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Last Updated : शनिवार, 26 दिसंबर 2020 (14:51 IST)

किसान आंदोलन के 30 दिन, जानिए कब क्‍या हुआ...

किसान आंदोलन के 30 दिन, जानिए कब क्‍या हुआ... - 30 days of farmers protest : time line
नई दिल्ली। 26 नवंबर 2020 से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों के आंदोलन का एक महीना पूरा हो गया है।किसान इन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच किसानों और सरकार के बीच 5 से 6 राउंड की वार्ता हुई, लेकिन गतिरोध खत्म नहीं हो पाया। जानिए इन 30 दिनों में कब क्‍या हुआ...
 
26 नवंबर : नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आज के दिन किसान धरने पर बैठे थे।  
 
27 नवंबर : पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों पर पानी की बौछार से नाराज किसान आज भी दिल्ली में प्रवेश के लिए अड़े रहे। प्रदर्शनकारी किसानों को अब उत्‍तर प्रदेश के किसानों का भी समर्थन मिल गया कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन को देखते हुए सिंघू बॉर्डर (हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर) पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए।
 
28 नवंबर : कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिल गई है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत के नेतृत्‍व में रवाना हुआ किसानों का काफिला। किसानों का कहना है कि वे दिल्ली जाएंगे और सरकार के सामने अपनी बात रखेंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि यह विचारों की लड़ाई है, जब एक-दूसरे के विचार एक से होंगे लड़ाई खुद खत्म हो जाएगी।
 
29 नवंबर : केंद्र सरकार ने किसानों को एक बार फिर दिल्ली के बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की और कहा कि एक बार तय किए गए स्थान पर पहुंचने के बाद केंद्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल राजधानी के विज्ञान भवन में उनसे बातचीत के लिए तैयार है। किसानों ने बुराड़ी के मैदान में जाने से साफ इंकार किया गया।
 
30 नवंबर : प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके ‘मन की बात’ सुनें। हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते। किसानों के प्रतिनिधि ने दावा किया कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।
 
1 दिसंबर : दिल्ली की सीमा पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज किसानों को चर्चा के लिए बुलाया। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने तीसरे चरण की वार्ता आज पूरी की है। हम सबने निर्णय लिया है कि परसों वार्ता का चौथा चरण शुरू होगा। किसान प्रतिनिधिमंडल के सदस्य चंदा सिंह ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
 
2 दिसंबर : प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गईं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा। केंद्र किसान संगठनों में फूट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा। इस बीच 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर बैठक की।
 
3 दिसंबर : सरकार और किसान संगठनों के हुई चौथे दौर की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो सका। हालांकि सरकार ने किसानों की कुछ मांगों के प्रति नरम रुख के संकेत दिए हैं। 7 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश एवं किसानों के चालीस प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 5 दिसंबर को बैठक फिर से होगी।
 
4 दिसंबर : किसान लगातार 9वें दिन भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘यूपी गेट’ के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-9 को जाम कर दिया है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ट्वीट, मैं किसानों, उनके जीवन और आजीविका के बारे में बहुत चिंतित हूं। भारत सरकार को किसान विरोधी कानूनों को वापस लेना चाहिए। अगर ऐसा तुरंत नहीं किया जाता है, तो हम पूरे राज्य और देश में आंदोलन करेंगे। हम इन किसान विरोधी कानूनों का कड़ा विरोध करते हैं।
 
5 दिसंबर : केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहा किसान आंदोलन और तेज हो गया है। 10वें दिन भी किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस बीच किसानों ने शुक्रवार को आठ दिसंबर को 'भारत बंद' का ऐलान कर दिया। सरकार के साथ बैठक शुरू होने के बाद किसान नेताओं ने सरकार से बिंदुवार लिखित जवाब मांगा है। किसान नेताओं का कहना है कि हमने पिछली बैठक में जो बातें रखी थीं सरकार उनका बिंदुवार लिखित रूप में जवाब दे, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
 
6 दिसंबर : दिल्‍ली बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच 5 बैठकों के बाद भी सहमति नहीं बन पाई है। किसान आज 11वां दिन भी मैदान में डटे हुए हैं और 8 नवंबर को भारत बंद की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच कृषि राज्‍यमंत्री कैलाश चौधरी ने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा ‍कि एमएसपी आगे जारी रहेगी, किसानों को किसी के झांसे में आने की जरूरत नहीं है।
 
