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Written By WD Feature Desk

Dev Uthani Gyaras 2024 : देवउठनी एकादशी पर तुलसी एवं शालिग्राम के विवाह की 10 खास बातें

Dev Uthani Gyaras 2024 : देवउठनी एकादशी पर तुलसी एवं शालिग्राम के विवाह की 10 खास बातें - Dev uthani ekadashi tulsi vivah 202
Tulsi vivah 2024: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन को हरि प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन शालिग्राम जो कि एक पत्थर होता है और नेपाल के काली गंडकी नदी के तट पर ही पाया जाता हैल इसके साथ तुलसी जी का विवाह यानि शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह करने की परंपरा भी प्रचलित है। 
 
Highlights 
  • क्यों होता है शालिग्राम और तुलसी का विवाह? 
  • तुलसी विवाह में शामिल शालिग्राम की पूजा के लाभ जानें।
  • तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह कब किया जाता है।
आइए यहां जानते हैं तुलसी के साथ शालिग्राम विवाह की 10 खास बातें : 
 
1. प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारस/ एकादशी तिथि को भगवान श्री विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। 
 
2. प्रचलित मान्यतानुसार, इस दिन भगवान श्री हरि योग निद्रा से जागने के बाद सर्वप्रथम माता तुलसी की पुकार ही सुनते हैं। शालिग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देवउठनी एकादशी को ही संपन्न होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। 
 
3. मान्यतानुसार देवउठनी या देवोत्थान एकादशी का व्रत रखने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे अपार लाभ मिलता है।
 
4. सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए हिन्दू महिलाएं इस दिन व्रत रखकर श्रीहरि नारायण का पूजन करती हैं।
 
5. शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह का कार्य कन्या दान करने जितना ही पुण्यकर्म माना जाता है।
 
6. भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न कराने से वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
 
7. पूर्ण विधि-विधान के साथ तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसी प्रचलित मान्यता भी है।
 
8. इस दिन देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा पढ़ने या सुनने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
9. धार्मिक मान्यता के मुताबिक जहां तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है, वहीं शालीग्राम और तुलसी की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
 
10. देवउठनी/ देव प्रबोधिनी एकादशी का व्रत जहां भाग्य जाग्रत करता है, वहीं इस दिन भगवान श्री विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करने से विशिष्ट फल प्राप्त होता है। साथ ही तुलसी विवाह के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं। इस दिन से शुभ या मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
 
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