मोदी को सिर्फ गुजरातियों पर ही भरोसा
हिफाज़त का जिम्मा गुजराती अफसरों को
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गाजियाबाद के इंदिरापुरम से दीपक असीममोदी की सभा से एक दिन पहले, बुधवार की दोपहर मैं सभा स्थल पर हूं। कुछ लोग काली-भूरी सी वर्दी पहने बैठे हैं और गुजराती में बातें कर रहे हैं। इनके हाथ में बम और बारूदी सुरंग आदि जांचने के यंत्र हैं। ये बम निरोधक दस्ता है, जो गुजरात से आया है। आम तौर पर ऐसा नहीं होता। जहां सभा होती है, वहीं की पुलिस और स्थानीय प्रशासन सुरक्षा का इंतज़ाम करता है। ज़ेड सुरक्षा वाले लोग भी अपने प्रांत के लोग साथ लिए नहीं घूमते। भाजपा कार्यकर्ता बताते हैं कि बम निरोधक दस्ता ही नहीं, करीब सौ लोगों की टीम है। इसमें आईजी रैंक से लेकर नीचे तक के अधिकारी और सिपाही हैं। सभी सादी वर्दी मे हैं। सादे कपड़ों में यहीं बैठे हैं डीएसपी केतन पारेख। अहमदाबाद से हैं। मोदी की सभा जहां-जहां होती है, टीम के साथ वे भी जाते हैं। उनका काम है, नज़र रखना, हिफाज़त करना और सुरक्षा व्यवस्था को अपने हिसाब से संचालित करना। सवाल मन में उठता है कि क्या इन सौ लोगों में से एक भी मुसलमान होगा?जब ये सवाल पारेख से पूछता हूं, तो वे असहज हो जाते हैं। परिचय पूछते हैं। अभी तक वे मुझसे भाजपा कार्यकर्ता समझ कर बात कर रहे थे। अब वे एकदम चुप हो जाते हैं। कहते हैं कि मीडिया को हम कोई जानकारी नहीं दे सकते। जितना आपको बताया है, वो भी आप मेरे नाम से मत छापना। यह लिख देना 'विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है'। मगर विश्वसनीय सूत्र ने तो अब चुप्पी ओढ़ ली है। मैं फिर भाजपा कार्यकर्ताओं के पास आकर पूछता हूं कि और कौन-कौन लोग गुजरात पुलिस से हैं। वे कुछ लोगों की तरफ इशारा करते हैं। मैं उनके पास जाकर फोटो खींचता हूं। वे मना कर देते हैं कि फोटो बिल्कुल मत लो। मीडिया से बात करना या फोटो खिंचाना उनके लिए मना है। वे गाड़ी में बैठ कर चल देते हैं।वैसे अंदरखाने की बात यह है कि मोदी की सभा का सारा जिम्मा ही गुजरातियों के हाथों में है। फिर भले ही वो गुजरात से आई पुलिस और खुफिया विभाग की टीम हो, या गुजरात से आए इंतज़ामकार। मोदी संघ के लोगों तक को इस मामले में दखल नहीं देने देते। सुनते हैं मोदी के भाषण में बिलकुल सही वक्त पर ताली बजाने वाले और मोदी की हां में हां मिलाने वाले भी साथ में चलते हैं। कोशिश करूंगा कि आज शाम उनसे मुलाकात हो जाए।
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ऐसे आती है भीड़ : मोदी की सभा में जो भीड़ दिखती है, वे लोग खुद नहीं आते बल्कि लाए जाते हैं। गाजियाबाद में मोदी को सुनने का उत्साह किसी आम आदमी में नहीं है। स्थानीय नेताओं से भीड़ जुटाने को कहा गया है। गाजियाबाद में 800 बूथ हैं। हर बूथ प्रभारी को दस-दस आदमी लाने के लिए कहा गया है। इसी तरह नोएडा के बूथ प्रभारियों से भी इसी अंदाज़ में भीड़ लाने को कहा गया है।