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Last Updated : शनिवार, 1 जनवरी 2022 (17:20 IST)

इनफर्टिलिटी की समस्या- पुरुष भी समान रूप से जिम्मेदार

इनफर्टिलिटी की समस्या- पुरुष भी समान रूप से जिम्मेदार - infertility in man
डॉ ऋषिकेश पाई
कंसल्‍टेंट गायनाकॉलॉजिस्‍ट और इनफर्टिलिटी स्‍पेशलिस्‍ट

पुरुष इनफर्टिलिटी के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं।

पुरुष इनफर्टिलिटी के बारे में भ्रांतियां हैं : इनफर्टिलिटी को लेकर समाज में कई भ्रांतियां हैं। भारतीय सामाजिक मानदंडों में प्रजनन क्षमता का एक महत्वपूर्ण स्थान है जिसमें बच्चे पैदा करने पर जोर दिया जाता है और अंततः: समाज हमेशा महिलाओं को गर्भधारण करने में असमर्थता के लिए दोषी ठहराता है। वास्तव में डब्ल्यूएचओ के अनुसार सामान्य आबादी में इनफर्टिलिटी की व्यापकता 15 से 20 प्रतिशत है जिसमें पुरुष इनफर्टिलिटी कारक का योगदान 20 से 40 प्रतिशत है। शोधकर्ताओं के अनुसार पुरुष इनफर्टिलिटी का दर लगभग 23% है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में पिछले कुछ वर्षों से पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है।

इनफर्टिलिटी क्या है?

इनफर्टिलिटी एक प्रजनन समस्या है, जो असुरक्षित यौन संबंध के 12 महीने या उससे अधिक समय के बाद भी गर्भावस्था के विफलता का कारण बनता है —International Committee for Monitoring Assisted Reproductive Technology, World Health Organization (WHO).

पुरुष इनफर्टिलिटी

पुरुष इनफर्टिलिटी के कई कारण हैं, जैसे कि शुक्राणु में कमी, शुक्राणु का कम उत्पादन, शुक्राणु के असामान्य कार्य में लेकर रुकावट या शुक्राणु के वितरण मार्ग की रुकावट आदि। जननांग पथ की चोट या संक्रमण के कारण ऐसी कई समस्याएं हो सकती हैं। अन्य बाहरी कारक भी इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं, जैसे धूम्रपान, अत्यधिक शराब का पीना, खराब आहार का सेवन, कम व्यायाम, मोटापा, तनाव और कुछ रसायनों या कीटनाशकों के संपर्क में आना। बीमारियां, चोटें, पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं और बदलती जीवनशैली पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्याओं में इजाफ़ा कर सकती हैं।

लक्षण

जब लक्षण का पता चलता है तो भारतीय सामाजिक मानसिकता सही समय पर मदद मांगने में देरी करती है। कुछ मामलों में पुरुष, समाज में गलतफहमी या शर्मिंदगी के डर से अपने स्वयं के प्रजनन परीक्षण से गुजरने से हिचकिचाते हैं। यही कारण है कि पुरुषों और महिलाओं को अपने प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति समान रूप से जागरूक होने की आवश्यकता है। पुरुषों को यौन क्रिया संबंधी समस्याओं का इलाज कराने में संकोच नहीं करना चाहिए। वीर्य स्खलन में कठिनाई या स्खलन द्रव की कम मात्रा, यौन इच्छा में कमी या इरेक्शन बनाए रखने में कठिनाई (स्तंभन दोष) ये सब लक्षण पुरुष इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा वृषण क्षेत्र में दर्द, सूजन या गांठ जैसी असामान्यताओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

पुरुष इनफर्टिलिटी का निदान कैसे करें?

