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Written By Author शरद सिंगी
Last Updated : सोमवार, 30 दिसंबर 2019 (09:02 IST)

वर्ष 2019 की प्रमुख वैश्विक घटनाओं का पुनरावलोकन

वर्ष 2019 की प्रमुख वैश्विक घटनाओं का पुनरावलोकन - Review of major global events of the year 2019
वर्ष 2019 अपने अंतिम पड़ाव पर है, अपने अंतिम शेष दिनों को गिनते हुए। यह समय है, इस वर्ष की प्रमुख घटनाओं के पुनरावलोकन का। ये वे घटनाए हैं जिनका आगामी वर्षों पर प्रभाव पड़ेगा। सबसे पहले संसार के उन प्रमुख देशों की बात करते हैं, जहां पदासीन राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री आम चुनावों में अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे।
 
इंडोनेशिया के आम चुनावों में राष्ट्रपति जोको विडोडो पुन: निर्वाचित हुए। उसके तुरंत बाद भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार पुन: बनी। कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडेव फिर से प्रधानमंत्री तो बन गए किंतु सरकार अल्पमत में है और साथी दलों की बैसाखियों पर है। फिर भी वे अपना कार्यकाल पूरा करते नजर आते हैं।
 
ऑस्ट्रेलिया के स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व में सत्तारूढ़ दल ने पुन: चुनाव जीते। इंग्लैंड में सत्तारूढ़ दल ने बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और जीते। जो नहीं जीत पाए उनमें श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेना प्रमुख हैं जिन्हें मुंह की खानी पड़ी। गोटबया राजपक्षे नए प्रधानमंत्री बने।

इसराइल में किसी दल को बहुमत न मिलने की वजह से इस वर्ष दोबारा चुनाव हुए किंतु फिर भी किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। बेंजामिन नेतन्याहू की पकड़ मतदाताओं में ढीली पड़ चुकी है। अभी वे भी एक कामचलाऊ प्रधानमंत्री के बतौर सरकार चला रहे हैं। कभी भी उनकी कुर्सी जा सकती है। उसी तरह जर्मनी की एंजेला मर्केल के लिए यह वर्ष अंतिम होगा, क्योंकि उन्होंने राजनीति से निवृत्ति की घोषणा कर दी है। यूरोप की इस लौह महिला का युग अगले वर्ष समाप्त होगा।
 
अमेरिका में इस वर्ष की सबसे बड़ी घटना रही, राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग। अमेरिका में होने वाले अगले वर्ष के चुनाव में राष्ट्रपति पद के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार 'जो बिदेन' पर भ्रष्टाचार की जांच के लिए ट्रंप द्वारा यूक्रेन की सरकार पर दबाव डालना महंगा पड़ा। खुद आफत मोल ले ली और अब वे महाभियोग का सामना कर रहे हैं। यद्यपि इस अभियोग से वे साफ निकल जाएंगे किंतु अमेरिका ने 4 महीने इस बेतुके राजनीतिक ड्रामे में बर्बाद कर दिए।
 
इंग्लैंड के चुनावों में टोरी पार्टी बहुमत से आने के बाद अब यह देश ब्रेक्सिट के असमंजस से बाहर निकलेगा और निर्णय लेने की बेहतर स्थिति में आएगा। उत्तरी कोरिया इस वर्ष अपेक्षाकृत शांत रहा। राष्ट्रपति ट्रंप ने फरवरी में उत्तरी कोरिया के युवा तानाशाह किम जोंग उन से शिखर वार्ता भी की थी किंतु परिणाम सिफर ही रहा।
 
अन्य घटनाओं में अमेरिका और चीन के बीच का व्यापार युद्ध प्रमुख रहा। मार्च में आतंकवादी संगठन ईसिस का लगभग सफाया हो गया। सीरिया और इराक में जो क्षेत्र उसने अपने नियंत्रण में ले लिए थे, वे अब आजाद करवा लिए गए हैं। उधर मलेशिया और तुर्की का झुकाव इस्लामिक अतिवाद की ओर बढ़ा।
 
दूसरी ओर सऊदी अरब ने आधुनिकता की ओर कुछ और कदम बढ़ाए। फ्रांस में सामाजिक परिस्थितियों से उपजे असंतोष से होने वाले दंगों का बोलबाला रहा। हांगकांग में चीन के एक कानून के विरोध में उग्र प्रदर्शन हुए। वहां की जनता प्रजातंत्र को बनाए रखने के लिए अपना बलिदान दे रही है।
 
ईरान में इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार के विरुद्ध खूनी विद्रोह हुआ किंतु कुचल दिया गया। सैकड़ों लोगों की जानें गईं। उधर 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को चीन ने बंदी बना रखा है और उन्हें कई तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। विश्व की नजरें चीन के इन कैम्पों पर टिकी हैं, जहां इन पर अत्याचार किया जा रहा है। अमेरिका ने चीन पर आपत्ति भी उठाई किंतु अभी तक किसी इस्लामिक राष्ट्र की ओर से चीन को कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई।
 
कुल मिलाकर यह वर्ष चीन-अमेरिका ट्रेड वॉर, अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग, ब्रेक्सिट मुद्दे पर बोरिस जॉनसन की जीत, आतंकवादी संगठन ईसिस का सफाया, हांगकांग और ईरान में उग्र प्रदर्शन के लिए जाना जाएगा। अगले अंक में हम देखेंगे नए वर्ष के कैलेंडर को और उसमें होने वाले प्रमुख आयोजनों और घटनाओं को।
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