कौन हैं कृषि कानून पर बनी कमेटी के सदस्य, किसान क्यों कर रहे हैं इनका विरोध...
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी की पहली बैठक 10 दिनों में होगी और 2 माह के अंदर कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। हालांकि विरोध कर रहे किसान संगठन इस पर राजी नहीं है। उन्होंने कमेटी के सामने जाने से इंकार कर दिया है। जानिए कौन है कमेटी में शामिल चार सदस्य और आंदोलन कारी किसान क्यों कर रहे हैं इनका विरोध...
भूपिंदर सिंह मान
पूर्व राज्यसभा सांसद और भारतीय किसान यूनियन से जुड़े भूपिंदर सिंह मान कृषि विशेषज्ञ होने के साथ-साथ अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के चेयरमैन हैं।
1966 में फॉर्मर फ्रेंड्स एसोसिएशन का गठन किया गया जिसके वो संस्थापक सदस्य थे। इसके बाद यह संगठन राज्य स्तर पर 'पंजाब खेती-बाड़ी यूनियन' के नाम से जाना गया। राष्ट्रीय स्तर पर यह संगठन भारतीय किसान यूनियन बन गया और इसी संगठन ने बाकी कृषि संगठनों के साथ मिलकर किसान समन्वय समिति का गठन किया।
14 दिसंबर को अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के तहत आने वाले कृषि संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी और कृषि कानूनों का समर्थन किया था।
अनिल घनवट
अनिल घनवट महाराष्ट्र के प्रमुख किसान संगठन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं। शेतकारी संगठन कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार का समर्थन कर रहा है। यह किसान संगठन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर कृषि कानूनों पर अपना समर्थन दे चुका है। महाराष्ट्र स्थित इस संगठन का गठन मशहूर किसान नेता शरद जोशी ने किया था।
अशोक गुलाटी
कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार की खाद्य आपूर्ति और मूल्य निर्धारण नीतियों के लिए सलाह देने वाली सलाहकार समिति कमिशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसेस के वो चैयरमेन रह चुके हैं।
गुलाटी ने खाद्य सुरक्षा, कृषि-व्यापार, चेन सिस्टम, फसल बीमा, सब्सिडी, स्थिरता और ग़रीबी उन्मूलन आदि कृषि से जुड़े विभिन्न विषयों पर शोध किया है। अशोक गुलाटी मोदी सरकार के कृषि कानूनूनों के समर्थक जाते हैं। उन्होंने साफ कहा है कि अगर सरकार दबाव में कानून वापस लेती है तो किसानों को नुकसान होगा।
डॉक्टर प्रमोद कुमार जोशी
डॉक्टर प्रमोद कुमार जोशी भी कृषि शोध के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं। वो हैदराबाद के नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट और नैशनल सेंटर फ़ॉर एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च, नई दिल्ली के अध्यक्ष रह चुके हैं। इससे पहले जोशी इंटरनैशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट में दक्षिण एशिया के कॉर्डिनेटर रहे हैं। जोशी भी कृषि कानूनों की हिमायत कर चुके हैं।
किसान नेताओं ने कमेटी का विरोध करते हुए कहा कि कमेटी के चारों सदस्य खुलेआम नए कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं। ये सरकारी लोग हैं। किसान नेता राकेश टिकैत और दर्शनपाल सिंह ने साफ कहा कि आंदोलन खत्म नहीं होगा और राजपथ पर परेड की तैयारियां और तेज की जाएंगी।