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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 15 मार्च 2025 (15:23 IST)

हिंदू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं?

Gudi padwa| हिंदू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं?
Traditions and customs of Hindu New Year: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इस हिंदू नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है परंतु है यह नवसंवत्सर। इस बार यह नववर्ष 30 मार्च 2025 रविवार से होगा और इसका समापन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 19 मार्च 2026 गुरुवार को होगा। इस वर्ष विक्रम संवत 2082 का प्रारंभ होगा।
 
हिंदू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं?
  1. हिंदू नववर्ष को महाराष्‍ट्र में गुड़ी पड़वा कहते हैं।
  2. पंजाब और हरियाणा में इसे वैशाखी कहते हैं।
  3. दक्षिण भारत में इसे युगादि और उगादि कहते हैं।
  4. सिंध प्रांत या सिंधी समाज में इसे चेटीचंड कहते हैं।
  5. ईरान में इस तिथि को 'नौरोज' यानी 'नया वर्ष' मनाया जाता है। इसे ही पारसी लोग अपनाते हैं।
  6. आंध्र में यह पर्व 'उगादिनाम' से मनाया जाता है। उगादिका अर्थ होता है युग का प्रारंभ, अथवा ब्रह्मा की सृष्टि रचना का पहला दिन।
  7. इस प्रतिपदा तिथि को ही जम्मू-कश्मीर में 'नवरेह' कहते हैं। 
  8. केरल में 'विशु', असम में 'रोंगली बिहू' आदि के रूप में मनाया जाता है।
  9. मणिपुर आदि पूर्वोत्तर राज्य में सजिबु नोंगमा पानबा, मेइतेई चेइराओबा कहते हैं। 
  10. तमिलनाडुम में इसे पुथांडु के नाम से जाना जाता है।
हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर्व किस तरह मनाते हैं?
  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर अभ्यंग स्नान करते हैं।
  • सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद घर को तोरण, मांडना या रंगोली आदि से सजाया जाता है।
  • स्नान के बाद घर के उपर ध्वजा रोहण करते हैं। 
  • महाराष्ट्रीयन परिवार में गुड़ी की पूजा होती है और बाकी समाज में ध्वज की पूजा होती है। 
  • इसके बाद इस दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती है इसलिए घट स्थापना भी करते हैं। 
  • इस दिन हनुमान पूजा, दुर्गा पूजा, श्रीराम, विष्णु पूजा, श्री लक्ष्मी पूजा और सूर्य पूजा विशेष तौर पर की जाती है।
  • घट स्थापना और पूजन के बाद नीम और श्रीखंड खाने और खिलाने का रिवाज है।
  • इस दिन कड़वे नीम का सेवन आरोग्य के लिए अच्छा माना जाता है।
  • इसी के साथ ही पुरन पोली, पुरी, खीर, मीठे चावल आदि पकवान बनाए जाते हैं। 
  • इस दिन किसी पंडित को बुलाकर नए वर्ष का भविष्यफल और पंचाग सुनने-सुनाने की भी परम्परा है। 
  • इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से पंचांग का भविष्यफल सुना जाता है।
  • इस दिन कोई अच्‍छा कार्य किया जाता है। जैसे प्याऊ लगाना, ब्राह्मणों या गायों को भोजन कराना। 
  • इस दिन बहिखाते नए किए जाते हैं। इस दिन नए संकल्प लिए जाते हैं।
  • इस दिन जुलूस का आयोजन भी होता है।
  • लोग लोग नए पीले परिधानों में तैयार होते हैं और एक दूसरे से मिलकर नव वर्ष की बधाई देते हैं। 
  • लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव का आनंद लेते हैं और सड़क पर जुलूस का हिस्सा बनते हैं।