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Last Modified: शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020 (21:15 IST)

PM मोदी के भाषण को किसान नेताओं ने बताया बांटने और गुमराह करने वाला, MSP पर मांगी कानूनी गारंटी

PM मोदी के भाषण को किसान नेताओं ने बताया बांटने और गुमराह करने वाला, MSP पर मांगी कानूनी गारंटी - delhi farmers protest Prime Minister Narendra Modi speech
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं किसान यूनियनों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण किसानों को 'बांटने और गुमराह' करने का प्रयास प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानूनी गारंटी चाहते हैं।
 
राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिये आंदोलन का इस्तेमाल करने के प्रधानमंत्री के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि यूनियन ने कभी भी किसी राजनीतिक दल को अपना मंच इस्तेमाल नहीं करने दिया। उन्होंने सरकार पर मुद्दे से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिए राजनीतिक मंशा रखने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत करने के लिए तैयार है। लेकिन यह बातचीत ‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’ पर आधारित होनी चाहिए।
 
मोदी ने अपने भाषण में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब नये कानूनों को लेकर उनकी एमएसपी सहित कुछ वाजिब चिंताएं थीं, लेकिन बाद में इसमें राजनीतिक लोग आ गए और हिंसा के आरोपियों की रिहाई और राजमार्गों को टोलमुक्त बनाने जैसी असंबद्ध मांगे करनी शुरू कर दीं।
 
कोहाड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह दावा गलत है कि अन्य राजनीतिक दल हमें गुमराह कर रहे हैं। हमें दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए एक महीना हो गया है और हमने किसी भी नेता को अपने मंच पर आने नहीं दिया है। बल्कि हमने उन्हें अपने मंच का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी है। हमारा प्रदर्शन राजनीतिक नहीं है।'
पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के किसानों समेत हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं। किसान समूह कानूनों को वापस लेने से कम कुछ भी स्वीकार करने को राजी नहीं है, जिसके चलते सरकार और उनके बीच कम से कम पांच दौर की वार्ता बेनतीजा रही है।
40 किसान यूनियनों के संयुक्त किसान मोर्चे के एक वरिष्ठ नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि  'प्रधानमंत्री ने अपने सार्वजनिक भाषण में कहा कि एमएसपी बरकरार रहेगी। तो फिर वह इसकी कानूनी गारंटी देने से क्यों डर रहे हैं? सरकार इसे लिखित में क्यों नहीं दे सकती?'
 
कक्का ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने भाषण के दौरान किसानों को बांटने का प्रयास किया...चुनाव रैलियों में वे कहते हैं कि उनकी सरकार ने एमएस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय की है, लेकिन अदालत में वे कहते हैं कि ऐसा करना संभव नहीं है।'
 
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सचिव अविक साहा ने केन्द्र सरकार से पूछा कि वह एमसएसपी की कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे देती? साहा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को केवल 6 राज्यों के किसानों के संबोधित किया। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनकारी किसानों के मुद्दों पर बात क्यों नहीं की।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य कोहाड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान दावा किया कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि ये कानून किस तरह किसानों के लिये लाभकारी हैं।
 
उन्होंने कहा कि आप यह कहकर नहीं बच सकते कि यह अच्छा कानून है। आपको साबित करना होगा कि यह किस प्रकार किसानों के लिए लाभकारी है। क्रांतिकारी किसान यूनियन (पंजाब) के प्रेस सचिव अवतार सिंह मेहमा ने आरोप लगाया कि सरकार का यह दावा झूठा है कि कुछ किसान तीन कानूनों का समर्थन करते हैं।
 
मेहमा ने कहा कि हमने दिल्ली आने से पहले कांग्रेस, और शिरोमणि अकाल दल और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों पर निशाना साधा था। तो हम इन राजनीतिक दलों के द्वारा कैसे गुमराह किये जा सकते हैं। (भाषा)
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