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Last Updated : गुरुवार, 31 मार्च 2022 (15:31 IST)

हिन्दू नव वर्ष 2079 कब है, जानिए विशेषता

हिन्दू नव वर्ष 2079 कब है, जानिए विशेषता - Hindu nav varsh 2079
Hindu nav varsh 2022
Hindu nav varsh 2022 date: हिन्दू नवर्ष चैत्र माह से प्रारंभ होता है, जिसे गुड़ी पड़वा, युगाड़ी, उगाड़ी, नव संवत्सर पड़वो, युगादि, नवरेह, चेटीचंड, विशु, वैशाखी, चित्रैय तिरुविजा, सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा के नाम से भी जाना जाता है। आओ जानते हैं कि अंग्रेजी कैलेंडर 2022 के अनुसार इस बार हिन्दू नववर्ष कब मनाया जाएगा।
 
 
 
हिन्दू नव वर्ष 2079 कब है : अंग्रेजी कैलेंडर 2022 के अनुसार इस बार हिंदू नववर्ष 2 अप्रैल 2022 शनिवार को है। हिन्दू पंचांग या कैलेंडर के अनुसार नवर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपता तिथि से होती है। इसी दिन से बसंत नवरात्रि का प्रारंभ भी होता है। इस बार हिन्दू नवर्ष 2079 मनाया जाएगा।
 
hindu nav varsh 2022
 
हिन्दू नव वर्ष की विशेषता : 1. हिन्दू नववर्ष सौर, चंद्र, नक्षत्र और सावन मास पर आधारित है, जिसे 58 ईसा पूर्व राजा विक्रमादित्य ने परिष्कृत करके इसी पर आधारित विक्रम संवत नाम से एक कैलेंडर प्रचलित किया।
 
2. इसी नववर्ष में 12 माह के एक वर्ष, 30 दिन का एक माह और 7 दिन के एक सप्ताह का प्रचलन हुआ। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।
 
 
3. चैत्र माह इसका पहला माह और फाल्गुन माह इसका अंतिम माह हैं। प्रत्येक माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष मिलाकर 30 तिथियों में बंटा हुआ है। चैत्र माह में ही बसंत का आगमन होता है। आज भी भारत में चैत्र माह में बहिखाते नए किए जाते हैं। 
 
4. चैत्र माह में प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है। धरती के अपनी धूरी पर घुमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने लेने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है असल में वही नववर्ष होता है। नववर्ष में नए सिरे से प्रकृति में जीवन की शुरुआत होती है। वसंत की बहार आती है।
 
 
5. रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। हिन्दू नवर्ष सूर्योदय से प्रारंभ होता है। प्रत्येक दिवस का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और अगले सूर्योदय तक यह चलता है। सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल मना जाता है।
 
6. उक्त सभी कैलेंडर या गणनाएं पंचांग पर आधारित है। पंचांग के पांच अंग हैं- 1. तिथि, 2. नक्षत्र, 3. योग, 4. करण, 5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)। भारत में प्राचलित श्रीकृष्ण संवत, विक्रम संवत और शक संवत सभी उक्त काल गणना और पंचांग पर ही आधारित है।