वडगाम में मुश्किल में दलितों के अगुवा जिग्नेश मेवानी
वडगाम (गुजरात)। पालनपुर-मेहसाणा राजमार्ग के किनारे स्थित दो मंजिला होटल के दो छोटे कमरों में यूं तो लोगों का तांता लगा रहता है और समूचा फर्श मोटे रिम वाले चश्मे के अंदर से झांकते दाढ़ीधारी, चेहरे पर मुस्कान लिए जिग्नेश मेवानी की तस्वीरों वाले तोरण, बैनर, पोस्टर जैसी चुनाव प्रचार सामग्री से पटा पड़ा है, लेकिन इन सबके बीच मौजूदा समीकरणों की मानें तो इस चुनाव में जिग्नेश मेवानी के लिए रास्ते आसान नहीं हैं।
पाटीदार कोटा के नेता हार्दिक पटेल एवं ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर के साथ दलित वकील-कार्यकर्ता 20 साल से अधिक समय से गुजरात में सत्तारुढ़ भाजपा के खिलाफ विरोधी चेहरा बनकर उभरे हैं। पिछले महीने के आखिर में उन्होंने घोषणा की थी कि वह उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में खड़े हो रहे हैं, जिसके चलते कांग्रेस ने तुरंत इस सीट से अपना उम्मीदवार वापस ले लिया। यह सीट पार्टी की पारंपरिक गढ़ रही है।
राजमार्ग के किनारे स्थित ढाबा कम होटल मेवानी के चुनाव का मुख्यालय है और 35 वर्षीय नेता को उनके पहले चुनावी संग्राम में सफलता दिलाने के लिए यहां समूचे गुजरात एवं इसके आसपास से तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बौद्धिक युवा कार्यकर्ताओं का जमघट लगा रहता है।
ढाई लाख की आबादी वाले इस विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख मुस्लिम एवं दलित मतदाता हैं। मेवानी दलितों के अगुवा के तौर पर उभरे हैं और वे उना में समुदाय के खिलाफ हुए अत्याचारों के विरुद्ध आंदोलन चला रहे हैं। उम्मीद है कि चुनाव में उन्हें दलितों का साथ मिलेगा। एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने कहा कि हालांकि स्थानीय मुद्दों के साथ मेवानी की छवि में अचानक गिरावट आई है।
उनके खिलाफ तीन कारक काम कर रहे हैं। मेवानी चूंकि मेहसाणा से है इसलिए उन्हें एक बाहरी के तौर पर देखा जा रहा है और उनका आंदोलन अधिकतर सौराष्ट्र के बाहर ही रहा। कांग्रेस का एक बागी उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है। (भाषा)