Haridwar Mahakumbh 2021 : कुंभ मेले की पहली पेशवाई पंचायती अखाड़ा निरंजनी की निकली
हरिद्वार। कुंभ मेले के लिए बुधवार को पहली पेशवाई पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की निकाली गई। पंचायती अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के रथ पर सवार होते ही पेशवाई की औपचारिक शुरुआत हुई।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई के मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पेशवाई का शुभारंभ करते हुए कहा कि कुंभ सनातन धर्म संस्कृति का शिखर पर्व है और यह देवभूमि उत्तराखंड का सौभाग्य है कि इसका आयोजन हरिद्वार में भी होता है।
धर्मनगरी हरिद्वार में अगले तीन दिन 5 संन्यासी अखाड़ों की पेशवाई का उल्लास रहेगा। इस बार पेशवाई का विस्तार भी किया गया है। यानी इस बार चंद्राचार्य चौक पर भी पेशवाइयां दस्तक देंगी। सीएम ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए हर संभव व्यवस्था बनाई गई है।
उन्होंने कहा कि संतों के सानिध्य में कुंभ दिव्य और भव्य रूप से सफल होगा। यह हमारी मां गंगा से प्रार्थना है और मां गंगा इसे पूर्ण रूप से सफल बनाएंगी। पेशवाई निकालने से पहले रथों को सजाया गया और पूजा-अर्चना की गई। पेशवाई की सुरक्षा व्यवस्था में कुंभ पुलिस के करीब 2000 जवान तैनात थे।
जूना अखाड़े के रमता पंचों का नगर प्रवेश : मंगलवार को गाजे-बाजे के साथ जूना अखाड़े के रमता पंचों ने मंगलवार शाम ज्वालापुर के पांडेयवाला में नगर प्रवेश कर लिया। पांडेयवाला में दो दिन विश्राम करने के बाद रमता पंच 4 मार्च को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई संग नगर प्रवेश करते हुए अखाड़े की छावनी में कुंभ काल के लिए अपना डेरा डाल देंगे।
श्रीमहंत रमता पंच भल्ला गिरि 13 मढ़ी, श्रीमहंत आनंदपुरी 16 मढ़ी, श्रीमहंत रमणगिरि 14 मढ़ी, श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती 4 मढ़ी, अष्टकौशल श्रीमहंत भारद्वाज गिरि, श्रीमहंत शरदभारती, श्रीमहंत चेतनगिरि, श्रीमहंत महेन्द्र पुरी की अगुवाई में पंचपरमेश्वर पूरे लाव-लश्कर के साथ देर शाम पांडेवाला ज्वालापुर स्थित अखाड़े की अस्थायी छावनी में पहुंचे। जहां दत्तात्रेय भगवान के मंदिर की स्थापना कर शिविर स्थापित किया।
कुंभ की अवधि तय : मुंख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को गैरसैण के भरारीसेंण स्थित विधानसभा में अयोजित बैठक में हरिद्वार में आयोजिन होने वाले कुंभ की अवधि एक से 30 अप्रैल तक रखने का निर्णय लिया गया। यह भी तय हुआ कि इस साल अन्य कुम्भों की भांति टैंट नहीं लगाए जाएंगे। श्रद्धालुओं के ठहराने के लिए अस्थायी रैन बसेरे बनाए जाएंगे।