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Last Updated : बुधवार, 4 सितम्बर 2024 (20:06 IST)

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को लग सकता है तगड़ा झटका

Haryana Election
Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के लिए अच्छी खबरें नहीं हैं। माना जा रहा है कि चुनाव में भाजपा को झटका लग सकता है। भाजपा राज्य में 10 साल से सत्ता में है और पिछली बार दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के सहयोग से सरकार बनाई थी। हालांकि इस बार उसका गठबंधन जेजेपी के साथ टूट चुका है। दूसरी ओर, कांग्रेस इस बार मजबूत होकर उभरती दिख रही है। जिस तरह लोकसभा के चुनाव परिणाम आए थे, उससे कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसके साथ ही यदि उसका आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन हो जाता है तो उसकी संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। हालांकि सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। 
 
इस बार किसान आंदोलन के चलते भाजपा को 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने एंटी इन्कम्बेंसी से पीछा छुड़ाने के लिए मनोहर लाल खट्‍टर को बदलकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री तो बना दिया, लेकिन वे राज्य कुछ खास असर नहीं छोड़ पाए। दूसरी ओर, जाट कम्युनिटी भी भाजपा से खुश नजर नहीं आ रही है। भाजपा को 2019 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटें मिली थीं। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। ALSO READ: क्‍या हरियाणा के राजनीतिक अखाड़े में उतरेंगे विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया, क्‍यों की राहुल गांधी से मुलाकात?
 
सर्वेक्षण में पिछड़ी भाजपा : हाल ही में कुछ सर्वेक्षण भी आए हैं, जिनमें भाजपा पिछड़ती हुई दिख रही है। लोकपोल के सर्वे के अनुसार कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आ सकती है। उसे 58-65 सीटें हासिल हो सकती हैं। हरियाणा में बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत रहेगी। इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस का वोट शेयर भी 46 से 48 फीसदी हो सकता है। वहीं, भाजपा को 20 से 29 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। उसका वोट शेयर भी घट सकता है। जहां तक अन्य दलों और उम्मीदवारों का सवाल है तो वे इस बार ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे। उन्हें 3 से 5 सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में सरकार बनाने में भी उनकी खास भूमिका नहीं रहेगी। ALSO READ: हरियाणा में क्यों बदली विधानसभा चुनाव की वोटिंग की तारीख?
 
इन मुद्दों का रहेगा असर : जहां तक चुनावी मुद्दों की बात है तो एंटी इन्कम्बेंसी के अलावा बेरोजगारी और महंगाई चुनाव में बड़े मुद्दे हो सकते हैं। राहुल गांधी की यात्रा का असर भी यहां हो सकता है। हालांकि कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा। किसान आंदोलन जरूर इस बार चुनाव पर असर डालेगा। पहलवान (यौन उत्पीड़न के खिलाफ पहलवानों का आंदोलन) और जवानों (अग्निवीर योजना) का मुद्दा भी इस चुनाव में हावी रहेगा। पिछले तीन चुनावों की बात करें तो 2009 में भाजपा को 9, 2014 में 47 और 2019 में 40 सीटें मिली थीं। 2014 में ही भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला था। कांग्रेस को पिछले चुनाव में 31 सीटें मिली थीं। ALSO READ: गोरक्षक या गैंगस्टर? ये तो मोदी जी की भी नहीं सुनते
 
एक अन्य सर्वे आजतक के 'मूड ऑफ द नेशन' की बात करें तो 44 फीसदी लोग वर्तमान सरकार के कामकाज से असंतुष्ट नजर, जबकि 27 फीसदी मतदाता संतुष्ट नजर आए। सर्वे में 25 फीसदी मतदाताओं का रुख स्पष्ट नहीं था। अर्थात वे किसी भी पार्टी के साथ जा सकते हैं। हालांकि यह सर्वे भाजपा को 44 सीटें दे रहा है। यदि ऐसा होता है तो भाजपा राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की स्थिति में आ जाएगी। हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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