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Last Modified: मंगलवार, 15 दिसंबर 2020 (00:48 IST)

किसान आंदोलन के बीच PM मोदी जाएंगे कच्छ, सिख किसानों से करेंगे मुलाकात

किसान आंदोलन के बीच PM मोदी जाएंगे कच्छ, सिख किसानों से करेंगे मुलाकात - Amid protests over agri laws, PM to meet farmers in Kutch
नई दिल्ली/ अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात में कच्छ के एक दिवसीय दौरे पर आएंगे। कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के बीच वे कच्छ के कृषक समुदाय के अलावा गुजरात के सिख किसानों से भी मुलाकात करेंगे। 
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री कुछ परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे और कच्छ में धोरडो के किसानों और कलाकारों के साथ संवाद करेंगे। मुख्य कार्यक्रम से पहले वे कच्छ के किसानों के साथ चर्चा करेंगे।
 
राज्य के सूचना विभाग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, भारत-पाक सीमा के पास बसे सिख किसानों को प्रधानमंत्री से संवाद के लिए आंमत्रित किया गया है। कच्छ जिले की लखपत तालुका में और इसके आसपास मिलाकर करीब 5,000 सिख परिवार रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान पिछले दो सप्ताह से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री किसानों से बातचीत कर हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं।
2000 से ज्यादा महिलाएं होंगी शामिल : दिल्ली के सिंघू बार्डर पर केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के परिवारों की 2,000 से अधिक महिलाएं भी आने वाले दिनों में इस आंदोलन में शामिल होंगी। इसके लिए प्रदर्शनकारी किसानों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
किसान नेताओं ने बताया कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों से महिला सदस्यों के यहां आने के मद्देनजर बंदोबस्त किए जा रहे हैं, तंबू लगाए जा रहे हैं तथा अलग से लंगर की व्यवस्था की जा रही है। अतिरिक्त अस्थायी शौचालयों की भी व्यवस्था की जा रही है। किसान नेताओं ने बताया कि प्रदर्शन स्थल पर महिलाओं को सुरक्षित एवं आरामदायक माहौल देने के उद्देश्य से यह किया जा रहा है।
 
किसान नेता हरेंदिर सिंह लाखोवाल ने कहा कि रविवार को दिल्ली के एक संगठन ने करीब 200 तंबू दान किए हैं जिन्हें सिंघू और टीकरी सीमाओं पर खासकर महिलाओं के लिए लगाया जा रहा है। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया कि यह केवल पंजाब के किसानों का नहीं बल्कि देशभर के किसानों का आंदोलन है और सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शनों का महिलाएं पहले से हिस्सा हैं लेकिन और महिलाओं ने इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है।
 
राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता कक्का ने कहा कि हमें उम्मीद है कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों से दो हजार से अधिक महिलाएं आंदोलन में शामिल होंगी। यहां सभी लोगों के लिए पहले से कई लंगर चल रहे हैं लेकिन महिलाओं के लिए अलग से लंगर शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं। उनके लिए पेयजल और स्नान की खातिर पानी के टैंकर की अलग से व्यवस्था की जा रही है। 
लोगों से हाथ जोड़कर मांगी माफी : किसानों के संगठन ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के चलते बीते कई दिनों से कुछ प्रमुख सड़कें बंद होने से लोगों को हो रही असुविधा के लिए 'हाथ जोड़कर' माफी मांगी और कहा कि उन्हें 'मजबूरी में' प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
 
दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी ओर से खेद प्रकट करने के लिये हरियाणा-राजस्थान सीमा के निकट जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर यात्रियों को हिंदी में लिखे पर्चे बांटे। साथ ही उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अमलीजामा पहनाने की अपनी मांग भी दोहराई।
 
संयुक्त किसान मोर्चा के पर्चों पर लिखा था, 'सड़कें बंद कर लोगों को परेशान करना हमारा मकसद नहीं है। हम मजबूरी के तहत यहां बैठें हैं। अगर हमारे आंदोलन से आपको असुविधा हुई हो तो हम उसके लिये हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं।'
किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान बीते करीब तीन हफ्तों से दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं, जिससे राष्ट्रीय राजधानी को हरियाणा और पंजाब से जोड़ने वाली मुख्य सड़कों पर जाम की समस्या खड़ी हो गई है। (भाषा)
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