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Written By समय ताम्रकर

वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई : फिल्म समीक्षा

वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई
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बैनर : बालाजी मोशन पिक्चर्स
निर्माता : एकता कपूर, शोभा कपूर
निर्देशक : मिलन लुथरिया
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : अजय देवगन, कंगना, इमरान हाशमी, प्राची देसाई, रणदीप हुड़ा, गौहर खान
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 2 घंटे 24 मिनट
रेटिंग : 3.5/5

‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ की शुरुआत में भले ही यह लिख दिया हो कि इस फिल्म की कहानी किसी व्यक्ति से मिलती-जुलती नहीं है, लेकिन फिल्म के शुरू होते ही समझ में आ जाता है कि यह हाजी मस्तान और दाउद इब्राहिम से प्रेरित है।

निर्देशक मिलन लुथरिया ने एक ऐसी फिल्म बनाने की सोची जो 70 के दशक जैसी लगे। आज भी कई लोग उस दौर की फिल्मों को याद करते हैं जब ज्यादातर विलेन स्मगलर हुआ करते थे और लार्जर देन लाइफ का पुट होता था। मिलन ने आधी हकीकत और आधा फसाना के जरिये उस दौर और उन फिल्मों को फिर जीवंत किया है जिन्हें देखना सुखद लगता है।

हाजी मस्तान से प्रेरित किरदार सुल्तान मिर्जा (अजय देवगन) मिल-जुलकर धंधा (स्मगलिंग) करने में विश्वास रखता है। वह उन चीजों की स्मगलिंग करता है जिनकी अनुमति सरकार नहीं देती है, लेकिन उन चीजों की स्मगलिंग नहीं करता जिनकी अनुमति उसका जमीर नहीं देता है।

दाउद पर आधारित किरदार शोएब (इमरान हाशमी) में किसी भी कीमत पर आगे बढ़ने की ललक है। वह सिर्फ अपनी तरक्की चाहता है और सही/गलत में कोई फर्क नहीं मानता है। सुल्तान की तरह वह बनना चाहता है और उसकी गैंग में शामिल हो जाता है।

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अपने तेजतर्रार स्वभाव के कारण सुल्तान का विश्वसनीय बन जाता है। कु‍छ दिनों के लिए सुल्तान उसे अपनी कुर्सी पर बैठने के लिए कहता है और वह मुंबई को खून-खराबा, गैंगवार, ड्रग्स और आतंक के शहर में बदल देता है। इसी को लेकर दोनों के संबंधों में दरार आ जाती है।

कहानी बेहद सरल है और दर्शक इस बात से पूरी तरह वाकिफ रहते हैं कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले (रजत अरोरा) इस खूबी से लिखा गया है कि आप सीट से चिपके रहते हैं। ड्रामे को तीव्रता के साथ पेश किया गया है और एक के बाद एक बेहतरीन सीन आते हैं।

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फिल्म भले ही अंडरवर्ल्ड पर है, लेकिन खून-खराबे से कोसो दूर है। गैंगस्टर्स के इमोशन पहलू पर ज्यादा ध्यान दिया गया है और फिल्म में कई हल्के-फुल्के और रोमांटिक सीन हैं जो भरपूर मनोरंजन करते हैं।

अजय का कंगना को अमरूद पेश करने वाला दृश्य, इमरान का पहला सीन, अजय द्वारा इमरान को तमाचा मारने वाला दृश्य, प्राची और इमरान के रोमांटिक सीन जैसे कई दृश्य हैं जो बेहतरीन बन पड़े हैं।

निर्देशक मिलन लथुरिया ने स्क्रिप्ट के साथ पूरा न्याय किया है। उस दौर के समय को उन्होंने इस कदर स्क्रीन पर जीवंत किया है कि कैबरेट, प्रिंटेड शर्ट, लेम्ब्रेटा स्कूटर, स्मगलर्स, हेयर स्टाइल याद आने लगते हैं।

मिलन ने हर किरदार पर मेहनत की है और उन्हें कुछ इस अंदाज में पेश किया है कि कुछ मिनटों में ही उस दर्शक जान लेते हैं कि यह इंसान किस तरह का है। बीच में ऐसा जरूर लगता है कि फिल्म पर से निर्देशक की पकड़ छूट रही है, लेकिन फिर एक उम्दा दृश्य आ जाता है और फिल्म गति पकड़ लेती है।

शुरुआत में दिखाया गया है कि इंसपेक्टर बने रणदीप हुड़ा आत्महत्या की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा करने के पीछे क्या कारण थे उन्हें ठीक से जस्टिफाई नहीं किया गया है। एक सीन में अजय देवगन पटरी को उखाड़कर ट्रक पार ले जाते हैं, यह सीन उनके कैरेक्टर को स्थापित करने के लिए रखा गया है, जबकि बिना पटरी उखाड़े भी काम हो सकता था। कुछ ऐसी छोटी-मोटी खामियाँ हैं, लेकिन इग्नोर ‍की जा सकती हैं।

अजय देवगन और इमरान हाशमी की एक्टिंग के लिए भी फिल्म देखी जा सकती है। अजय ने बड़ी सूक्ष्मता के साथ अपने किरदार को जिया है। सफेद कपड़े पहन हाथ में सिगरेट लिए वे वाकई में सुल्तान नजर आते हैं। रॉबिनहुड की तरह उनका कैरेक्टर है, जो बुरे काम जरूर करता है, लेकिन दिल का भला है। एक्टिंग की दृष्टि से देखा जाए तो अजय इस अपने करियर के शिखर पर हैं और उनकी यह एक्टिंग लंबे समय तक याद की जाएगी।

इमरान हाशमी ने अपने करियर का बेस्ट परफॉर्मेंस दिया है। शोएब के एटीट्यूड और सब कुछ जल्दी पाने की चाह को उन्होंने बखूबी अंजाम दिया है। कंगना और प्राची देसाई के रोल भले ही छोटे हैं, लेकिन वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। रणदीप हुड़ा, नावेद असलम (पैट्रिक) और मेहुल भोजक (जावेद) भी प्रभावित करते हैं।

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इन दिनों फिल्मों से भारी-भरकम और दमदार संवाद गायब से हो गए हैं। अरसे बाद बेहतरीन डायलॉगबाजी सुनने को मिली है। हिट गीत ‘पी लूँ’ भी फिल्म का प्लस पाइंट है। अन्य गीत भी सुनने लायक हैं। आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई का काम भी उल्लेखनीय है। उन्होंने उस दौर को हूबहू पेश किया है। संपादक को थोड़ी चुस्ती दिखानी थी।

कुल मिलाकर ‘वंस अपॉन ए टाइम’ में हर उम्र, वर्ग तथा क्लास से लेकर मास तक को पसंद आने वाली खूबियाँ हैं।