किसानों के लिए समाजवादी पार्टी का हल्ला बोल, दिनभर चला नेताओं और पुलिस के बीच लुकाछिपी का खेल
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में किसान के समर्थन समाजवादी पार्टी ने उतरकर सोमवार को जमकर हल्ला बोला। इसके चलते पूरे दिन प्रदेश की पुलिस और नेताओं के बीच झड़प का दौर जारी रहा और कई जगहों पर लुका-छुपी का भी खेल देखने को मिला जहां एक तरफ उत्तरप्रदेश पुलिस समाजवादी पार्टी के विधायकों और नेताओं को घर में नजरबंद करने के लिए पूरी तैयारियां कर चुकी थीं तो वहीं पुलिस के घेरे को तोड़ते हुए प्रदेश के ज्यादातर जिलों में विधायक व कार्यकर्ता सड़क पर निकल कन्नौज में किसान समर्थन यात्रा में शामिल होने के लिए निकल पड़े थे।
ऐसा ही कुछ नजारा लखनऊ में देखने को मिला जब कन्नौज में आयोजित किसान यात्रा में शामिल होने जा रहे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और अन्य विधायकों एवं नेताओं को देर रात से ही नजरबंद कर दिया गया था, लेकिन पुलिस को चकमा देते हुए अखिलेश यादव के साथ-साथ अन्य विधायक सड़क पर निकल कन्नौज के लिए रवाना हो चले थे।
इसी दौरान पुलिस ने भी लखनऊ में मजबूत घेराबंदी कर रखी थी। इसके चलते अखिलेश यादव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और धारा-144 के उल्लंघन मामले में अखिलेश यादव पर कार्रवाई करते हुए ईको गार्डन लेकर चली गई।
इस दौरान सड़क पर जमकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और पुलिस के बीच झड़प हुई। अखिलेश यादव के हिरासत में लिए जाने की खबर मिलते ही प्रदेश की सड़कों पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने निकलकर बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला।
समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता व वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने बीजेपी सरकार पर राजनीतिक हमला बोलते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लोकप्रिय व्यक्तित्व से सत्तादल घबराया हुआ है।उनके साथ अलोकतांत्रिक व्यवहार और उनकी राजनीतिक गतिविधियों को रोकने की कुचेष्टा संविधान विरोधी कृत्य है।इसकी जनता में व्यापक प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है।
किसानों-नौजवानों की आवाज को कुचलने का भाजपा का प्रयास उनको ही भारी पड़ेगा। इसका खामियाजा भी भाजपा उठाएगी। अखिलेश यादव ने भारत बंद में 8 दिसंबर 2020 को शामिल होने की घोषणा की है। समाजवादी पार्टी आंदोलनकारी किसानों के साथ है।
समाजवादी पार्टी किसानों की पार्टी है। समाजवादी पार्टी की नीतियां हमेशा किसानों के पक्ष में रही है। वह आज भी किसानों के साथ है। किसान कड़ाके की ठंड में अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। उनके समर्थन में समाजवादी पार्टी का आवाज उठाना कहां से अनुचित है। समाजवादी पार्टी की आर्थिक नीतियां शुरू से ही खेती-किसानी पर आधारित रही है।