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Written By WD

केजरीवाल का 6 मामलों पर 'पलटासन'

अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री बनते समय जनता से वादों की बरसात जमकर की थी, पानी और बिजली के मुद्दों पर केजरीवाल ने राहत के छोटे-मोटे छींटे जरूर दिए, लेकिन कुछ वादे ऐसे भी जिनकी वजह से केजरीवाल बैकफुट पर खड़े नजर आ रहे हैं। छह महत्वपूर्ण मामले ऐसे हैं, जिनकी वजह से, जिनकी वजह से आप की सरकार विरोधियों के साथ जनता के निशाने पर भी है।

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1. नहीं लगेगा जनता दरबार : जनता की समस्याओं का सुनकर समाधान करने के लिए केजरीवाल ने जनता दरबार की शुरुआत की थी, लेकिन पिछले शनिवार को बहुत भीड़ आ जाने से अव्यवस्थाएं फैल गईं। इस माहौल को देखकर केजरीवाल ने जनता दरबार लगाने से मना कर दिया और सफाई देते हुए कहा कि एक अच्छी व्यवस्था के साथ फिर से जनसुनवाई का कार्यक्रम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन, कॉल सेंटर और चिटि्ठयों के द्वारा करेंगे, हफ्ते में एक बार जनता से सचिवालय में मुलाकात भी करेंगे।

भ्रष्टाचार पर क्यों मौन हैं केजरीवाल... पढ़ें अगले पेज पर...


भ्रष्टाचार पर मौन : विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने शीला दीक्षित सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने राष्ट्रमंडल घोटाला, ट्रांसपोर्ट जैसे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने की बात कही, लेकिन सत्ता में आने के बाद भी केजरीवाल ने जांच के बारे में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है।

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विधानसभा में भाजपा नेता हर्षवर्धन ने जब केजरीवाल से कहा कि पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करो, तो केजरीवाल ने कहा कि आप सबूत लाओ, हम जांच करेंगे। इतना ही नहीं आप के ही विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने भी मुख्‍यमंत्री केजरीवाल पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं।

और बिजली के मुद्दे पर क्या है अरविन्द का रुख... पढ़ें अगले पेज पर...


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बिजली पर गोलमाल : बिजली के दामों में बढ़ोतरी को लेकर केजरीवाल ने शीला सरकार को कई बार घेरा और कई घरों में जाकर तो केजरीवाल ने मीटरों के तार भी काटे थे। आप पार्टी के घोषणापत्र में बिजली की दरें आधी करने का वादा किया गया था, इस बात पर अमल तो किया, लेकिन 400 यूनिट तक, जो किसी भी तरीके से बड़े तबके के लिए लाभदायक नहीं है।

अस्थायी कर्मचारियों से किए वादे का क्या... पढ़ें अगले पेज पर...


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कच्चे कब होंगे पक्के? : घोषणापत्र में वादों की लंबी झड़ी में अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की बात प्रमुखता से कही गई थी, लेकिन इस तरफ अभी तक कुछ भी अमल नहीं हुआ है, इस बात पर केजरीवाल ने सफाई देते हुए कहा कि कानून पेचीदगियों को दूर करके ऎसे मामलों का जल्द ही निपटारा किया जाएगा।
पानी के मीटरों पर क्या हुआ... पढ़ें अगले पेज पर...
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मीटरों का क्या होगा? : दिल्ली की जनता ने पानी के इस्तेमाल को लेकर कई बार कहा कि इस्तेमाल से ज्यादा पानी का बिल चुकाना पड़ता है। चुनाव के दौरान केजरीवाल हाथों में मीटर लेकर कहा करते थे कि हवा के दवाब से चलते हैं, लेकिन खुद सत्ता में आने के बाद केजरीवाल यही मीटर घरों में लगवा रहे हैं।

लोगों के विरोध प्रदर्शन करने के बाद दिल्ली सीएम ने जल बोर्ड के अधिकारियों से पानी के मीटरों की जांच करने का आदेश दिया है, उन्होंने कहा कि उपभोक्ता की मर्जी के बिना मीटर न लगाएं।

लोगों को बिल माफी का इंतजार अभी भी है... पढ़ें अगले पेज पर...


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बिल कब होंगे माफ? : केजरीवाल ने पार्टी के घोषणापत्र में तमाम बिंदुओं पर अमल करने का भरोसा दिया था, इनमें एक खास बात यह है कि केजरीवाल ने कहा था कि आंदोलन के दौरान जिन लोगों ने बिल जमा नहीं कराए, उनके बिलों को माफ किया जाएगा। और ताजा बयान में दिल्ली सीएम का कहना है कि इस मामले पर बातचीत जारी है, बहुत जल्द हल निकल आएगा।

हालांकि अभी केजरीवाल की सरकार को बने ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह से उनकी शुरुआत हुई है उससे तो यही लगता है कि जनता को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं पालनी चाहिए।