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Written By समय ताम्रकर

पुलिसगिरी : फिल्म समीक्षा

पुलिसगिरी
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पुलिसगिरी तमिल फिल्म ‘सामी’ का हिंदी रिमेक है और इसमें वही सब कुछ है जो आप अनगिनत बार देख चुके हैं। दक्षिण भारतीय भाषाओं में बनी एक्शन मूवी हिंदी में डब कर इन दिनों चैनलों कर खूब दिखाई जा रही है और ये उसका ही विस्तार है।

‘पुलिसगिरी’ भी दक्षिण के रंग में डूबी हुई है। संजय दत्त को छोड़ दिया जाए तो ऐसा लगता है कि दक्षिण भारत की ही फिल्म देख रहे हैं। एक्शन से लेकर तो बैकग्राउंड म्युजिक तक सब कुछ लाउड है।

आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की बॉर्डर पर नागापुरम नामक एक छोटा-सा शहर है। यहां पर नागोरी (प्रकाश राज) का राज चलता है। एमपी, एमएलए, कलेक्टर, पुलिस सब उसके जेब हैं। नागापुरम में डिप्टी कश्निर ऑफ पुलिस रूद्र प्रताप देवराज (संजय दत्त) ट्रांसफर होकर आता है। वह अपने आपको गुंडा और पुलिस का कॉम्बो बताता है।

सुबह उठकर बीअर से कुल्ला करने वाला और इडली को सांबर की बजाय बीअर से खाने वाले रुद्र के अपराध खत्म करने के उसके अपने उसूल हैं। वह गुंडा बनकर गुंडों के बीच जाता है और उन्हें गोलियों से भून देता है।

‘दबंग’ के चुलबुल पांडे की तरह वह भी रॉबिनहुडनुमा काम करता है। रिश्वत लेता है। नागोरी से भी वह सेटिंग कर लेता है, लेकिन ये रिश्ता लंबा नहीं चलता। दोनों एक-दूसरे की जान के प्यासे हो जाते हैं। लड़ाई-झगड़े से रुद्र को जब वक्त मिलता है तो वह रोमांस भी कर लेता है।

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‘पुलिसगिरी’ को इस तरह बनाया गया है कि ज्यादा से ज्यादा एक्शन दृश्य शामिल किए जा सके। कुछ-कुछ ‍मिनटों में संजय दत्त गुंडों की ठुकाई करते हुए नजर आते हैं। निर्देशक के.एस. रविकुमार ने उन दर्शकों को ध्यान में रखकर फिल्म बनाई है, जिन्हें फाइट सीन और हीरोगिरी देखने में मजा आता है। उनकी जरूरतों का ध्यान रखते हुए उन्होंने सीन रचे हैं। उनके प्रस्तुतिकरण में ताजगी नहीं है। छोटी सी कहानी को रबर की तरह खींचा गया है, इस कारण फिल्म का प्रभाव कम हो जाता है। दबंग और सिंघम का असर साफ नजर आता है।

एक्शन पर रवि कुमार का फोकस इतना ज्यादा रहा कि उन्होंने रोमांस, कॉमेडी और इमोशन को इग्नोर कर दिया जो कमर्शियल फिल्म का महत्वूपर्ण हिस्सा रहते हैं। राजपाल यादव और रजत रवैल का एक कॉमेडी ट्रेक डाला गया है, लेकिन उसे देख खीज पैदा होती है। कई दृश्यों में जल्दबाजी नजर आती है, शायद संजय के पास वक्त कम था, इसलिए फटाफट काम निपटा दिया गया।

संजय दत्त ने अपना काम अच्छे से किया है। उनके फैंस जिस तरह का संजय देखना चाहते हैं, उसी अंदाज में वे नजर आए। सुपरमैन की तरह उड़ते हुए उन्होंने दर्जनों गुंडों को मारा, कारें उड़ाई, जमीन पर पैर मारा तो जमीन थरथराई, रूमाल का सिरा एक कान से घुसाकर दूसरे कान से निकाला, अपनी बांह में नारियल दबा के फोड़े और माइंड इट डायलॉग बोला।

प्रकाश राज के लिए इस तरह के विलेन का रोल निभाना बांए हाथ का खेल है, लेकिन इसमें अब एकरसता आ गई है। सितार और ढोलक बजाते हुए उन्होंने कहा ‘सुर तो मोहम्मद रफी का नहीं है, लेकिन दम मोहम्मद अली का है।‘ इस पर संजय दत्त बोलते हैं ‘मेरा सुर है ओसामा का, मेरा पॉवर है ओबामा का।‘ इस तरह के संवाद फरहाद और साजिद ने लिखे हैं।

फिल्म में प्राची देसाई भी हैं, जो बीच-बीच में आती रहती हैं। बॉलीवुड में कई हीरो ऐसे हैं जो अपनी उम्र से आधी हीरोइनों के साथ ठुमके लगा रहे हैं। फर्क नहीं दिखता तो सब चलता है, लेकिन यहां प्राची के संजय अंकल लगते हैं।

गीत-संगीत ‘ब्रेक’ के काम आता है। एक गाना तो कम्प्यूटर ग्राफिक्स के इस्तेमाल से बना दिया गया है, जिसमें संजय-प्राची पहाड़ों पर नजर आते हैं, लेकिन उनके दीवानों को इससे कोई मतलब नहीं है। अमर-मोहिले ने बैकग्राउंड म्युजिक इतना लाउड रखा है कि सिनेमाहॉल छोड़ते वक्त सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।

कुल मिलाकर ‘पुलिसगिरी’ वही घिसी-पिटी कहानी पर बनी एक्शन फिल्म है, जिसे हजारों बार हम देख चुके हैं।

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बैनर : स्टार एंटरटेनमेंट प्रा. लि.
निर्माता : टी.पी. अग्रवाल, राहुल अग्रवाल
निर्देशक : के.एस. रविकुमार
संगीत : हिमेश रेशमिया, अंजान-मीत ब्रदर्स
कलाकार : संजय दत्त, प्राची देसाई, प्रकाश राज, ओम पुरी, मनोज जोशी, राजपाल यादव, रजत रवैल
रिलीज डेट : 5 जुलाई 2013
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 21 मिनट
रेटिंग : 1.5/5