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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

गणेश स्थापना एवं व्रत विधान

Ganesh Utsav 2009 | गणेश स्थापना एवं व्रत विधान
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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की मध्यान्ह चतुर्थी को भगवान श्रीगणेशजी को माँ पार्वतीजी ने प्रकट किया था। दोपहर को जन्म होने से स्थापना भी दोपहर को शुभ, लाभ, अम्रृत में की जाती है। इस बार गणेश चतुर्थी के दिन रविवार होने से शुभ चौघ‍डि़या दोपहर 1.50 से 3.22 तक है। इसके बाद शाम 6.26 से रात्रि 9.44 तक क्रमशः शुभ, अम्रृत का चौघडिया होने से गणेश स्थापना के लिए शुभ है।

इस दिन गणेशजी का मध्यान्ह में जन्म हुआ था, इसमें मध्यान्हव्यापिनी तिथि ली जाती है। यदि वह दो दिन हो या दोनों दिन न हो तो मातृविद्धा प्रशस्यते के अनुसार पूर्वविद्धा लेनी चाहिए। दस दिन रवि या मंगलवार हो तो यह महाचतुर्थी हो जाती है। इस दिन रात्रि में चन्द्रदर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है। उसके निवारण के लिए निमित्त स्यमन्तकी कथा श्रावण करना आवश्यक है।

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अस्तु व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करके 'मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायकपूजनमह। करिष्ये से संकल्प करके स्वस्तिक मण्डल पर प्रत्यक्ष अथवा स्वर्णादिनिर्मित मूर्ति स्थापित करके पुष्पार्पणर्यन्त पूजन करें और फिर 13 नाम पूजा और 21 पत्र पूजा करके धूप दीपादिसे शेष उपचार संपन्न करें।

अन्त में घृतपाचित 21 मोदक अर्पण करके 'विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्य में सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि॥' यह प्रार्थना करें और मोदक का प्रसाद वितरण करके एक वक्त भोजन करें।