रहस्यों से भरे हैं भारत के जंगल। जंगल में रहना बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा है। भारत कई प्रकार के जंगली जीवों का, अनेक पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का घर है। घने जंगल और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के कारण यह देश धरती का सबसे सुंदरतम स्थान है। तप और ध्यान करने के लिए प्राचीनकाल में भारत सबसे उपयुक्त स्थान हुआ करता था। भारत के मध्य में स्थित 'दंडकारण्य' में हजारों ऋषियों के आश्रम थे और यहां दुनिया की सबसे प्राचीन गुफाएं और प्राचीन नगर के अवशेष आज भी मौजूद हैं।
भयानक संकट : दुनिया के करीब 7 अरब से ज्यादा लोगों को प्राणवायु प्रदान करने वाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संसार में पौधों की 2,50,000 ज्ञात प्रजातियों में से 15,000 प्रजातियां भारत में मिलती हैं। जीव-जंतुओं की कुल 15 लाख प्रजातियों में से 75,000 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। पक्षियों की 1,200 प्रजातियां और 900 उप-प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन अब कई पशु और पक्षियों की प्रजातियां लुप्त हो रही हैं। लकड़ी के वैध और अवैध कारोबार के चलते जंगल नष्ट होते जा रहे हैं। जंगलों की दुर्दशा के चलते शेर, चीते सहित अन्य कई जंगली जानवरों का अस्तित्व अब संकट में है।
भारत के जंगलों में शानदार हाथी की चिंघाड़, मोर का नाच, ऊंट की सैर, शेरों की दहाड़, लाखों पक्षियों की चहचहाहट सुनने और देखने को मिलेगी। भारत में जंगली जीवों की बहुत बड़ी संख्या है। यहां जंगली जीवों को देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। भारत में 70 से अधिक राष्ट्रीय उद्यान और 500 से अधिक जंगली जीवों के अभयारण्य हैं इसके अतिरिक्त पक्षी अभयारण्य भी हैं। आओ जानते हैं भारत के प्रमुख 10 अभयारण्य...
प्रमुख 10 के अलावा सैकड़ों जंगल हैं जिनमें प्रमुख हैं- नंदादेवी राष्ट्रीय अभयारण्य (उत्तराखंड), फूलों की घाटी (उत्तराखंड), पन्ना नेशनल पार्क (मध्यप्रदेश), पेंडारी जू (छत्तीसगढ़), भीतरकर्णिका राष्ट्रीय उद्यान (ओडिशा), सरगुजा के तैमोर पिंगला अभयारण्य (छत्तीसगढ़), पलामू अभयारण्य (झारखंड), दाल्मा वन्यजीव अभयारण्य (झारखंड), हजारीबाग वन्यजीव अभयारण्य (झारखंड), कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (बिहार), नल सरोवर अभयारण्य (गुजरात), दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (उत्तरप्रदेश), चंद्रप्रभा अभयारण्य (उत्तरप्रदेश), भद्रा अभयारण्य (कर्नाटक), सोमेश्वर अभयारण्य (कर्नाटक), तुंगभद्रा अभयारण्य (कर्नाटक), पाखाल वन्यजीव अभयारण्य (आंध्रप्रदेश), कावला वन्यजीव अभयारण्य (आंध्रप्रदेश), मानस राष्ट्रीय उद्यान (असम), घाना पक्षी विहार (राजस्थान), रणथम्भौर अभयारण्य (राजस्थान), कुंभलगढ़ अभयारण्य (राजस्थान), पेंच राष्ट्रीय उद्यान (मध्यप्रदेश), तंसा भयारण्य (महाराष्ट्र), बोरिविली राष्ट्रीय उद्यान (महाराष्ट्र), अबोहर अभयारण्य (पंजाब), चिक्ला अभयारण्य (ओडिशा), सिम्लिपाल अभयारण्य (ओडिशा), वेदांतगल अभयारण्य (तमिलनाडु), इंदिरा गांधी अभयारण्य (तमिलनाडु), मुदुमलाई अभयारण्य (तमिलनाडु), डाम्फा अभयारण्य (मिजोरम), पेरियार अभयारण्य (केरल), पराम्बिकुलम अभयारण्य (केरल), पंचमढ़ी अभयारण्य (मध्यप्रदेश), डाचिगम राष्ट्रीय उद्यान (जम्मू-कश्मीर), किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान (जम्मू-कश्मीर), बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (मध्यप्रदेश), नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान (कर्नाटक), पेंडारी जू (मध्यप्रदेश), पखुई वन्य जीवन अभयारण्य (अरुणाचल), सुल्तानपुर झील अभयारण्य (हरियाणा), रोहिला राष्ट्रीय उद्यान (हिमाचल), भगवान महावीर उद्यान (गोवा), नोंगखाइलेम अभयारण्य (मेघालय), कीबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान (मणिपुर) आदि। इनमें से एक भी हमारी टॉप टेन की लिस्ट में नहीं है। अगले पन्ने पर पढ़िए टॉप टेन जंगलों के बारे में।
