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Shattila Ekadashi 2021: षट्तिला एकादशी की सरल पूजन विधि, पढ़ें 12 खास बातें एवं मुहूर्त

Shattila Ekadashi 2021: षट्तिला एकादशी की सरल पूजन विधि, पढ़ें 12 खास बातें एवं मुहूर्त - ShattilaEkadashi ShubhMuhurat 2021
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पूरे वर्षभर में 24 एकादशी व्रत आते हैं। इन 24 एकादशी को हिन्दू धर्म में बेहद पवित्र और पुण्यदायिनी माना गया है। इस वर्ष षट्तिला एकादशी का व्रत रविवार, 7 फरवरी 2021 को मनाया जाएगा। इस माघ मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन नी‍चे दिए अनुसार पूजन करना लाभदायी माना गया है।
 
आइए जानें षटतिला एकादशी पर कैसे करें पूजन-
 
एक समय दालभ्य ऋषि ने पुलस्त्य ऋषि से पूछा कि- हे महाराज, पृथ्वी लोक में मनुष्य ब्रह्म हत्यादि महान पाप करते हैं, पराए धन की चोरी तथा दूसरे की उन्नति देखकर ईर्ष्या करते हैं। साथ ही अनेक प्रकार के व्यसनों में फंसे रहते हैं, फिर भी उनको नरक प्राप्त नहीं होता, इसका क्या कारण है? वे न जाने कौन-सा दान-पुण्य करते हैं जिससे उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। यह सब कृपापूर्वक आप कहिए। 
 
पुलस्त्य मुनि कहने लगे कि- हे महाभाग! आपने मुझसे अत्यंत गंभीर प्रश्न पूछा है। इससे संसार के जीवों का अत्यंत भला होगा। इस भेद को ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र तथा इंद्र आदि भी नहीं जानते परंतु मैं आपको यह गुप्त तत्व अवश्य बताऊंगा।
 
माघ षट्तिला एकादशी पूजन विधि-

उन्होंने कहा कि- माघ मास लगते ही मनुष्य को स्नान आदि करके शुद्ध रहना चाहिए। इंद्रियों को वश में करके काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए। 
 
* पुष्य नक्षत्र में गोबर, कपास, तिल मिलाकर उनके कंडे बनाना चाहिए। 
 
* उन कंडों से 108 बार हवन करना चाहिए। 
 
* उस दिन मूल नक्षत्र हो और एकादशी तिथि हो तो अच्छे पुण्य देने वाले नियमों को ग्रहण करें। 
 
* स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर सब देवताओं के देव श्री भगवान का पूजन करें और एकादशी व्रत धारण करें। 
 
* रात्रि को जागरण करना चाहिए। 
 
* उसके दूसरे दिन धूप-दीप, नैवेद्य आदि से भगवान का पूजन करके खिचड़ी का भोग लगाएं। 
 
* तत्पश्चात पेठा, नारियल, सीताफल या सुपारी का अर्घ्य देकर स्तुति करनी चाहिए - 
 
* हे भगवान! आप दीनों को शरण देने वाले हैं, इस संसार सागर में फंसे हुओं का उद्धार करने वाले हैं। हे पुंडरीकाक्ष! हे विश्वभावन! हे सुब्रह्मण्य! हे पूर्वज! हे जगत्पते! आप लक्ष्मीजी सहित इस तुच्छ अर्घ्य को ग्रहण करें।
 
* इसके पश्चात जल से भरा कुंभ (घड़ा) ब्राह्मण को दान करें तथा ब्राह्मण को श्यामा गौ और तिल पात्र देना भी उत्तम है। 
 
* तिल स्नान और भोजन दोनों ही श्रेष्ठ हैं। इस प्रकार जो मनुष्य जितने तिलों का दान करता है, उतने ही हजार वर्ष स्वर्ग में वास करता है। 
 
* 1. तिल स्नान, 2. तिल का उबटन, 3. तिल का हवन, 4. तिल का तर्पण, 5 तिल का भोजन और 6. तिलों का दान- ये तिल के 6 प्रकार हैं। इनके प्रयोग के कारण यह षट्तिला एकादशी कहलाती है। 
 
इस व्रत के करने से अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
षट्तिला एकादशी पूजन के मुहूर्त
 
रविवार, 7 फरवरी 2021 को सुबह 06.26 मिनट से एकादशी तिथि प्रारंभ होगी तथा सोमवार, 8 फरवरी 2021 को सुबह 04.47 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त होगी।