- लाइफ स्टाइल
» - साहित्य
» - नीरज
धर्म है...
जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मना,उन मुश्किलों में मुस्कराना धर्म है!जिस वक्त जीना गैर-मुमकिन-सा लगे,उस वक्त जीना फर्ज है इंसान का।लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,जब हो समुन्दर पर नशा तूफान का।जिस वायु का दीपक बुझाना ध्येय हो,उस वायु में दीपक जलाना धर्म है!जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मनाउन मुश्किलों में मुस्कराना धर्म है!हो ही नहीं मंजिल कहीं जिस राह की,उस राह चलना चाहिए संसार को।जिस दर्द से सारी उमर रोते कटे,वह दर्द पाना है जरूरी प्यार को। जिस चाह का हस्ती मिटाना नाम हो,उस चाह पर हस्ती मिटाना धर्म है।जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मनाउन मुश्किलों में मुस्कराना धर्म है।आदत पड़ी हो भूल जाने की जिसे,हरदम उसी का नाम हो हर साँस पर।उसकी खबर में ही सफर सारा कटे,जो हर नजर से हर तरह हो बेखबर।जिस आँख का आँखें चुराना काम हो,उस आँख से आँखें मिलाना धर्म है।जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मना,उन मुश्किलों में मुस्कराना धर्म है।जब हाथ से टूटे न अपनी हथकड़ी,तब माँग लो ताकत स्वयं जंजीर से।जिस दम न थमती हो नयन-सावन-झड़ी,उस दम हँसी ले लो किसी तस्वीर से।जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो,तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है।जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मना,उन मुश्किलों में मुस्कराना धर्म है।अधिकार जब अधिकार पर शासन करे,तब छीनना अधिकार ही कर्तव्य है।संहार ही हो जब सृजन के नाम पर,तब सृजन का संहार ही भवितव्य है।बस गरज यह गिरते हुए इंसान को,हर तरह, हर विधि उठाना धर्म है।जिन मुश्किलों में मुस्कराना हो मना,उन मुश्किलों में मुस्कराना धर्म है।