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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 18 जून 2025 (15:53 IST)

सिर्फ 1 मिनट में जानिए योगिनी एकादशी व्रत की सरल पूजा विधि और नियम

इस एकादशी व्रत से मिलती है भगवान विष्णु की विशेष कृपा

Yogini Ekadashi 2025
Yogini Ekadashi Vrat Puja Vidhi: वर्ष 2025 में योगिनी एकादशी 21 जून, दिन शनिवार को मनाई जा रही है। इस व्रत को विधि-विधान से करने पर ही पूर्ण फल प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का व्रत बहुत ही खास माना जाता है, जिसे विशेष तौर पर भगवान श्रीविष्णु की पूजा के लिए हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यहां आपकी सुविधा के लिए योगिनी एकादशी व्रत की सामान्य पूजन विधि यहां दी जा रही है।ALSO READ: योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसका महत्व?
 
योगिनी एकादशी कैसे करें यह व्रत और पूजन विधि:
 
1. योगिनी एकादशी आने के एक दिन पहले दशमी तिथि की तैयारी: दशमी तिथि की शाम को सात्विक भोजन करें। लहसुन, प्याज, मांस, मसूर दाल आदि तामसिक भोजन का सेवन न करें। रात में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
 
2. एकादशी के दिन सुबह: 
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान के पानी में गंगाजल या कुछ बूंदें तिल के तेल की मिलाना शुभ माना जाता है।
- स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें, यह पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है।
- पूजा घर को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
 
- संकल्प: हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें कि आप अपनी मनोकामना पूर्ति और पापों के नाश के लिए यह व्रत कर रहे हैं।
 
3. भगवान विष्णु की पूजा: 
- एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती करें।
- भगवान विष्णु को चंदन, रोली, अक्षत, पीले फूल, तुलसी दल, फल, मिठाई और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल का मिश्रण) अर्पित करें। तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, एक दिन पहले तोड़कर रख लें)।
- मंत्र जाप: 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- कथा पाठ: योगिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
 
4. व्रत के नियम: 
- यह व्रत निर्जला या फलाहारी रखा जा सकता है। सामर्थ्य अनुसार निर्जला व्रत करें।
- पूरे दिन अन्न और नमक का सेवन वर्जित होता है।
- जल, फल, दूध, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा आदि का सेवन कर सकते हैं।
- दिन भर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते रहें।
- किसी की निंदा न करें, क्रोध न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- रात में जागरण कर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन कर सकते हैं।
 
5. द्वादशी को पारण (व्रत खोलना): 
- द्वादशी तिथि पर सुबह स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
- किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें।
- उसके बाद शुभ मुहूर्त में तुलसी दल डालकर जल ग्रहण करके या सात्विक भोजन यानी बिना लहसुन-प्याज करके व्रत का पारण करें।
 
अत: पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ योगिनी एकादशी का व्रत करने से निश्चित रूप से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
 
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