अच्छी खबर यह है कि जितनी जल्दी आप किसी विशेषज्ञ के पास जाते हैं, उतनी ही जल्दी आप समस्या का निदान और समाधान कर सकते हैं। शारीरिक परीक्षण, रक्त परीक्षण, सामान्य हार्मोन परीक्षण और वीर्य विश्लेषण सहित आपके संपूर्ण चिकित्सा इतिहास का निदान किया जाता है। वीर्य विश्लेषण (क्या शुक्राणु अच्छी तरह से काम कर रहा है और क्या वे गतिशील हैं?) शुक्राणु के गठन और शुक्राणु की गतिशीलता के स्तर को देखता है। हालांकि इसमें परिणाम चाहे जो भी हो, भले ही वीर्य परीक्षण में शुक्राणुओं की संख्या कम हो या शुक्राणु न हों, उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं।

इसके बाद ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड, टेस्टिकुलर बायोप्सी (इनफर्टिलिटी के कारण को खत्म करने के लिए सहायक प्रजनन तंत्र में उपयोग के लिए शुक्राणु का संग्रह), हार्मोनल प्रोफाइल और पोस्ट-स्खलन मूत्र विश्लेषण (यह पता लगाने के लिए कि शुक्राणु मूत्राशय में पीछे हट रहे हैं या नहीं?) जैसे उपचार विकल्प भी शामिल हैं।

पुरुष इनफर्टिलिटी का निदान करने में मदद करने के लिए सबसे उन्नत तकनीकों में से एक है शुक्राणु का डीएनए विखंडन परीक्षण। यह परीक्षण शुक्राणु की आनुवांशिक सामग्री में किसी भी समस्या का आकलन करने के लिए किया जाता है, क्योंकि यह ये पता लगा सकता है कि शुक्राणु में कोई डीएनए क्षति तो नहीं है? इसके अलावा पुरुष बांझपन के कारण का अध्ययन करने के लिए स्पर्म एनुप्लोइडी टेस्ट (सैट) किया जा सकता है। यह शुक्राणु के नमूने में गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं को दर्शाता है।

इलाज

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण डॉक्टर उन कारकों से दूर रहने की सलाह देते हैं, जो बांझपन का कारण बनते हैं, जैसे कि धूम्रपान और शराब छोड़ना, जीवनशैली में बदलाव करना, जो मधुमेह, मोटापा आदि को नियंत्रित करते हैं। इसके बाद प्रजनन पथ में विभिन्न संक्रमणों से संबंधित एंटीबायोटिक उपचार की सिफारिश की जाती है।

संभोग समस्याओं का इलाज दवा या परामर्श के रूप में किया जाता है, जो स्तंभन दोष या शीघ्रपतन जैसी स्थितियों में प्रजनन क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकता है। अंडकोष की रुकावट के कारण एज़ोस्पर्मिया (शून्य शुक्राणुओं की संख्या), ओलिगोस्पर्मिया (सीमित शुक्राणु उत्पादन) जैसी समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। यह एक ऐसी तकनीक है, जहां डॉक्टर अंडकोष से शुक्राणु प्राप्त कर सकते हैं।

सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) में विभिन्न उपचार उपलब्धि दुनियाभर में बांझपन से जूझ रहे हजारों जोड़ों के लिए एक वरदान बनी है। पुरुष बांझपन के उपचार के लिए सबसे लोकप्रिय सहायक प्रजनन तकनीक में इंट्रायूटरिन इन्सेमिनेशन (IUI), इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) हैं। उन्हें उपचार प्रक्रिया में सामान्य स्खलन, सर्जिकल निष्कर्षण या दाता व्यक्तियों से शुक्राणु प्राप्त करना शामिल है।

आईवीएफ में अंडाशय से अंडा निकाला जाता है और प्रयोगशाला स्थितियों में शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता है और निषेचित अंडे (भ्रूण) को वापस गर्भाशय में फिर से प्रत्यारोपित किया जाता है। आईयूआई में स्पर्म को एक विशेष ट्यूब की मदद से महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।

इस विधि का उपयोग केवल तभी किया जाता है, जब पुरुष साथी के शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम होती है, शुक्राणु की गतिशीलता कम होती है या प्रतिगामी स्खलन होता है। आईसीएसआई एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शुक्राणु और अंडे दोनों संबंधित साथी से प्राप्त किए जाते हैं और फिर एक शुक्राणु को अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

अब पुरुष इनफर्टिलिटी जैसी समस्याओं से निपटने वाले जोड़ों की मदद के लिए माइक्रो-टीईएसई, आईएमएसआई और स्पर्म वीडी क्रायोप्रिजर्वेशन डिवाइस जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियां भी उपलब्ध हैं।
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