंटे तक शेविंग पर खर्च करना पड़ता हैं। लेकिन इसकी तुलना में एक दाढ़ी उगाना निसंदेह तौर पर लाभदायी होता है।
एक टक देखने की प्रतियोगिता में लाभदायक होती है : अगर कहीं घूरने या एक टक देखने की प्रतियोगिता हो तो दाढ़ी वाले प्रतियोगियों की जीतने की संभावना 63 फीसदी अधिक होती है। इस तथ्य को कैसे नापा गया है, इस बारे में कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं है। ज्यादातर लोग एक मिनट में पंद्रह बार पलकें झपकाते हैं। ऐसी प्रतियोगिताओं का एक सफल विजेता फेरगल फ्लेंमिंग था जिसने पूरे 40 मिनट और 59 सेकंड तक पलकें नहीं झपकाई थीं। क्या उन्होंने दाढी रखी थी, निश्चित तौर पर उन्होंने दाढ़ी रखी थी लेकिन इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके प्रतियोगी ने रखी थी या नहीं।
इतना ही नहीं, दुनिया में एक वैश्विक चैरिटी आंदोलन चलाया जा रहा है जोकि लोगों को लम्बे समय तक सुखद तरीके से स्वस्थ रहने का संदेश देता है। इसका कहना है कि नवंबर के महीने में कोई शेविंग नहीं। प्रत्येक वर्ष के नवंबर माह में लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है कि अपने रेजर्स और इलेक्ट्रिक शेवर्स का त्याग करें। यह इसलिए ताकि लोगों में प्रोस्टेट कैंसर, टेस्टिकुलर कैंसर, मेंटल हैल्थ और शारीरिक काम करने में आलस को त्यागें। उनका कहना है कि इस माह में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इन बीमारियों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और अपनी जांच कराना चाहिए।
यह आंदोलन लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि वे शेविंग सप्लाई पर होने वाले खर्च की राशि को दुनिया के स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों को दान करें। विदित हो कि वर्ष 2003 के बाद द मोवेम्बर फाउंडेशन ने 65 करोड़ डोलर एकत्र किए और इनसे एक हजार स्वास्थ्य परियोजनाओं को संचालित किया।