7 दिसंबर : विपक्षी दलों ने 8 दिसंबर को भारत बंद को अपना समर्थन दिया है। बैंक कर्मचारी संगठनों ने किसानों के ‘भारत बंद’ में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है। 'भारत बंद' के मद्देनजर उत्तरप्रदेश में भी 8 दिसंबर को हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है।व्यापारियों के संगठन कनफेडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को किसानों के ‘भारत बंद’ के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे।
 
8 दिसंबर : किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान पर देश के कई हिस्सों में दुकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बंद रहने, यातायात बाधित होने से जनजीवन प्रभावित हुआ। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क एवं रेल मार्गों को बाधित किया। हालांकि बंद लगभग शांतिपूर्ण रहा और किसानों ने अपनी शक्ति प्रदर्शित की।बंद से आपात सेवाओं और बैंकों को दूर रखा गया। बैंक भी खुले रहे। अखिल भारतीय बंद को अधिकतर विपक्षी दलों और कई मजदूर संघों का समर्थन मिला।
 
9 दिसंबर : दिल्ली बॉर्डर पर 14वें दिन भी किसानों का कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन जारी। सरकार और किसानों के बीच होने वाली छठे दौर की वार्ता स्थगित कर दी गई। किसान नेता ने कहा- बीजेपी के जितने मंत्री हैं उनका घेराव किया जाएगा और उनको पूरी तरीके से बहिष्कार करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि जो प्रस्ताव सरकार ने हमें भेजे थे, वे हमने पढ़े हैं और उन्हें नामंजूर कर दिया गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कानून वापस नहीं लिए गए तो हम इस आंदोलन को उग्र करेंगे।
 
10 दिसंबर : कृषि मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री हमारी बात नहीं सुनते हैं और कानून को रद्द नहीं करते हैं तो हम रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि देश के सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्त किसान मंच एक तारीख तय करेगा और इसकी घोषणा करेगा।
 
11 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए एक दिन पहले कृषि मंत्री द्वारा किसान आंदोलन के मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया और लोगों से उन्हें सुनने की अपील की। प्रधानमंत्री ने लिखा, मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें।
 
12 दिसंबर : कृषि कानून वापस लेने पर अड़े किसान आंदोलन का आज 17वां दिन है।किसानों ने अपनी 9 सूत्री मांगों को पूर्व केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा तथा उनसे कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक उनकी बात पहुंचाएं। सांसद ने किसानों को आश्वस्त किया कि उनकी जो भी मांग है, उसको वे गृहमंत्री और प्रधानमंत्री तक 24 घंटे के अंदर पहुंचाएंगे। आंदोलन के नेता ने कहा कि 14 दिसंबर को सभी किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर एक ही मंच पर भूख हड़ताल पर बैठेंगे।
 
13 दिसंबर : किसानों के प्रदर्शन के बीच केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सोमप्रकाश ने रविवार को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।मंत्रियों के साथ पंजाब के भाजपा नेता भी थे। तोमर, सोमप्रकाश और पीयूष गोयल ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता में सरकार का नेतृत्व किया था। पंजाब के उप महानिरीक्षक (कारागार) लक्षमिंदर सिंह जाखड़ ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
 
14 दिसंबर : आज 19वें दिन भी किसान  दिल्ली की बॉर्डर पर डटे हुए हैं। आज किसान नेता भूख हड़ताल करेंगे। किसान संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान के बाद पंजाब और हरियाणा में किसानों ने जिला आयुक्त कार्यालयों के बाहर नारेबाजी की और विरोध मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों के पंजाब से सटे शंभू सीमा पर इकट्ठा होने के बाद हरियाणा पुलिस ने अंबाला-पटियाला राजमार्ग को बंद कर दिया। पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी प्रदर्शन किया। 
 
15 दिसंबर : सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला। किसान आज तय करेंगे आगे की रणनीति। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- आज उत्‍तर प्रदेश से आए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय और प्रादेशिक पदाधिकारी से बातचीत की। किसान नेताओं ने कहा, अब तक विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 20 किसान ‘शहीद’ हो गए।
 
