How much protein should one take: वर्कआउट के बाद शरीर की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जिम जाने वालों को उनके ट्रेनर प्रोटीन पाउडर लेने की सलाह देते हैं। इसी के साथ तमाम तरह के फूड सप्लीमेंट को भी सजेस्ट करते हैं। परंतु क्या अतिरिक्त प्रोटीन लेना चाहिए या नहीं। लेना चाहिए तो कितना है प्रोटीन हमारे शरीर के लिए जरूरी?
कितना प्रोटीन लेना चाहिए?
शिशु : 10 ग्राम प्रोटीन
बच्चे : 19 से 34 ग्राम प्रोटीन।
टीनएज : लडके 52 ग्राम लड़कियों 46 ग्राम प्रोटीन।
युवा : पुरुष 56 ग्राम प्रोटीन महिला 46 ग्राम प्रोटीन।
शरीर के लिए प्रोटीन क्यों जरूरी?
प्रोटीन एक माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो शरीर के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। बाल, आंखें, मसल्स, स्किन, हार्मोन, सेल्स ये सभी प्रोटीन के फॉर्म हैं। इसके अलावा प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं को रिपेयर करने का काम भी करता है। हमारा शरीर हर दिन थोड़ा-थोड़ा प्रोटीन तोड़ता है। यदि शरीर में इसकी कमी हो जाए तो मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। घाव भरने में देरी होती है। बाल पतले होने लगते हैं। इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। आंखों में भी कमजोरी आ जाती है। स्किन ड्राई होने लगती है। शरीर में पैरों में सूजन, थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है। पोषण संबंधित विकार क्वाशियोरकर हो जाता है।
प्राकृतिक प्रोटीन : मीट, पनीर, दही, मछली, दाल, सोयाबीन, चावल, चिकन, ड्राई फूड, मूंगफली, टोफू, चना, कद्दू के बीज, फूल गोभी, हरी मटर, पालक, मशरूम, शतावरी और सुंदरी की फलियों में हाई प्रोटीन होता है।
मानव निर्मित प्रोटीन पाउडर : यदि यह दूध और सोया से बनता है तो बेहतर है परंतु कई बार इसे अन नेचुरल तरीके से सिर्फ मसल्स बनाने के लिए ही किया जाता है। प्रोटीन कंसंट्रेट, प्रोटीन आइसोलेट्स और प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड नाम से प्रोटीन बनाए जाते हैं। इसके अलावा प्रोटीन के प्रकार हैं- व्हे प्रोटीन जो पनीर से बनता है। कैसीन प्रोटीन जो दूध से बनता है। मटर प्रोटीन जो मटर से बनता है। एक प्रोटीन जो अंडे से बनता है। भांग प्रोटीन जो भांग के पौधे से बनता है।
हमें प्राकृतिक प्रोटीन की जरूरत है न कि मानव द्वारा निर्मित प्रोटीन पाउडर की।
दो हाई प्रोटीन : दो हाई प्रोटीन फूड को एक साथ खाने से आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। इससे मोटापे के साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ेगा और तब आपको कई तरह के रोग हो सकते हैं। इसके चलते घट माइक्रोब्स यानी माइक्रोबियल इंबैलेंस हो रहा है। हिन्दी में इसे कहते हैं शरीर में सूक्ष्म जीवाणुओं का असंतुलित होना। इसके कारण किडनी, लिवर रोग, कैंसर, अल्सर आदि कई रोग हो रहे हैं। इससे नेचुरल इम्यूनिटी गड़बड़ा जाती है।
वर्कआउट के बाद प्रोटीन पाउडर लेने से इंसुलिन में बढ़ोतरी होती है, इस तरह नियमित रूप से इंसुलिन में होने वाली यह बढ़ोतरी आगे जाकर सेहत को नुकसान पहुंचाती है।
जिम में वर्कआउट करने वालों के लिए मसल्स के लिए तैयार किए गए प्रोटीन से नुकसान हो सकता है क्योंकि इसे जिस प्रकार से तैयार किया जाता है, वो शरीर को नुकसान ज्यादा पहुंचाता है। इस तरह के प्रोटीन पाउडर्स में कई तरह के हारमोंस और बायोएक्टिव पेपटिड्स होते हैं। जिन्हें लेने पर सीबम निर्माण बढ़ जाता हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से मुंहासों की समस्या भी बढ़ सकती है।
प्रोटीन पाउडर लेने से शरीर में न्यूट्रिशन का असंतुलन हो सकता है। कई कंपनियों के प्रोटीन पाउडर में विषाक्त पदार्थ होते हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं और उन्हें लेने से सिरदर्द, फेटीग यू, कब्ज और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है।