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कान्हा किसली (मध्यप्रदेश) : एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वों में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। खुले घास के मैदान यहां की विशेषता हैं। बांस और टीक के वृक्ष इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहां काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एकसाथ देखा जा सकता है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, गौर, भैंसे, सियार आदि हजारों पशु और पक्षियों का झुंड है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुंचा जा सकता है।
प्राकृतिक सुंदरता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्घ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का नाम यहां की चिकनी मिट्टी के कारण पड़ा है जिसे स्थानीय भाषा में 'कनहार' कहा जाता है। एक और मान्यता यह है कि इस वन के पास एक गांव में कान्वा नाम के सिद्घपुरुष रहते थे। उन्हीं के नाम पर इस उद्यान का नाम 'कान्हा' रखा गया है। मध्यप्रदेश के मंडला के नजदीक के इस उद्यान से ही रूडयार्ड किपलिंग को 'जंगल बुक' लिखने की प्रेरणा मिली।
यह राष्ट्रीय उद्यान 1945 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र घोड़े के खुर के आकार का है। सतपुड़ा पर्वत की घाटियों से घिरा यह क्षेत्र बेहद हरा-भरा है। इन पहाड़ियों की ऊंचाई 450 से 900 मीटर तक है। यह दो हिस्सों में विभक्त है- हेलन और बंजर क्षेत्र। 1879 से 1910 ईस्वी तक यह स्थान अंग्रेजों की शिकारगाह था।
1933 में इसे अभयारण्य के तौर पर स्थापित कर दिया गया तथा 1955 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया।
अगले पन्ने पर पर दूसरा जंगल... काजीरंगा राष्ट्रीय अभयारण्य, असम (1985) : काजीरंगा गुवाहाटी से 250 किलोमीटर पूर्व और जोरहट से 97 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मध्य असम में 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इसे यूनेस्को ने अपनी धरोहर में शामिल कर रखा है। यह उद्यान एक सींग वाले भारतीय गैंडे (राइनोसेरोस, यूनीकोर्निस) का निवास है।
काजीरंगा को वर्ष 1905 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। सर्दियों में यहां साइबेरिया से कई मेहमान पक्षी भी आते हैं। काजीरंगा में विभिन्न प्रजातियों के बाज, विभिन्न प्रजातियों की चीलें और तोते आदि भी पाए जाते हैं। 2012 में असम में आई भीषण बाढ़ के कारण इस उद्यान में 540 से ज्यादा जीवों की मौत हो गई थी। यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है।
इस राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी एलीफेंट ग्रास, मोटे वृक्ष, दलदली स्थान और उथले तालाब हैं। एक सींग वाला गैंडा, हाथी, भारतीय भैंसा, हिरण, सांभर, भालू, बाघ, चीते, सूअर, बिल्ली, जंगली बिल्ली, हॉग बैजर, लंगूर, हुलॉक गिब्बन, भेड़िया, साही, अजगर और अनेक प्रकार की चिड़िया, बत्तख, कलहंस, हॉर्नबिल, आइबिस, जलकाक, अगरेट, बगुला, काली गर्दन वाले स्टॉर्क, लेसर एडजुलेंट, रिंगटेल फिशिंग ईगल आदि बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
अगले पन्ने पर तीसरा जंगल... सुंदरवन राष्ट्रीय अभयारण्य, पश्चिम बंगाल (1987) : सुंदरवन अभयारण्य पश्चिम बंगाल (भारत) में खानपान जिले में स्थित है। इसकी सीमा बांग्लादेश के अंदर तक है। सुंदरवन भारत के 14 बायोस्फीयर रिजर्व में से एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है। इस उद्यान को भी विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
कई दुर्लभ और प्रसिद्ध वनस्पतियों और बंगाल टाइगर के निवास स्थान सुंदरवन को 'सुंदरबोन' भी कहा जाता है, जो भारत तथा बांग्लादेश में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा भी है। बंगाल की खाड़ी में हुगली नदी के मुहाने (शरत) से मेघना नदी के मुहाने (बांग्लादेश) तक 260 किमी तक विस्तृत एक व्यापक जंगली एवं लवणीय दलदली क्षेत्र, जो गंगा डेल्टा का निचला हिस्सा बनाता है, यह 100-130 किमी में फैला अंतर्स्थलीय क्षेत्र है। भारत तथा बांग्लादेश में यह जंगल 1,80,000 वर्ग किलोमीटर तक फैला है।
सुंदरवन नाम संभवत: ‘सुंदरी का वन’ से लिया गया है जिसका यहां पाए जाने वाले मूल्यवान विशालकाय मैंग्रोव से है। यहां बड़ी तादाद में सुंदरी पेड़ मिलते हैं जिनके नाम पर ही इन वनों का नाम सुंदर वन पड़ा है।
अगले पन्ने पर चौथा जंगल... सरिस्का एवं रणथम्भौर (राजस्थान) : राजस्थान में दो नेशनल पार्क और एक दर्जन से अधिक अभयारण्य तथा दो संरक्षित क्षेत्र हैं। पुरानी अरावली पर्वतमाला के सूखे जंगलों में सरिस्का नेशनल पार्क एवं टाइगर रिजर्व स्थित है तो दूसरी ओर रणथम्भौर के जंगल।
