• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. चर्चित चेहरे
Written By भाषा

राजा परवेज अशरफ : नाकाम कारोबारी, कामयाब राजनीतिज्ञ

राजा परवेज अशरफ : नाकाम कारोबारी, कामयाब राजनीतिज्ञ -
FILE
हाल ही में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी का आदेश दिए जाने के बाद देश के 17वें प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। वे यूसुफ रजा गिलानी के प्रधानमंत्रित्व काल में मार्च 2008 से फरवरी 2011 तक बिजली और पानी विभागों के मंत्री रहे हैं।

अशरफ रावलपिंडी जिले से पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वे प्रमुख नेता हैं और गिलानी के के हटने के बाद अशरफ ने 22 जून, 2012 को प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उन्हें प्रधानमंत्री मनोनीत करने के प्रस्ताव पर नेशनल असेम्बली में 211 मत मिले थे, जबकि उनके खिलाफ 89 मत डाले गए थे।

राजा खुट्‍टा परवेज अशरफ (जिन्हें घश्टी का बाशा के नाम से भी जाना जाता है) का जन्म सिंध के संगहार में 26 दिसंबर,1950 में हुआ था। 62 वर्षीय अशरफ राजनीति में आने से पहले खेती से जुड़े थे। वे नुसरत परवेज अशरफ के पति और चार ‍बच्चों ( दो बेटे, दो ‍बेटियों) के पिता हैं।

वे पखराल के मिन्हास राजपूत कुनबे से संबंधित हैं और मूल रूप से उत्तरी पंजाब के पोटोहार क्षेत्र में रावलपिंडी जिले के गुजर खान के मूल निवासी हैं। पोटोहार क्षेत्र से बहुत से राजनीतिक और सैन्य अधिकारियों का संबंध है।

वे मध्यमवर्गीय पोटोहारी बोलने वाले भूमिहार परिवार से हैं, जिनकी पृष्ठभूमि परम्परागत रूप से राजनीति से जुड़ी रही है। उनके एक चाचा 60 के दशक में जनरल अयूब खान के मंत्रिमंडल में मंत्री थे। उनके माता-पिता की सिंध के संगहार में कस्बे में जमीन रही है। राजा उर्दू, पंजाबी, पोटोहारी और सिंधी भाषाएं बोलते हैं।

सिंध में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अशरफ गुजर खान आ गए थे, जहां उन्होंने जूतों की एक फैक्टरी डाली थी। उनके सौतेले भाई इस काम में उनके साथ थे, लेकिन काम काज नहीं चला और उन्हें जमीन जायदाद के धंधे से जुड़ना पड़ा। इस धंधे में उन्हें बहुत सफलता मिली, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें अपनी साठ फीसद सम्पत्ति बेचनी पड़ी थी। उनका निजी घर गुजर खान में ही है और उनके परिजन यहीं रहते हैं।

राजा को रावलपिंडी क्षेत्र का पीपीपी का बड़ा और निष्ठावान नेता माना जाता है। उन्होंने 1990, 93 और 1997 में संसदीय चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। पर जब उन्होंने 2002 और 2008 के चुनावों में सफलता हासिल की तो उन्हें गिलानी मंत्रिमंडल में पहले पानी विभाग और बाद में बिजली बिभाग का केन्द्रीय मंत्री बनाया गया था।

राजा गुजर खान, जिला रावलपिंडी से नेशनल असेम्बली के निर्वाचित सदस्य हैं। प्रधानमंत्री बनाए जाने से पहले वे संसद की कई समितियों में भी रहे हैं। इसके साथ ही वे पार्टी के महासचिव के पद पर भी थे। उनके बिजली मंत्री के पद पर रहते हुए देश में बिजली उत्पादन की भारी कमी रही और देश में बहुत-सी जगहों पर बिजली नहीं पहुंच पाती थी। इस स्थिति के लिए न केवल उन्हें बल्कि उनकी मां को भी आलोचना का सामना करना पड़ा था। बिजली मंत्री के तौर पर कार्यकाल के लिए उन्हें असफल करार दिया गया था और उनका पद बदल दिया गया था। हालांकि बिजली की कमी उन्हें बदले जाने के बाद भी बनी हुई है।