युवावस्था में पित्त की प्रतिक्रिया मुँहासों के रूप में सामने आती है। यह हारमोनल असंतुलन से भी हो सकता है या किसी दवा के साइड इफेक्ट से भी। वजह जो भी हो, पित्त को संतुलित करना बहुत आवश्यक है।
इसके तरीके इस तरह से हैं-
बहुत सी जड़ी-बूटियाँ हैं जो जिस्म को डीटॉक्सीफाई करती हैं। जैसे करेले का जूस, नींबू, घींगवार का जूस, बेल का शरबत बिना शकर के इनका सेवन करें। मगर योग्य चिकित्सक की देखरेख में यह करें।
बहुत से अनाज भी मुँहासे भगाने का काम करते हैं जैसे ब्राउन राइस, जौ आदि।
वजन कम करने के लिए भी जौ अच्छा अनाज है। साथ ही इन दोनों अनाजों में आयरन, बी-कॉम्प्लेक्स व अन्य खनिज भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
फलों में तरबूज, खरबूजा, सेब, मौसमी आदि सभी पित्त प्रकृति के लिए अच्छे हैं। मुँहासों को शरीर से दूर रखने के लिए आमतौर पर आप सभी फल ले सकते हैं लेकिन बेहतर होगा कि आम से बचें।
* सभी सब्जियाँ ठंडी प्रकृति की होती हैं। इसलिए शरीर को ठण्डा करने के लिए सभी सब्जियाँ खाई जा सकती हैं। इनसे मुँहासे भी साफ होते हैं। जहाँ तक सब्जियों के जूस का ताल्लुक है, तो लौकी का जूस, पेठा जूस और बंदगोभी का जूस पित्त प्रकृति के लिए बहुत अच्छे हैं।