World Literacy Day : प्रतिवर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर में शिक्षा के महत्व के दर्शाने और निरक्षरता को समाप्त करना है। पहला विश्व साक्षरता दिवस सन् 1966 में मनाया गया था और वर्ष 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया। तभी से लेकर आज तक पूरे विश्व में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय यूनेस्को द्वारा 7 नवंबर 1965 को लिया गया था, कि प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आपको बता दें कि इस बार 8 सितंबर 2023 को 58वां विश्व साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है।
विश्व साक्षरता दिवस थीम 2023: International Literacy Day Theme 2023
हर साल साक्षरता दिवस की एक निर्धारित थीम होती है। वर्ष 2022 में जहां विश्व साक्षरता दिवस की थीम 'ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस' Transforming Literacy Learning Spaces रखी गई थी, वहीं इस वर्ष 2023 में यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व साक्षरता दिवस की थीम परिवर्तनशील दुनिया के लिए साक्षरता को बढ़ावा देना: टिकाऊ और शांतिपूर्ण समाजों की नींव का निर्माण करना ('Promoting literacy for a world in transition: Building the foundation for sustainable and peaceful societies') रखी गई है।
साक्षरता क्या है? दरअसल, साक्षरता शब्द साक्षर से बना है, जिसका अर्थ पढ़ने और लिखने में सक्षम होना है। दुनियाभर के देश अपने यहां के नागरिकों तक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से साक्षरता दिवस मनाते हैं। ताकि हर कोई पढ़-लिखकर साक्षर बनें। अब सवाल यह उठता है, कि इस दिन को कैसे मनाया जाता है। कहीं पर समारोह का आयोजन कर, साक्षरता को लेकर भाषण दिए जाते हैं, तो कहीं गरीब बस्तियों में जाकर शिक्षा का अलख जगाने का प्रयास किया जाता है। कहीं केवल साक्षरता और निरक्षरता के आंकड़ों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित कर लिया जाता है। वैसे भी सोशल मीडिया साक्षरता दिवस के प्रमुख लेखनों में भरा पड़ा है।
आइए इस बार शुरुआत बताने या समझाने से नहीं, समझने से करते हैं। एक नई शुरुआत खुद से करते हैं। साक्षरता दिवस पर एक प्रण करते हैं, उस यज्ञ में आहुति देने का, जो शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बरसों से किया जा रहा है, लेकिन उसकी ज्वाला उतनी तीव्रता से धधक नहीं पा रही।
जरूरी नहीं है, कि इसके लिए हमें कोई बड़े काम से शुरुआत करनी हो। आहुतियां छोटी ही होती है, लेकिन यज्ञ का महत्व और उद्देश्य बड़ा होता है। ठीक वैसे ही हमारी छोटी-छोटी कोशिशें भी कई बार बड़ा आकार लेने में सक्षम होती हैं। ज्ञान के प्रकाश से वंचित तबके को इस बात एहसास करा सकते हैं, कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती।
अगर आप घर पर किसी गरीब बच्चे को न पढ़ा पाएं, तो अपने क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर कोई छोटा सा समूह बनाकर, उसके स्कूल जाने की व्यवस्था जरूर कर सकते हैं। इतना ही नहीं अपना कुछ वक्त निकाल कर, उन पिछड़े क्षेत्रों व लोगों के बीच शिक्षा के महत्व को साझा कर सकते हैं, जहां शिक्षा से जरूरी मजदूरी और ज्ञान से जरूरी भोजन होता है।
आप कम से कम सरकार की शिक्षा संबंधी योजनाओं की जानकारी तो बांट सकते हैं, जो आपके छोटे से प्रयास से अंधकारमय जीवन में एक नया दीपक जला सकती है, क्योंकि शिक्षा रोजगार या पैसे से ज्यादा खुद के विकास के लिए जरूरी है। खास मायने में विश्व साक्षरता दिवस शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और लोगों का ध्यान शिक्षा की तरफ आकर्षित करने के साथ ही उन्हें सही शिक्षा के संस्कार देना जरूरी है।
शिक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभा रहे शिक्षण संस्थानों, कोचिंग इंस्टीट्यूस को चाहिए कि वो शिक्षा को मात्र रुपए कमाने का जरिया न मानकर सही और योग्य संस्कारों वाले समाज का निर्माण करने में अपनी अहम् भूमिका निभाएं। वहीं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं सभी को चाहिए कि वे सिर्फ साक्षर ना बनें, बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति संकल्पित होकर एक अच्छे देश के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।