शनिवार, 19 अप्रैल 2025
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क्या हैं keratin hair treatment, जानिए इसके फायदे और नुकसान

हेयर केयर
बालों के ड्राई, फ्रिजी या कर्ली  होने पर आपने केराटिन ट्रीटमेंट के बारे में जरूर सुना होगा। पार्लर में ब्यूटीशन ने आपको फ्रीजी और कर्ली हेयर से निजात पाने के लिए केराटिन ट्रीटमेंट की सलाह दी होंगी। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर ये ट्रीटमेंट होता क्या हैं, इसके फायदे और नुकसान क्या होते है ? तो आइए हम आपको बताते है कि  केराटिन ट्रीटमेंट क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या  है..
 
क्या है केराटिन ट्रीटमेंट-
 
फ्रिजी और रूखे बालो को सॉफ्ट और स्ट्रेट करने के लिए केराटिन ट्रीटमेंट किया जाता है। केराटिन हमारे बालों में मौजूद नैचरल प्रोटीन होता है। जिसके वजह से हमारे बालों में शाइनिंग रहती है, लेकिन प्रदूषण केमिकल्स और लगातार धूप में रहने से ये धीरे-धीरे बालों से गायब होता चला जाता है। जिस वजह से बाल डैमेज और रूखे बेजान नजर आते है, और बालों की शाइनिंग भी कम हो जाती है। लिहाजा बालों के नैचरल प्रोटीन को फिर से रीस्टोर करने के ट्रीटमेंट को ही केराटिन प्रोटीन ट्रीटमेंट कहा जाता है। केराटिन ट्रीटमेंट में बालों में आर्टिफिशल केराटिन डाला जाता है  ऐसा करने के बाद आपके बाल स्मूथ और शाइनी हो जाते है। इस वक्त ये ट्रीटमेंट काफी लोकप्रिय भी है। 
 
केराटिन के फायदे क्या होते है
 
केराटिन ट्रीटमेंट कराने से आपके बाल शाइनिंग हो जाते है। इसके साथ ही आपके बाल स्ट्रेट लगने लगते है।
 
बालों का उलझना कम हो जाता है। जिससे आप अपने बालों को आसानी से मैनेज कर सकते है।
 
प्रदूषण से आपके बाल बच जाते है।
 
बाल सॉफ्ट हो गए है तो ज्यादा उलझते भी नहीं है जिस वजह से बालों का टूटना कम हो जाता है।
 
सिल्की, स्ट्रेट होने पर आप बालों में हर तरह की हेयर स्टाइल आराम से ट्राई कर सकते है।
 
आपको बार-बार बालों को घर में हेयर स्ट्रेटनर से स्ट्रेट करने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में आपका समय भी बचता है।
 
केराटिन के साइड इफेक्ट्स
 
केराटिन प्रोटीन ट्रीटमेंट करवाने के बाद आपको पार्लर से ही ब्यूटीशन स्पेशल शैंपू, कंडिशनर यूज करने के लिए कहती है इसके अलावा आप दूसरा कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं कर सकते है।
 
केराटिन करवाने के बाद बाल बिलकुल स्ट्रेट दिखने लगते हैं और उसमें से वॉल्यूम और बाउंस गायब हो जाता है।
 
बाल बहुत जल्दी ऑयली हो जाते है जिस वजह से बालों में बार-बार शैम्पू करना पड़ता है।
 
इस ट्रीटमेंट में अच्छे खासे पैसे भी खर्च होते है उसके बावजूद इसका असर 5 से 6 महीने ही रहता है।