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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 3 दिसंबर 2024 (18:59 IST)

Hindu Nav Varsh 2025: हिंदू नववर्ष 2025 में कौनसा ग्रह होगा राजा और कौनसा मंत्री?

Hindu Nav Varsh 2025: हिंदू नववर्ष 2025 में कौनसा ग्रह होगा राजा और कौनसा मंत्री? - Hindu New Year Navaswatsar 2082
Vikram Samvat 2082: वर्ष 2025 में हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 रविवार से प्रारंभ हो रहा है। हिंदू माह चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार विक्रम संवत 2082 प्रारंभ होगा और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 19 मार्च 2026 गुरुवार को समाप्त होगा। नववर्ष के पहले दिन से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ होता है। विक्रम संवत को भारतीय सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में शुरू किया था। विक्रमादित्य के समय में वराहमिहिर सबसे बड़े खगोलशास्त्री थे. उन्होंने विक्रम संवत के प्रसार में अहम भूमिका निभाई थी। नेपाल के राणा राजवंश ने साल 1901 में विक्रम संवत को आधिकारिक हिंदू कैलेंडर बनाया था।
 
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 29 मार्च 2025 को शाम 06:57 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 30 मार्च 2025 को दोपहर 03:19 बजे।
 
कौन होगा नववर्ष का राजा? 
यह विक्रम संवत या कहें कि हिंदू नववर्ष वर्ष 2025 में रविवार के दिन से प्रारंभ हो रहा है। रविवार के देवता सूर्य भगवान हैं। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। इसलिए नववर्ष के इस बार के राजा सूर्य ग्रह रहेंगे और मंत्री भी सूर्य ही होंगे। हालांकि कुछ विद्वान चंद्र को मंत्री बता रहे हैं। सूर्य के राजा होने से गर्मी का प्रकोप बढ़ सकता है। कृषि क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दूध के भाव बढ़ सकते हैं। राजनीतिक उथल पुथल और संघर्ष का माहौल भी बन सकता है। पूरे संवत के लिए ग्रहों का एक मंत्रिमंडल भी होता है। इस संवत का नाम सिद्धार्थी बताया जा रहा ह
 
सूर्योदस से शुरु होता है नववर्ष प्रारंभ : रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रात 12 बजे ही नववर्ष प्रारंभ मान लिया जाता है जो कि वैज्ञानिक नहीं है। दिन और रात को मिलाकर ही एक दिवस पूर्ण होता है। दिवस का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और अगले सूर्योदय तक यह चलता है। सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल मना जाता है।
 
पंचांग : उक्त सभी कैलेंडर पंचांग पर आधारित है। पंचांग के पांच अंग हैं- 1. तिथि, 2. नक्षत्र, 3. योग, 4. करण, 5. वार (सप्ताह के सात दिनों के नाम)। भारत में प्राचलित श्रीकृष्ण संवत, विक्रम संवत और शक संवत सभी उक्त काल गणना और पंचांग पर ही आधारित है।