16 दिसंबर : किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस 'कराएंगे'। केंद्र सरकार से तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठे एक और किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, सरकार अगर चाहती तो किसानों के साथ बैठकर आधे घंटे में यह मसला खत्म कर सकती है। प्रधानमंत्री जी खुद हस्तक्षेप करेंगे तो यह पांच मिनट में हल हो जाएगा।
 
17 दिसंबर : सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन पर सुनवाई पूरी। हालांकि अदालत ने इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया। अदालत ने कहा कि किसान कानूनों की वैधता पर सुनवाई नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पत्र को लेकर ट्वीट किया। पीएम मोदी ने लिखा कि कृषि मंत्री ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें।
 
18 दिसंबर : किसानों का विरोध प्रदर्शन 23वें दिन भी जारी। किसानों और सरकार दोनों ही पीछे हटने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अचानक भ्रम और झूठ का जाल बिछाकर अपनी राजनीतिक जमीन जोतने के खेल खेले जा रहे हैं। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वार किए जा रहे हैं। मुझे किसान के जीवन में आसानी चाहिए, समृद्धि चाहिए, किसानी में आधुनिकता चाहिए।
 
19 दिसंबर : दिल्ली में कड़ाके की सर्दी से लोहा लेते हुए हजारों किसानों का आंदोलन चौथे सप्ताह में प्रवेश कर गया। आंदोलन के कारण सीमा पर कई बिंदुओं पर यातायात मोड़ दिया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह ने केंद्र के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को समर्थन दिया। सिंह ने कहा कि किसानों के साथ खड़े होना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।
 
20 दिसंबर : किसानों ने 25 दिन से दिल्ली की सीमाओं को घेर रखा है। इस कानून को वापस लेने के लिए सर्वखाप भी समर्थन दे चुकी है। वहीं अब किसानों के आंदोलन में दो फाड़ होती नजर आ रही है। सरकार और किसानों के बीच कई रांउड की वार्ता विफल हो चुकी है।
 
21 दिसंबर : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने कड़ाके की ठंड के बीच सुबह एक दिन की 'क्रमिक' भूख हड़ताल शुरू कर दी। किसान नेताओं के अनुसार, प्रदर्शन कर रहे किसान अलग-अलग समूहों में भूख-हड़ताल करेंगे और पहले समूह में 11 लोग होंगे।
 
22 दिसंबर : 27वें दिन भी दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी। आज बैठक में तय करेंगे कि सरकार से बात करनी है या नहीं। हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लगी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल जारी। किसान संगठन बिहार जैसे दूसरे राज्यों के किसानों से भी समर्थन लेने का प्रयास कर रहे हैं।
 
23 दिसंबर : राजनाथ सिंह ने किसानों को किसान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि सरकार किसानों से संवेदनशीलता से बात कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस समस्या का हल निकल जाएगा। कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद 24 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को 2 करोड़ हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपेंगे। पंजाब के 32 किसान यूनियनों ने बैठक कर आगे के कदम के बारे में विचार-विमर्श किया।
 
24 दिसंबर : नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर 28वें दिन भी किसान डटे हुए हैं। किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं तो सरकार इसे वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। राहुल गांधी ने कहा- हिरासत में लेना, मारना-पीटना इस सरकार का तरीका है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि यह सरकार पापी है।
 
25 दिसंबर : टिकरी बार्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों ने कहा, जब तक काले कानून वापस नहीं होंगे हम यहीं पर बैठेंगे। प्रधानमंत्री 9 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों के खातों में 18 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि हस्तांतरित करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान मोदी 6 राज्‍यों के किसानों से संवाद भी करेंगे तथा किसान सम्‍मान निधि और किसानों के कल्‍याण के लिए सरकार द्वारा की गई अन्‍य पहल के बारे में अपने अनुभव साझा करेंगे।
 
26 दिसंबर : किसान तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर बरकरार हैं। इस बीच किसानों और सरकार के बीच 5 से 6 राउंड की वार्ता हुई। नए साल में सरकार से लेकर किसान सभी यही उम्मीद कर रहे हैं कि किसानों की इन मांगों का सर्वमान्य हल निकले। आज शनिवार को किसान संगठनों की अहम बैठक होने जा रही है। किसान संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बातचीत के लिए दी गई नई पेशकश पर चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
 
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