सरिस्का को वर्ष 1955 में एक अभयारण्य घोषित किया गया था और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिजर्व बनाया गया था। यह पार्क जयपुर से मात्र 110 किमी और दिल्ली से 200 किमी की दूरी पर है। जंगल से भरी घाटी को उजाड़ पर्वतमालाओं ने घेर रखा है। पार्क 800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जबकि 498 वर्ग किमी इसका मुख्य भाग है।
रणथम्भौर : रणथम्भौर राष्ट्रीय वन्यजीव उद्यान ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जहां पहले आबादी से भरपूर मजबूत रणथम्भौर किला था। रणथम्भौर किला समुद्र की सतह से 401 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है। इस किले के कारण ही इस जंगल को रणथम्भौर का जंगल कहा जाता है। यहां बाघ के अलावा तेंदुआ, हिरण, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर और कई तरह के पक्षी बड़ी संख्या में हैं।
सन् 1192 में पृथ्वीराज चौहान के पोते गोविंदा ने इस पर राज किया था। बाद में उसके बेटे बागभट्ट ने किले में बसे शहर को खूबसूरत बनाया। सन् 1282 में चौहान वंशीय राजा हमीर यहां सत्तारूढ़ थे। सन् 1290 में जलालुद्दीन खिलजी ने 3 बार आक्रमण कर इसे जीतने का प्रयास किया। बाद में 1 वर्ष तक घेरा डालकर 1301 में इसे जीता। हमीर की मौत के बाद चौहानों का राज खत्म हो गया। मुस्लिम विजेताओं ने किले की मजबूत दीवार को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया।
मालवा के शासकों ने 16वीं शताब्दी में अपना राज जमाया। राणा सांगा ने यहां रहकर अपनी फौज को मजबूत किया। राणा सांगा को हराने के लिए मुगलों ने यहां कई बार आक्रमण किए जिनमें कई बार राणा सांगा घायल हुए। उनकी पराजय के बाद यह किला मुगलों के अधीन हो गया।
अगले पन्ने पर पांचवां जंगल... गिर वन्यजीव अभयारण्य : गिर वन राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य, गुजरात राज्य व पश्चिम-मध्य भारत में स्थित है। 1424 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभयारण्य में शेर, सांभर, तेंदुआ और जंगली सूअर प्रमुखता से पाए जाते हैं। गिर वन राष्ट्रीय उद्यान में तुलसी-श्याम झरने के पास भगवान कृष्ण का एक छोटा सा मंदिर भी है।
जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल, भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभयारण्यों में से एक है। गिर के जंगल को सन् 1965 में वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया और 6 वर्षों बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया। जूनागढ़ नगर से 60 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में शुष्क झाड़ीदार पर्वतीय क्षेत्र में स्थित इस उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 1,295 वर्ग किलोमीटर है।
अगले पन्ने पर छठा जंगल...
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क : जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत में एक महत्वपूर्ण पार्क है। यह पार्क उत्तरांचल का अभिन्न अंग है। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के सुंदर-सुंदर पुष्प और वन्यजीव पाए जाते हैं। यहां के सुरक्षित प्राकृतिक स्थलों में हाथी, चीता, शेर आदि रहते हैं। पार्क में 110 प्रकार के पेड़, 50 स्तनपायी नस्ल के प्राणी, पक्षियों के 580 जातियां, 25 प्रकार के रेंगने वाले जीव पाए जाते हैं। यह पार्क प्रोजेक्ट टाइगर का एक अभिन्न अंग है। रघुराई तथा जगदीप, राजपूत जो कि जाने-माने फोटोग्राफर हैं, ने वन्य जीवन के सौंदर्य को अपने चित्रों में केंद्रित किया है। पार्क के प्राकृतिक पहाड़ों की गोद में चीते दिखाई देते हैं। विभिन्न प्रकार की नाकॅटरनल बिल्लियां यहां पाई जाती हैं। इसके अलावा अनेक जंगली बिल्लियां भी मिलती हैं।
स्लोथ भालू पार्क के निचले हिस्से में पाए जाते हैं तथा हिमालयीन ब्लैक भालू पहाड़ी की ऊंचाइयों पर रहते हैं। राम गंगा नदी के किनारे आप स्नाउट मछली को खाने वाले घड़ियाल, मगरमच्छ मिलते हैं। पथरीली पहाड़ियों के किनारे आपको घोराल भी मिल सकते हैं। अगर सामने से शेर या चीता आ रहा हो तो लंगूर तथा रीहस्स बंदर अपनी आवाज से पूरे जंगल को उनके आने की चेतावनी देते हैं।
अगले पन्ने पर सातवां जंगल...
