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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 21 जनवरी 2025 (16:09 IST)

hindu nav varsh 2025: हिंदू नववर्ष कब होगा प्रारंभ, कौनसा ग्रह होगा राजा, जानिए इस दिन क्या करते हैं खास

hindu nav varsh 2025: हिंदू नववर्ष कब होगा प्रारंभ, कौनसा ग्रह होगा राजा, जानिए इस दिन क्या करते हैं खास - when will the hindu new year start traditions and customs
Traditions and customs of Hindu New Year: महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार विक्रम संवत 2082 प्रारंभ होगा और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 19 मार्च 2026 गुरुवार को समाप्त होगा। यह विक्रम संवत या कहें कि हिंदू नववर्ष वर्ष 2025 में रविवार के दिन से प्रारंभ हो रहा है। रविवार के देवता सूर्य भगवान हैं। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। इसलिए नववर्ष के इस बार के राजा सूर्य ग्रह रहेंगे और मंत्री भी सूर्य ही होंगे। हालांकि कुछ विद्वान चंद्र को मंत्री बता रहे हैं। सूर्य के राजा होने से गर्मी का प्रकोप बढ़ सकता है। कृषि क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दूध के भाव बढ़ सकते हैं। राजनीतिक उथल पुथल और संघर्ष का माहौल भी बन सकता है। पूरे संवत के लिए ग्रहों का एक मंत्रिमंडल भी होता है। इस संवत का नाम सिद्धार्थी बताया जा रहा है।
 
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 29 मार्च 2025 को शाम 06:57 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 30 मार्च 2025 को दोपहर 03:19 बजे।
 
इस हिंदू नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग अलग नाम से पुकारा जाता है परंतु है यह नवसंवत्सर। गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है। 
हिंदू नववर्ष 2082 के दिन क्या करते हैं?
1. गृह सज्जा: सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद घर को तोरण, मांडना या रंगोली, ताजे फूल आदि से सजाया जाता है। गांवों में गोबर से घरों को लीपा जाता है।
 
2. अभ्यंग स्नान: अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान अवश्य करना चाहिए। लोग प्रातः जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करते हैं।
 
3. गुड़ी पूजा: मराठी समाज गुड़ी को बनाकर उसकी पूजा करके घर के द्वारा पर ऊंचे स्थान पर उसे स्थापित करते हैं। गुड़ी पड़वा दो शब्दों से मिलकर बना हैं। जिसमें गुड़ी का अर्थ होता हैं विजय पताका और पड़वा का मतलब होता है प्रतिपदा।
 
4. धर्म ध्वजा: सभी समाज के लोग धर्म ध्वजा को मकान के उपर लहराते हैं। हिन्दू अपने घरों पर भगवा ध्वज लहराकर उसकी पूजा करते हैं। इस कार्य को विधि पूर्वक किया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहिए।
 
5. नीम का सेवन: इस दिन कड़वे नीम का सेवन आरोग्य के लिए अच्छा माना जाता है। मीठे नीम की पत्तियां प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्योहार को मनाने की शुरुआत करते हैं। नीम की पत्तियों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है। इससे रक्त साफ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दर्शाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।
 
6. श्रीखंड: इस दिन श्रीखंड का सेवन करके ही दिन की शुरुआत करते हैं। इससे संपूर्ण वर्ष अच्‍छा रहता है। 
 
7. पारंपरिक व्यंजन: इस दिन पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं जैसे पूरन पोली, पुरी और श्रीखंड, खीर, मीठे चावल जिन्हें लोकप्रिय रूप से सक्कर भात कहा जाता है| हर प्रांत के अपने अलग व्यंजन होते हैं।  गुड़ी पड़वा पर श्रीखण्ड, पूरन पोळी,  आदि पकवान बनाए जाते हैं।
 
8. पारंपरिक वस्त्र: इस दिन साफ और सुंदर वस्त्र पहनकर लोग तैयार हो जाते हैं। आम तौर पर मराठी महिलाएं इस दिन नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं।
 
9 पंचांग श्रवण: इस दिन किसी पंडित को बुलाकर नए वर्ष का भविष्यफल और पंचाग सुनने-सुनाने की भी परम्परा है। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से पंचांग का भविष्यफल सुना जाता है।
 
10. घट स्थापना: इस दिन से चैत्र नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होता है इसलिए सभी घरों में कलश और घट स्थापना होती है। 
 
12. पूजा पाठ: इस दिन हनुमान पूजा, दुर्गा पूजा, श्रीराम, विष्णु पूजा, श्री लक्ष्मी पूजा और सूर्य पूजा विशेष तौर पर की जाती है। इस दिन से दो दिन के लिए दुर्गा सप्तशति का पाठ या राम विजय प्रकरण का पाठ की शुरुआत की जाती है। 
 
13. शुभ कार्य: इस दिन कोई अच्‍छा कार्य किया जाता है। जैसे प्याऊ लगाना, ब्राह्मणों या गायों को भोजन कराना। इस दिन बहिखाते नए किए जाते हैं। इस दिन नए संकल्प लिए जाते हैं।
 
14. जुलूस: इस दिन जुलूस का आयोजन भी होता है। लोग लोग नए पीले परिधानों में तैयार होते हैं और एक दूसरे से मिलकर नव वर्ष की बधाई देते हैं। लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव का आनंद लेते हैं और सड़क पर जुलूस का हिस्सा बनते हैं। परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं। शाम के समय लोग लेज़िम नामक पारम्परिक नृत्य भी करते हैं।