बीकानेर। लोकसभा चुनाव में अब मात्र एक पखवाड़ेभर का समय रह गया है। ऐसे में सियासी पारा पूरे उछाल पर है। 8 विधानसभा (बीकानेर पश्चिम, बीकानेर पूर्व, खाजूवाला, श्रीडूंगरगढ़, नोखा, लूनकरनसर, श्रीकोलायत, अनूपगढ़) की लगभग जाट बहुल मानी जाने वाली बीकानेर संसदीय सीट में कहने को तो मोदी हवा बह रही है, लेकिन यह कितनी असरकारक होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मोदी लहर को यहां के भाजपा प्रत्याशी का बड़बोलापन (पदोन्नति में आरक्षण व जातिवादी राजनीतिक आरोप), संभाग मुख्यालय के किसी भाजपा विधायक को व दिग्गज नेता पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी का साथ ना होने तथा कांग्रेस प्रत्याशी शंकर पन्नू की जीत के लिए राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बीकानेर मूल के रामेश्वर डूडी व श्रीकोलायत से पहली बार कांग्रेस की टिकट पर देवीसिंह भाटी को हराकर विजयी हुए युवा दिलों की धड़कन और बड़े-बुजुर्गों के स्नेहिल के आशीर्वाद से आगे बढ़े भंवरसिंह भाटी की प्रतिष्ठा भी अर्जुन मेघवाल के लिए खलल व विजयी रोड़ा बने हैं।
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हालांकि पानी की तरह प्रचार-प्रसार में धन लगा रहे जमींदारा पार्टी के उम्मीदवार मांगीलाल नायक तथा आम आदमी पार्टी के डॉ. गौरीशंकर डाबी भी अपने-अपने हिसाब से ताल ठोंक रहे हैं जो पूर्ण रूप से भाजपा प्रत्याशी की वोट बैंको ही डैमेज करेंगे। भाजपा के टिकट तरण में पूर्व सी ग्रेड की आंकी जा रही इस सीट के प्रत्याशी को लूनकरनसर, श्रीकोलायत विधानसभा सहित अनेक गांवों में सांसद कार्यकाल में एक बार भी न होने, कोई काम ना कराने जैसे उलाहने मिल रहे हैं यही नहीं समता आंदोलन का विरोधी बिगुल, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य समाज के संगठनों का कहीं खुलकर व कहीं अंदरूनी विरोध ने जमकर समीकरण बिगाड़ रहे हैं और भाजपा के लिए बीकानेर से सीट निकालना गलफांस सा ही बना है। ऐसे में भाजपा की रिजर्व सीट रूपी नैया लगभग मोदी लहर पर ही टिकी है।
चूंकि बीकानेर की जनता पीएम तो मोदी को देखना चाहती है, लेकिन सांसद के रूप में अर्जुनराम को ना पब्लिक ना बीकानेर जिले के भाजपा विधायक चाहते हैं। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस कड़े मुकाबले में फंसी नजर आ रही बीकानेर 'सांसद पद की कुर्सी' के लिए अप्रत्याशित चुनावी नतीजे आने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।