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान : बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। एक समय यह मैसूर राज्य के महाराजा की निजी आरक्षित शिकारगाह थी। यहां के कई शेरों और चीतों का शिकार किया गया।
सन् 1931 में मैसूर राज्य के महाराजा ने इस अभयारण्य को वेणुगोपाल वन्यजीव पार्क नाम दिया था। उस वक्त यह करीब 90 वर्ग किलोमीटर में फैला था। सन् 1973 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लिया गया और इसका क्षेत्रफल लगभग 800 वर्ग किलोमीटर बढ़ाकर इसे बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
इस अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, भालू, ढोल, सांबर, चीतल, काकड़, भारतीय चित्तीदार मूषक, मृग तथा लोरिस पाए जाते हैं। यहां पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियां निवास करती हैं। इस अभयारण्य को पशु-पक्षियों के प्रेमी के लिए स्वर्ग कहा जाता है।
अगले पन्ने पर आठवां जंगल... कैम्पबॅल बे राष्ट्रीय उद्यान : यह राष्ट्रीय उद्यान भारत के केंद्रशासित राज्य अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर स्थित है। यह द्वीप समूह हिन्द महासागर (बंगाल की खाड़ी) में स्थित है। निकोबार द्वीप समूह के सबसे बड़े द्वीप ग्रेट निकोबार पर स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसे सन् 1992 में भारत के एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिकृत किया गया और अब यह ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है।
पार्क का कुल क्षेत्रफल लगभग 426.23 वर्ग किमी है और एक 12 किमी चौड़े वन बफर जोन से छोटे गैलेथिआ राष्ट्रीय उद्यान से अलग होता है। गैलेथिआ राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल लगभग 110 वर्ग किमी है।
अगले पन्ने पर नौवां जंगल... इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान : इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है। यह दुर्लभ जंगली भैंसे की अंतिम आबादी वाली जगहों में से एक है। इसका कुल क्षेत्रफल 2799.08 वर्ग किलोमीटर है। यह राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र 'टाइगर रिजर्व' है। इंद्रावती नदी के किनारे बसे होने के कारण इसका नाम इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान है।
इंद्रावती को 1981 में 'राष्ट्रीय उद्यान' का दर्जा प्राप्त हुआ और 1983 में भारत की प्रसिद्ध 'प्रोजेक्ट टाइगर नामक योजना' के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
यहा प्रमुख रूप से जंगली भैंसे, बारहसिंगा, बाघ, चीते, नीलगाय, सांभर, जंगली कुत्ते, जंगली सूअर, उड़ने वाली गिलहरियां, साही, बंदर और लंगूर आदि अन्य अनेक जीव-जंतु पाए जाते हैं।
अगले पन्ने पर दसवां जंगल... ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान : रेट हिमालयन नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के 1,171 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में लगभग 754.4 वर्ग किलोमीटर तक फैला जंगल है। शेष क्षेत्र ईको जोन में आता है।
23 जून 2014 को इसे प्राकृतिक विश्व धरोहर घोषित किया गया। यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (यूनेस्को) ने दोहा में आयोजित 38वें सत्र में नेशनल पार्क को यह दर्जा मिला।
कुल्लू और मनाली जिले की घाटियां विश्वप्रसिद्ध हैं। यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र भी है। इस उद्यान में पर्वत श्रृंखला रखुंडी टॉप, घुमतराओ, तीर्थन, पातल, मुझोणी, खोलीपोई, चादनीथाच आदि मनोरम स्थान आते हैं।
इस उद्यान में काला भालू, भूरा भालू, कस्तूरी मृग, बर्फीला तेंदुआ, घोरल के अतिरिक्त मुर्ग प्रजाति के अति दुर्लभ पक्षी जाजुराना व मोनाल, कोकलास सहित पशु-पक्षियों की कुल 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। तेंदुओं की तो यहां भरमार है। यहां सैकड़ों दुर्लभ पशुओं का बसेरा है। दुर्लभ प्रजाति के सुगंधित और औषधीय गुणों से भरपूर पौधे भी यहां मौजूद हैं। दुनियाभर के पर्यटकों के लिए यह स्वर्ग के समान है।